भारत की चित्रकलाओं के बारे में जब भी चर्चा की जाती है, तो इतिहास हमें सरस्वती-सिन्धु घाटी की सभ्यता की ओर ले जाता है। उस प्राचीन सभ्यता में मिट्टी के बर्तनों पर बने चित्र और भीमबेटका की गुफाओं में उकरे हुए चित्र दिखाता है। निःसन्देह, भारत विविधताओं का देश है। और यह विविधता उसकी चित्रकलाओं में भी दिखाई देती है। हर प्रान्त की चित्रकला दूसरे प्रान्त की चित्रकला से एकदम अलग दिख पड़ती है। आप विषयवस्तु (Subject Matter), चित्रण शैली (Style) और रूपांकन/विशेष चिह्न (Motif) देखकर ही पहचान सकते हैं कि कौन सी चित्रकला कौन से प्रांत की है।
परन्तु पाठकगणों, इतनी विविधता होने के बाद भी एक बात ऐसी है, जिस स्तर पर इन सभी चित्रकलाओं में एक बहुत गहरी समानता मिलती है। वो यह कि इनमें भगवान के सगुण स्वरूप को अक्सर नीले रंग में दर्शाया जाता है। वैष्णव, शैव और शाक्त, तीनों परम्पराओं में हमें यही तथ्य देखने को मिलता है।
राजस्थान के नाथद्वारा की पिछवाई चित्रकला में भगवान श्रीनाथ जी को और भीलवाड़ा के फड़ चित्रों में भगवान देवनारायण को नीले रंग में चित्रित किया जाता है। हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड की पहाड़ी चित्रकलाओं में माँ भद्रकाली के लिए; दक्षिण भारत की तंजावुर चित्रकला व मैसूर चित्रकला में भगवान शिव, भगवान मुरुगन, भगवान वेंकटेश्वर और भगवान राम के लिए: बिहार की टिकुली चित्रकला में भगवान कृष्ण के लिए और असम में भगवान विष्णु के सभी अवतारों को दर्शाने के लिए नीला रंग प्रयुक्त होता है (चित्र-क)। ओडिशा में पुरी के पटचित्रों में भी भगवान जगन्नाथ को गहरे नीले रंग में बहुत बार दर्शाया जाता है (चित्र-ख)।
केवल चित्रकला में ही नहीं, प्राचीन साहित्य ने भी भगवान के स्वरूप को अधिकतर नीले रंग में ही वर्णित किया है। श्रीहरि स्तोत्रम् में आता है-
नभो नीलकायं दुरावारमायं।
सुपद्मासहायं भजेऽहम् भजेऽहम्॥ (1)
अर्थात् श्रीहरि के स्वरूप को 'नीलकाय' कहा गया, यानी जिनकी काया का रंग नीला है।
हालाँकि ग्रंथों में भगवान के इन सभी रूपों को अलग-अलग रंगों से उपमाएँ दी गई हैं। जैसे कि भगवान शिव को 'कर्पूरगौरम' यानी कपूर के समान गौर वर्ण का कहा गया है। इसी प्रकार भगवान के विष्णु स्वरूप की स्तुति में प्रचलित तौर पर गाया जाता है-
शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं।
विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्णं शुभाड्.गम्॥
अर्थात् भगवान का स्वरूप मेघ वर्णीय है। यानी बादल जैसे रंग का है। अब बादल के रंग को काला भी माना जा सकता है। लेकिन फिर भी उन्हें अनेकानेक प्राचीन स्थलों पर नीले रंग में ही चित्रित किया जाता है। ऐसा भगवान मुरुगन और भगवान जगन्नाथ के साथ भी है।
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एका बना वैष्णव वीर!
आपने पिछले प्रकाशित अंक (मार्च 2020) में पढ़ा था, एका शयन कक्ष में अपने गुरुदेव जनार्दन स्वामी की चरण-सेवा कर रहा था। सद्गुरु स्वामी योगनिद्रा में प्रवेश कर समाधिस्थ हो गए थे। इतने में, सेवारत एका को उस कक्ष के भीतर अलौकिक दृश्य दिखाई देने लगे। श्री कृष्ण की द्वापरकालीन अद्भुत लीलाएँ उसे अनुभूति रूप में प्रत्यक्ष होती गईं। इन दिव्यानुभूतियों के प्रभाव से एका को आभास हुआ जैसे कि एक महामानव उसकी देह में प्रवेश कर गया हो। तभी एक दरोगा कक्ष के द्वार पर आया और हाँफते-हाँफते उसने सूचना दी कि 'शत्रु सेना ने देवगढ़ पर चढ़ाई कर दी है। अतः हमारी सेना मुख्य फाटक पर जनार्दन स्वामी के नेतृत्व की प्रतीक्षा में है।' एका ने सद्गुरु स्वामी की समाधिस्थ स्थिति में विघ्न डालना उचित नहीं समझा और स्वयं उनकी युद्ध की पोशाक धारण करके मुख्य फाटक पर पहुँच गया। अब आगे...
