ईश्वर है या नहीं है? ईश्वर कल्पना में गढ़ी एक कृति है या फिर इस विश्व का सृष्टा व नियामक तत्त्व है? ईश्वर मूढ, अशिक्षित व असभ्य लोगों के भय और अज्ञान का परिणाम है या सभ्य वैज्ञानिक समाज के तकनीकी यंत्रों और पहुँच से बाहर की कोई ऊँची, सूक्ष्म, दिव्य सत्ता है? इन प्रश्नों का उत्तर जब भी खोजना चाहा, समाज दो वर्गों में बँट गयाआस्तिक व नास्तिक। नास्तिक सिरे से ईश्वर को नकारता है, उसकी सत्ता पर प्रश्नचिह्न उठाता है। वहीं आस्तिक ईश्वर में गहरी आस्था व विश्वास रखता है। उसके होने के अनेक दृश्य व अदृश्य प्रमाण समक्ष रखता है।
इसी विषय-वस्तु को दृष्टि में रखकर प्रस्तुत है एक नाटक। इस नाटक में अनेक दृश्य हैं व प्रत्येक दृश्य में अलग-अलग पात्र हैं। ये पात्र दुनिया के जाने-माने लोग हैं। इनके जीवन पर आधारित सच्ची घटनाओं को ही नाट्य शैली में प्रस्तुत किया जा रहा है। इन पात्रों का परिचय देने व दृश्यों की समीक्षा करने वाले पात्र (एंकर) का नाम है'सर्वज्ञ'।
(रंगमंच पर पर्दा गिरा है। पर्दे के आगे सर्वज्ञ आकर खड़ा होता है।)
सर्वज्ञ- तो आइए दर्शकों, आरम्भ करते हैं आज का नाटक जिसका शीर्षक हैठक्! ठक्! ठक्! क्या ईश्वर है?'
पहले दृश्य में आपके सामने आ रहे हैंबट्रेंड रसेल! ये इंग्लैंड के जाने-माने दार्शनिक, गणितज्ञ, इतिहासकार व तर्कशास्त्री रहे हैं। शायद इन्हीं उपाधियों के कारण ये कट्टर नास्तिक भी बन गए।
(पर्दा उठता है...)
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एका बना वैष्णव वीर!
आपने पिछले प्रकाशित अंक (मार्च 2020) में पढ़ा था, एका शयन कक्ष में अपने गुरुदेव जनार्दन स्वामी की चरण-सेवा कर रहा था। सद्गुरु स्वामी योगनिद्रा में प्रवेश कर समाधिस्थ हो गए थे। इतने में, सेवारत एका को उस कक्ष के भीतर अलौकिक दृश्य दिखाई देने लगे। श्री कृष्ण की द्वापरकालीन अद्भुत लीलाएँ उसे अनुभूति रूप में प्रत्यक्ष होती गईं। इन दिव्यानुभूतियों के प्रभाव से एका को आभास हुआ जैसे कि एक महामानव उसकी देह में प्रवेश कर गया हो। तभी एक दरोगा कक्ष के द्वार पर आया और हाँफते-हाँफते उसने सूचना दी कि 'शत्रु सेना ने देवगढ़ पर चढ़ाई कर दी है। अतः हमारी सेना मुख्य फाटक पर जनार्दन स्वामी के नेतृत्व की प्रतीक्षा में है।' एका ने सद्गुरु स्वामी की समाधिस्थ स्थिति में विघ्न डालना उचित नहीं समझा और स्वयं उनकी युद्ध की पोशाक धारण करके मुख्य फाटक पर पहुँच गया। अब आगे...
'सुख' 'धन' से ज्यादा महंगा!
हेनरी फोर्ड हर पड़ाव पर सुख को तलाशते रहे। कभी अमीरी में, कभी गरीबी में, कभी भोजन में, कभी नींद में कभी मित्रता में! पर यह 'सुख' उनके जीवन से नदारद ही रहा।
कैसा होगा तृतीय विश्व युद्ध?
विश्व इतिहास के पन्नों में दो ऐसे युद्ध दर्ज किए जा चुके हैं, जिनके बारे में सोचकर आज भी मानवता काँप उठती है। पहला था, सन् 1914 में शुरु हुआ प्रथम विश्व युद्ध। कई मिलियन शवों पर खड़े होकर इस विश्व युद्ध ने पूरे संसार में भयंकर तबाही मचाई थी। चार वर्षों तक चले इस मौत के तांडव को आगामी सब युद्धों को खत्म कर देने वाला युद्ध माना गया था।
अपने संग चला लो, हे प्रभु!
