एक बार देवर्षि नारद ऋषियों के साथ भक्तिपूर्ण चर्चा कर रहे थे। यकायक उनकी आँखों से आँसुओं की अविरल धारा बह उठी। इस दृश्य को देख सभी ऋषिगण चकित हो गए।पुलस्त्य ऋषि ने नारद जी से पूछा, 'सदा मुस्कुराते रहने वाले देवर्षि नारद की आँखों में आँसू? सहसा ऐसा क्या याद आ गया आपको, जिससे आप इतना भावाकुल हो उठे?' नारद जी ने स्वयं को सम्भाला और बोले, ऋषिश्रेष्ठ, असुरता के नाश के लिए अपने जीवन का सहज दान कर देने वाले महर्षि दधीचि का जीवन प्रसंग मुझे स्मरण हो आया। उसी ने मुझे भावाकुल कर दिया है।'
ऋषि पुलस्त्य- देवर्षि, कृपा कर महर्षि दधीचि के जीवन का वह अनमोल प्रसंग हमें भी सुनाएँ।
देवर्षि नारद- भगवान शिव महर्षि दधीचि के आराध्य थे। माँ भवानी उन्हें अपनी संतान मानती थीं। सभी दिव्य शक्तियाँ, सिद्धियाँ, विभूतियाँ उनकी आज्ञा पाने के लिए लालायित रहती थीं। परा, अपरा विद्याओं के वे प्रखर आचार्य थे। आध्यात्मिक ज्ञान तो उन्हें सहज ही प्राप्त था। उनकी साधना तो यौवन काल में ही शिखर पर पहुँच गयी थी। साध्य के सिद्ध होने पर कम ही लोग तप करते हैं। पर मैंने उन्हें आजीवन कठिन तप करते हुए देखा है।
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एका बना वैष्णव वीर!
आपने पिछले प्रकाशित अंक (मार्च 2020) में पढ़ा था, एका शयन कक्ष में अपने गुरुदेव जनार्दन स्वामी की चरण-सेवा कर रहा था। सद्गुरु स्वामी योगनिद्रा में प्रवेश कर समाधिस्थ हो गए थे। इतने में, सेवारत एका को उस कक्ष के भीतर अलौकिक दृश्य दिखाई देने लगे। श्री कृष्ण की द्वापरकालीन अद्भुत लीलाएँ उसे अनुभूति रूप में प्रत्यक्ष होती गईं। इन दिव्यानुभूतियों के प्रभाव से एका को आभास हुआ जैसे कि एक महामानव उसकी देह में प्रवेश कर गया हो। तभी एक दरोगा कक्ष के द्वार पर आया और हाँफते-हाँफते उसने सूचना दी कि 'शत्रु सेना ने देवगढ़ पर चढ़ाई कर दी है। अतः हमारी सेना मुख्य फाटक पर जनार्दन स्वामी के नेतृत्व की प्रतीक्षा में है।' एका ने सद्गुरु स्वामी की समाधिस्थ स्थिति में विघ्न डालना उचित नहीं समझा और स्वयं उनकी युद्ध की पोशाक धारण करके मुख्य फाटक पर पहुँच गया। अब आगे...
'सुख' 'धन' से ज्यादा महंगा!
हेनरी फोर्ड हर पड़ाव पर सुख को तलाशते रहे। कभी अमीरी में, कभी गरीबी में, कभी भोजन में, कभी नींद में कभी मित्रता में! पर यह 'सुख' उनके जीवन से नदारद ही रहा।
कैसा होगा तृतीय विश्व युद्ध?
विश्व इतिहास के पन्नों में दो ऐसे युद्ध दर्ज किए जा चुके हैं, जिनके बारे में सोचकर आज भी मानवता काँप उठती है। पहला था, सन् 1914 में शुरु हुआ प्रथम विश्व युद्ध। कई मिलियन शवों पर खड़े होकर इस विश्व युद्ध ने पूरे संसार में भयंकर तबाही मचाई थी। चार वर्षों तक चले इस मौत के तांडव को आगामी सब युद्धों को खत्म कर देने वाला युद्ध माना गया था।
अपने संग चला लो, हे प्रभु!
