किन्तु त्रासदी यह रही कि यही युद्ध द्वितीय विश्व युद्ध (1939-1945) का कारण बन गया। और आप जानते ही हैं, द्वितीय विश्व युद्ध तो पहले से भी कई गुना विकराल रहा। प्रथम विश्व युद्ध जल-थल-आकाश तीनों आयामों पर लड़ा गया था। किन्तु द्वितीय विश्व युद्ध में इनके साथ परमाणु बम ने भी हाथ मिला लिया। हिरोशिमा-नागासकी पर गिराए गए दो परमाणु बमों ने पूरे विश्व को दहला कर रख दिया था। मानवता त्राहि-त्राहि कर उठी थी। इस संत्रास से सिहरकर युद्ध को विराम दे दिया गया था।
पर सोचिए, क्या वह सच पूर्णविराम था या अर्धविराम? अर्धविराम इसलिए ताकि अन्य देश भी मौत का यह हथियार बना सकें! कौन झुठला सकता है इस सत्य को कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद हर देश में परमाणु बम बनाने की होड़ सी लग गई। आज सभी देशों के अन्न भंडार भरे हों या न हों, लेकिन परमाणु बमों से गोदाम भरे हुए हैं।
इन्हीं हालातों को देखते हुए गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी कहते हैं'आज मानवता बारूद के ऐसे ढेर पर बैठी हुई है, जिसमें कभी भी विस्फोट हो सकता है। यह तो परम चैतन्य शक्ति है, जिसने इंसान की बुद्धि को उलटने से रोक रखा है। यह परम सत्ता की दया ही है, जिसने इस बारूद को अभी तक फटने नहीं दिया है।'
किन्तु मानव की दानव बन चुकी बुद्धि भी हार मानने वाली कहाँ है? वह तो युद्ध के नित नए तरीके खोजने में लगी है। विशेषज्ञों की मानें, तो संभावी तृतीय विश्व युद्ध कई प्रकार से लड़ा जा सकता है। इनमें से एक तरीका हैसाइबर विश्व युद्ध। आइए, जानते हैं यह युद्ध हुआ तो कैसा होगा!
क्या तृतीय विश्व युद्ध साइबर युद्ध होगा?
इंटरनेट के द्वारा व्यक्तिगत, सामाजिक व राष्ट्रीय व्यवस्थाओं से अवैध छेडछाड़यही होता है साइबर क्राइम। भला इंटरनेट को बंद करके या खराब करके या इंटरनेट से डाटा चुराकर...
कोई लड़ाई कैसे लड़ी जा सकती है? इससे तृतीय विश्व युद्ध जैसे घातक परिणाम पूरे संसार में कैसे आ सकते हैं? इस साइबर युद्ध की एक झलक हमें सन् 2007 में आई एक अंग्रेजी फिल्म 'Die Hard 4' में देखने को मिलती है। चलिए, आपको भी इसके कुछ दृश्यों से परिचित करवाते हैं।
तकनीकी विशेषज्ञों का एक गिरोह अमेरिका के साइबर सिस्टम को हाइजैक कर लेता है। फिर यह गिरोह तीन चरणों में अमेरिका को तबाह करता है। ये तीन चरण हैं-
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एका बना वैष्णव वीर!
आपने पिछले प्रकाशित अंक (मार्च 2020) में पढ़ा था, एका शयन कक्ष में अपने गुरुदेव जनार्दन स्वामी की चरण-सेवा कर रहा था। सद्गुरु स्वामी योगनिद्रा में प्रवेश कर समाधिस्थ हो गए थे। इतने में, सेवारत एका को उस कक्ष के भीतर अलौकिक दृश्य दिखाई देने लगे। श्री कृष्ण की द्वापरकालीन अद्भुत लीलाएँ उसे अनुभूति रूप में प्रत्यक्ष होती गईं। इन दिव्यानुभूतियों के प्रभाव से एका को आभास हुआ जैसे कि एक महामानव उसकी देह में प्रवेश कर गया हो। तभी एक दरोगा कक्ष के द्वार पर आया और हाँफते-हाँफते उसने सूचना दी कि 'शत्रु सेना ने देवगढ़ पर चढ़ाई कर दी है। अतः हमारी सेना मुख्य फाटक पर जनार्दन स्वामी के नेतृत्व की प्रतीक्षा में है।' एका ने सद्गुरु स्वामी की समाधिस्थ स्थिति में विघ्न डालना उचित नहीं समझा और स्वयं उनकी युद्ध की पोशाक धारण करके मुख्य फाटक पर पहुँच गया। अब आगे...
'सुख' 'धन' से ज्यादा महंगा!
हेनरी फोर्ड हर पड़ाव पर सुख को तलाशते रहे। कभी अमीरी में, कभी गरीबी में, कभी भोजन में, कभी नींद में कभी मित्रता में! पर यह 'सुख' उनके जीवन से नदारद ही रहा।
कैसा होगा तृतीय विश्व युद्ध?
विश्व इतिहास के पन्नों में दो ऐसे युद्ध दर्ज किए जा चुके हैं, जिनके बारे में सोचकर आज भी मानवता काँप उठती है। पहला था, सन् 1914 में शुरु हुआ प्रथम विश्व युद्ध। कई मिलियन शवों पर खड़े होकर इस विश्व युद्ध ने पूरे संसार में भयंकर तबाही मचाई थी। चार वर्षों तक चले इस मौत के तांडव को आगामी सब युद्धों को खत्म कर देने वाला युद्ध माना गया था।
अपने संग चला लो, हे प्रभु!