जलतरंग- शताब्दियों पूर्व भारत में ही विकसित हुआ था यह वाद्य यंत्र। संगीत जगत का अनुपम यंत्र! विश्व के प्राचीनतम वाद्य यंत्रों में से एक। भारतीय शास्त्रीय संगीत में आज भी इसका विशेष स्थान है। इतने आधुनिक और परिष्कृत यंत्र बनने के बावजूद भी जब कभी जलतरंग से मधुर व अनूठे सुर या राग छेड़े जाते हैं, तो गज़ब का समाँ बँध जाता है। सुनने वालों के हृदय तरंगमय हो उठते हैं।
चित्रकला में भगवान नीले रंग के क्यों?
अपनी साधना को इतना प्रबल करें कि अत्यंत गहरे नील वर्ण के सहस्रार चक्र तक पहुँचकर ईश्वर को पूर्ण रूप से प्राप्त कर लें।
ठक! ठक! ठक! क्या ईश्वर है?
यदि तुम नास्तिकों के सामने ईश्वर प्रत्यक्ष भी हो जाए, तुम्हें दिखाई भी दे, सुनाई मी, तुम उसे महसूस भी कर सको, अन्य लोग उसके होने की गवाही भी दें, तो भी तुम उसे नहीं मानोगे। एक भ्रम, छलावा, धोखा कहकर नकार दोगे। फिर तुमने ईश्वर को मानने का कौन-सा पैमाना तय किया है?
आइए, शपथ लें..!
एक शिष्य के जीवन में भी सबसे अधिक महत्त्व मात्र एक ही पहलू का हैवह हर साँस में गुरु की ओर उन्मुख हो। भूल से भी बागियों की ओर रुख करके गुरु से बेमुख न हो जाए। क्याकि गुरु से बेमुख होने का अर्थ है-शिष्यत्व का दागदार हो जाना! शिष्यत्व की हार हो जाना!
अंतिम इच्छा
भारत की धरा को समय-समय पर महापुरुषों, ऋषि-मुनियों व सद्गुरुओं के पावन चरणों की रज मिली है। आइए, आज उन्हीं में से एक महान तपस्वी महर्षि दधीची के त्यागमय, भक्तिमय और कल्याणकारी चरित्र को जानें।
भगवान महावीर की मानव-निर्माण कला!
मूर्तिकार ही अनगढ़ पत्थर को तराशकर उसमें से प्रतिमा को प्रकट कर सकता है। ठीक ऐसे ही, हर मनुष्य में प्रकाश स्वरूप परमात्मा विद्यमान है। पर उसे प्रकट करने के लिए परम कलाकार की आवश्यकता होती है। हर युग में इस कला को पूर्णता दी है, तत्समय के सद्गुरुओं ने!
ठंडी बयार
सर्दियों में भले ही आप थोड़े सुस्त हो गए हों, परन्तु हम आपके लिए रेपिड फायर (जल्दी-जल्दी पूछे जाने वाले) प्रश्न लेकर आए हैं। तो तैयार हो जाइए, निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर देने के लिए। उत्तर 'हाँ' या 'न' में दें।
Onward and Upward With the Arts - Game Theory
Can a critically acclaimed video game be turned into a hit HBO series?
THE KING AND I
Remembering the late, great film director Jean-Luc Godard.
Run the Right Experiments
Are you building the things your customers desire? It all starts by building a system of experimentation, says GoDaddy CEO Aman Bhutani.
Young Punks
Forty-four years after their implosion, The Sex Pistols their music, fashion, and attitude still matter. This May, a new limited series brings the band's incredible story to life. Here, the cast of the show wears summer's new crop of sharp suits, proving there's nothing more punk, right now, than dressing up.
PC's New Golden Age
There's never been a better time to be a PC gamer - and the future is bright
Scene & Heard
BEHIND THE SCENES!
Girl Interrupted
Linsey Godfrey Opens Up About Leaving DAYS — And Getting The Call To Return.
When Isis Was Queen
At the ancient Egyptian temples of Philae, Nubians gave new life to a vanishing religious tradition
GODIN
Montreal Premiere LTD
HUBBLE SPACE TELESCOPE FIXED AFTER MONTH OF NO SCIENCE
The Hubble Space Telescope should be back in action soon, following a tricky, remote repair job by NASA.