जलतरंग- शताब्दियों पूर्व भारत में ही विकसित हुआ था यह वाद्य यंत्र। संगीत जगत का अनुपम यंत्र! विश्व के प्राचीनतम वाद्य यंत्रों में से एक। भारतीय शास्त्रीय संगीत में आज भी इसका विशेष स्थान है। इतने आधुनिक और परिष्कृत यंत्र बनने के बावजूद भी जब कभी जलतरंग से मधुर व अनूठे सुर या राग छेड़े जाते हैं, तो गज़ब का समाँ बँध जाता है। सुनने वालों के हृदय तरंगमय हो उठते हैं।
चित्रकला में भगवान नीले रंग के क्यों?
अपनी साधना को इतना प्रबल करें कि अत्यंत गहरे नील वर्ण के सहस्रार चक्र तक पहुँचकर ईश्वर को पूर्ण रूप से प्राप्त कर लें।
ठक! ठक! ठक! क्या ईश्वर है?
यदि तुम नास्तिकों के सामने ईश्वर प्रत्यक्ष भी हो जाए, तुम्हें दिखाई भी दे, सुनाई मी, तुम उसे महसूस भी कर सको, अन्य लोग उसके होने की गवाही भी दें, तो भी तुम उसे नहीं मानोगे। एक भ्रम, छलावा, धोखा कहकर नकार दोगे। फिर तुमने ईश्वर को मानने का कौन-सा पैमाना तय किया है?
आइए, शपथ लें..!
एक शिष्य के जीवन में भी सबसे अधिक महत्त्व मात्र एक ही पहलू का हैवह हर साँस में गुरु की ओर उन्मुख हो। भूल से भी बागियों की ओर रुख करके गुरु से बेमुख न हो जाए। क्याकि गुरु से बेमुख होने का अर्थ है-शिष्यत्व का दागदार हो जाना! शिष्यत्व की हार हो जाना!
अंतिम इच्छा
भारत की धरा को समय-समय पर महापुरुषों, ऋषि-मुनियों व सद्गुरुओं के पावन चरणों की रज मिली है। आइए, आज उन्हीं में से एक महान तपस्वी महर्षि दधीची के त्यागमय, भक्तिमय और कल्याणकारी चरित्र को जानें।
भगवान महावीर की मानव-निर्माण कला!
मूर्तिकार ही अनगढ़ पत्थर को तराशकर उसमें से प्रतिमा को प्रकट कर सकता है। ठीक ऐसे ही, हर मनुष्य में प्रकाश स्वरूप परमात्मा विद्यमान है। पर उसे प्रकट करने के लिए परम कलाकार की आवश्यकता होती है। हर युग में इस कला को पूर्णता दी है, तत्समय के सद्गुरुओं ने!
ठंडी बयार
सर्दियों में भले ही आप थोड़े सुस्त हो गए हों, परन्तु हम आपके लिए रेपिड फायर (जल्दी-जल्दी पूछे जाने वाले) प्रश्न लेकर आए हैं। तो तैयार हो जाइए, निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर देने के लिए। उत्तर 'हाँ' या 'न' में दें।
A Reporter at Large: Second Nature
How rewilders in India are working to reverse environmental destruction.
PATHS HIDDEN IN PLAIN VIEW
If you've ever seen a makeshift dirt path connecting two sidewalks, that's a \"desire path,\" also known as a desire line or game trail.
After Affirmative Action
The Supreme Court is expected to rule racial preferences in college admissions are unconstitutional. How will that change american schools and society?
INCREDIBLE INDIA
FIRST TRIP TO INDIA NEW DELHI
The Holi Festival
The Holi Festival of Colors in India is a celebration of the victory of good over evil, the destruction of the demoness Holika.
How to let Diwali light up your autumn
The Festival of Lights will brighten up the coming month, and there are plenty of events to join in the capital to celebrate.
The New Asian America
It wasn't always this way. We were not so often the headline. Our elders' safety was not a cause célèbre. We weren't even sure that we were a "we"-can so many people with so little in common say that? Still, there were a few shared things. Cooking ingredients, tropes we were sick of. And when the attacks first started in early 2020, we found we shared another: a terrible feeling of dread.
Gajan Festival India
This photo project is based on the theme "People & Culture" of India.
India Chops Away At Internet Freedom
Modi’s campaign against fake news and security threats is cutting off political opposition online
Lego Star Wars: The Skywalker Saga
A chip off the old block