जलतरंग- शताब्दियों पूर्व भारत में ही विकसित हुआ था यह वाद्य यंत्र। संगीत जगत का अनुपम यंत्र! विश्व के प्राचीनतम वाद्य यंत्रों में से एक। भारतीय शास्त्रीय संगीत में आज भी इसका विशेष स्थान है। इतने आधुनिक और परिष्कृत यंत्र बनने के बावजूद भी जब कभी जलतरंग से मधुर व अनूठे सुर या राग छेड़े जाते हैं, तो गज़ब का समाँ बँध जाता है। सुनने वालों के हृदय तरंगमय हो उठते हैं।
चित्रकला में भगवान नीले रंग के क्यों?
अपनी साधना को इतना प्रबल करें कि अत्यंत गहरे नील वर्ण के सहस्रार चक्र तक पहुँचकर ईश्वर को पूर्ण रूप से प्राप्त कर लें।
ठक! ठक! ठक! क्या ईश्वर है?
यदि तुम नास्तिकों के सामने ईश्वर प्रत्यक्ष भी हो जाए, तुम्हें दिखाई भी दे, सुनाई मी, तुम उसे महसूस भी कर सको, अन्य लोग उसके होने की गवाही भी दें, तो भी तुम उसे नहीं मानोगे। एक भ्रम, छलावा, धोखा कहकर नकार दोगे। फिर तुमने ईश्वर को मानने का कौन-सा पैमाना तय किया है?
आइए, शपथ लें..!
एक शिष्य के जीवन में भी सबसे अधिक महत्त्व मात्र एक ही पहलू का हैवह हर साँस में गुरु की ओर उन्मुख हो। भूल से भी बागियों की ओर रुख करके गुरु से बेमुख न हो जाए। क्याकि गुरु से बेमुख होने का अर्थ है-शिष्यत्व का दागदार हो जाना! शिष्यत्व की हार हो जाना!
अंतिम इच्छा
भारत की धरा को समय-समय पर महापुरुषों, ऋषि-मुनियों व सद्गुरुओं के पावन चरणों की रज मिली है। आइए, आज उन्हीं में से एक महान तपस्वी महर्षि दधीची के त्यागमय, भक्तिमय और कल्याणकारी चरित्र को जानें।
भगवान महावीर की मानव-निर्माण कला!
मूर्तिकार ही अनगढ़ पत्थर को तराशकर उसमें से प्रतिमा को प्रकट कर सकता है। ठीक ऐसे ही, हर मनुष्य में प्रकाश स्वरूप परमात्मा विद्यमान है। पर उसे प्रकट करने के लिए परम कलाकार की आवश्यकता होती है। हर युग में इस कला को पूर्णता दी है, तत्समय के सद्गुरुओं ने!
ठंडी बयार
सर्दियों में भले ही आप थोड़े सुस्त हो गए हों, परन्तु हम आपके लिए रेपिड फायर (जल्दी-जल्दी पूछे जाने वाले) प्रश्न लेकर आए हैं। तो तैयार हो जाइए, निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर देने के लिए। उत्तर 'हाँ' या 'न' में दें।
It Takes a Village - Like Mine
Karin Brynard's heart is warmed by the way in which her local community comes together to help an old man.
A Cup for Mind and Body
Your daily pick-me-up may offer unexpected health benefits
SLIM PICKINS!
TV junkman Frank Fritz’s antique store gets trashed
Ask the Marshall — Saloons, Paniolos and Telegraphs
Was the Long Branch Saloon in Dodge City, Kansas, an integrated saloon during 1876 to 1886, the height of the cattle drive era? This rare interior photo of Chalk Beeson's famous Front Street bar shows bartender Lo Warren (front, right), a Black bartender and cowboys sitting at the rear of the saloon.
Mixed Media Vanishing Point
More than two centuries ago, a group of West Africans chose death over enslavement in the waters of coastal Georgia. Why do so few traces of their story remain there today?
It Didn't Have to Be This Way
A brilliant account of 30,000 years of change upends the bedrock assumptions about human history.
Joplin
Field Trip Findings: Gaining More Than Mineral Specimens
War Lord in Training: Churchill And The Royal Navy During The First World War
Churchill’s contribution to naval affairs in the First World War is a polarizing topic. It divided people at the time and it remains a matter of sharply delineated opinions even now. The reasons for this are not difficult to spot. Although no decisive sea engagement was fought while Churchill was First Lord of the Admiralty, the opening ten months of the war were nevertheless eventful, and the operations that took place at that time appeared to highlight the worst aspects of Churchill’s character as a civilian naval leader. The reality is—inevitably—more complex, but a quick check of what went visibly wrong and what appeared to go right will illustrate the point.
La nueva serie de Grupo Salinas arrasa... pero un área natural protegida
Anteponiendo sus intereses y dañando un área natural protegida de Xochimilco, la producción de la serie de televisión Hernán, de Grupo Salinas, usó maquinaria pesada y construyó ilegalmente un set de filmación en los ejidos Xochimilco y San Gregorio Atlapulco. La réplica de Tenochtitlán impactó negativamente en la flora y fauna de la zona. La autoridad ambiental de la Ciudad de México emitió una sanción que supera los 74 millones de pesos –que no ha sido pagada– y ordenó el retiro inmediato del set y la restauración del lugar. Sin embargo, los restos de la producción permanecen abandonados en la zona afectada.
The Overlooked Islands Of New York
Unearthing New York’s hidden histories, from buried bodies to heron sanctuaries.