'सुख' 'धन' से ज्यादा महंगा!
हेनरी फोर्ड हर पड़ाव पर सुख को तलाशते रहे। कभी अमीरी में, कभी गरीबी में, कभी भोजन में, कभी नींद में कभी मित्रता में! पर यह 'सुख' उनके जीवन से नदारद ही रहा।
कैसा होगा तृतीय विश्व युद्ध?
विश्व इतिहास के पन्नों में दो ऐसे युद्ध दर्ज किए जा चुके हैं, जिनके बारे में सोचकर आज भी मानवता काँप उठती है। पहला था, सन् 1914 में शुरु हुआ प्रथम विश्व युद्ध। कई मिलियन शवों पर खड़े होकर इस विश्व युद्ध ने पूरे संसार में भयंकर तबाही मचाई थी। चार वर्षों तक चले इस मौत के तांडव को आगामी सब युद्धों को खत्म कर देने वाला युद्ध माना गया था।
अपने संग चला लो, हे प्रभु!
जलतरंग- शताब्दियों पूर्व भारत में ही विकसित हुआ था यह वाद्य यंत्र। संगीत जगत का अनुपम यंत्र! विश्व के प्राचीनतम वाद्य यंत्रों में से एक। भारतीय शास्त्रीय संगीत में आज भी इसका विशेष स्थान है। इतने आधुनिक और परिष्कृत यंत्र बनने के बावजूद भी जब कभी जलतरंग से मधुर व अनूठे सुर या राग छेड़े जाते हैं, तो गज़ब का समाँ बँध जाता है। सुनने वालों के हृदय तरंगमय हो उठते हैं।
चित्रकला में भगवान नीले रंग के क्यों?
अपनी साधना को इतना प्रबल करें कि अत्यंत गहरे नील वर्ण के सहस्रार चक्र तक पहुँचकर ईश्वर को पूर्ण रूप से प्राप्त कर लें।
ठक! ठक! ठक! क्या ईश्वर है?
यदि तुम नास्तिकों के सामने ईश्वर प्रत्यक्ष भी हो जाए, तुम्हें दिखाई भी दे, सुनाई मी, तुम उसे महसूस भी कर सको, अन्य लोग उसके होने की गवाही भी दें, तो भी तुम उसे नहीं मानोगे। एक भ्रम, छलावा, धोखा कहकर नकार दोगे। फिर तुमने ईश्वर को मानने का कौन-सा पैमाना तय किया है?
आइए, शपथ लें..!
एक शिष्य के जीवन में भी सबसे अधिक महत्त्व मात्र एक ही पहलू का हैवह हर साँस में गुरु की ओर उन्मुख हो। भूल से भी बागियों की ओर रुख करके गुरु से बेमुख न हो जाए। क्याकि गुरु से बेमुख होने का अर्थ है-शिष्यत्व का दागदार हो जाना! शिष्यत्व की हार हो जाना!
अंतिम इच्छा
भारत की धरा को समय-समय पर महापुरुषों, ऋषि-मुनियों व सद्गुरुओं के पावन चरणों की रज मिली है। आइए, आज उन्हीं में से एक महान तपस्वी महर्षि दधीची के त्यागमय, भक्तिमय और कल्याणकारी चरित्र को जानें।
भगवान महावीर की मानव-निर्माण कला!
मूर्तिकार ही अनगढ़ पत्थर को तराशकर उसमें से प्रतिमा को प्रकट कर सकता है। ठीक ऐसे ही, हर मनुष्य में प्रकाश स्वरूप परमात्मा विद्यमान है। पर उसे प्रकट करने के लिए परम कलाकार की आवश्यकता होती है। हर युग में इस कला को पूर्णता दी है, तत्समय के सद्गुरुओं ने!
ठंडी बयार
सर्दियों में भले ही आप थोड़े सुस्त हो गए हों, परन्तु हम आपके लिए रेपिड फायर (जल्दी-जल्दी पूछे जाने वाले) प्रश्न लेकर आए हैं। तो तैयार हो जाइए, निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर देने के लिए। उत्तर 'हाँ' या 'न' में दें।
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What are literary studies for?
Onward and Upward With the Arts - Game Theory
Can a critically acclaimed video game be turned into a hit HBO series?
The Unrelenting Roar of a Crypto Mine Tore This Town Apart
Cryptocurrency aims to revolutionize finance, but its mines are destroying communities across America.
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When Jenna Gribbon met musician Mackenzie Scott, it changed the way she thought about painting and the possibilities for female portraiture.
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How rewilders in India are working to reverse environmental destruction.
THE KING AND I
Remembering the late, great film director Jean-Luc Godard.
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Guillermo Lorca García Huidobro is a well-renowned painter of classical oil. Early paintings have been successfully exposed and sold through important art exhibitions, including The Asprey Exhibition in London and the exhibition "The eternal life" in the most important museum in Chile.
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