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पुष्पदन्त का अनूठा पुष्प-शिवमहिम्नस्तोत्रम्'!
Akhand Gyan - Hindi
|December 2020
भगवान आशुतोष की महिमा अनंत है। इसीलिए भोले भक्तों के लिए अपने नाथ'भोलेनाथ' के गुणों को बाँचना अति कठिन है। किन्तु प्रभु प्रेम के रस में सराबोर भक्त अपने नाथ की महिमा को गाए बिना रह भी तो नहीं सकते। इसलिए अपने छोटे-छोटे भाव-पुष्प ही प्रभु के श्री चरणों में अर्पित करने का प्रयास करते हैं। कुछ ऐसे ही भाव पुष्प थे, भक्त पुष्पदन्त के! इन्होंने भगवान शिव की महिमा में 43 श्लोकों के पुष्पों को पिरोकर 'शिवमहिम्नस्तोत्रम्' की माला बनाई। भगवान शिव को यह माला अर्पित कर प्रसन्न किया। आइए, आज हम भी 'शिवमहिम्नस्तोत्रम् की गाथा को जानें और प्रत्यक्ष देखें कि भोलेनाथ सच में शीघ्र प्रसन्न होने वाले आशुतोष ही हैं।
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शिव के उपासक गंधर्व थेपुष्पदन्त! वे नित-प्रतिदिन अपने आराध्य की महिमा भजनों के माध्यम से प्रस्तुत करते थे। उनकी गायन शैली इतनी मनमोहक थी कि इन्द्र के दरबार में उनकी भजन गायन की सेवा लगती थी। भजन-कीर्तन करने के साथ पुष्पदन्त का एक अन्य भक्तिमय स्वभाव भी था। वे अपने प्रभु शिव के लिए प्रतिदिन बगिया से सुन्दर-सुन्दर फूल इकट्ठे करते। कहीं पर भी उ
This story is from the December 2020 edition of Akhand Gyan - Hindi.
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