Try GOLD - Free
लालू की रणनीति से गठबंधन के सहयोगी भी चित
DASTAKTIMES
|June 2024
बिहार में पूरे लोकसभा चुनाव पर नजर डालें तो इंडिया गठबंधन जिस तरह के जीत के दावे कर रहा था, वैसी सफलता नहीं मिली। हालांकि, उसे नौ सीटों मिली जीत छोटी नहीं है, क्योंकि पिछली बार महज एक सीट पर जीत मिली थी। इस जीत में बड़ी भूमिका तेजस्वी यादव की रही। पिता लालू प्रसाद की पूरी रणनीति पर उन्होंने काम किया और पूरे चुनाव प्रचार में वे बड़े स्टार प्रचारक के रूप में रहे। चुनाव प्रचार के दौरान पूरे इंडिया गठबंधन में राजद को छोड़ अन्य किसी बड़े नेता ने चुनाव प्रचार को बहुत गंभीरता से नहीं लिया।

लालू प्रसाद यादव की रणनीति से इंडिया गठबंधन के सहयोगी भी चित हो गए। एक तो लालू ने सहयोगियों की राज्य में नेतृत्व क्षमता को उभरने नहीं दिया, दूसरा अपने बेटे तेजस्वी को पूरे चुनाव की कमान देकर यह जता दिया कि आने वाले विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री पद का दावेदार वही होगा । उसी के नेतृत्व में सहयोगियों को लड़ना होगा । लोकसभा के इस पूरे चुनाव में लालू की रणनीति देखें तो यह साफ नजर आता है। इसे हम कई उदाहरणों से समझ सकते हैं। सबसे पहला उदाहरण पप्पू यादव का है। उन्होंने अपनी पार्टी का विलय कांग्रेस में किया। इससे पहले लालू आशीर्वाद लिया। तय था कि वे पूर्णिया से लड़ेंगे, लेकिन इसमें लालू अड़ंगा लगा दिया। पूर्णिया की सीट अपने पास रख ली। मजबूरन पप्पू का निर्दलीय लड़ना पड़ा। पप्पू भी यादव बिरादरी से आते हैं। लालू नहीं चाहते थे कि राज्य में कोई दूसरा यादव नेता उभरे जो उनके बेटे के लिए चुनौती बने। दूसरा उदाहरण यह है कि इंडिया गठबंधन में साथी पार्टियों की सीटें तय करने से लेकर टिकट के बंटवारे और पूरे चुनाव प्रचार की कमान का निर्णय लालू प्रसाद अपने हाथ में लिए रहे। कौन सी सीट किसे देनी है, प्रत्याशी कौन होगा, इसमें बहुत हद तक उनका दखल रहा । वीआइपी सुप्रीमो मुकेश सहनी तो पूरी तरह से उन्हीं पर निर्भर रहे। पूरे चुनाव प्रचार के दौरान वे तेजस्वी के पीछे-पीछे घूमते रहे। लालू ने राजनीति के शतरंज की बिसात पर अपने बेटे तेजस्वी को इस भूमिका में रखा कि सहयोगी दल पूरी तरह उन पर निर्भर रहे। 2020 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के खराब स्ट्राइक रेट पर राजद अतिशय मुखर रहा । तब सफलता का श्रेय उसी ने लिया था। करीब डेढ़ वर्ष बाद राज्य में विधानसभा चुनाव होने हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए लालू प्रसाद ने पूरी रणनीति सजाई थी। सहयोगी गठबंधन भी इसे ठीक से समझ नहीं सके। उनके बड़े नेताओं को अपने प्रत्याशियों के पक्ष में प्रचार नहीं करना यह दर्शाता भी है। वहीं, तेजस्वी राजद के साथ सहयोगी गठबंधन के सभी प्रत्याशियों के पक्ष में प्रचार करने पहुंचे। इससे उन्होंने जनता की पकड़ने के साथ सहयोगियों की कमजोरियों को भी अच्छी तरह से आंक लिया है। आगामी विधानसभा चुनाव में इसी आधार और औकात के अनुसार सहयोगियों को वे भाव देंगे। अपने हिसाब से सीटें देंगे। वे बहुत सौदेबाजी करने की स्थिति में नहीं रहेंगे। पूरा खेल राजद खासत
This story is from the June 2024 edition of DASTAKTIMES.
Subscribe to Magzter GOLD to access thousands of curated premium stories, and 9,500+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Sign In
MORE STORIES FROM DASTAKTIMES

DASTAKTIMES
सबका चहेता, सदाबहार हीरो संजीव कुमार
87वीं सालगिरह पर विशेष
8 mins
July - 2025

DASTAKTIMES
जहां मिलते हैं एक सींग वाले गैंडे
असम की वादियों में काजीरंगा भले टाइगर रिजर्व फॉरेस्ट घोषित किया गया हो लेकिन बरसों से इसकी पहचान यहां के एक सींग वाले गैंडे को लेकर रही है। एक सींगी गैंडे के साथ काजीरंगा केएनपी हाथी, जंगली जल भैंसों और दलदली हिरणों का प्रजनन स्थल भी है।
8 mins
July - 2025

DASTAKTIMES
पेसा पर फंसा पेच
झारखंड आदिवासी बहुल राज्य है, इसके बावजूद यहां अब तक पेसा कानून लागू नहीं हो पाया है। अब कांग्रेस इसे मुद्दा बना रही है, वहीं बीजेपी इस पूरे मामले को हवा दे रही है। सोरन सरकार ने इस कानून की नियमावली तैयार कर ली है जिसका विरोध भी शुरू हो गया है।
3 mins
July - 2025

DASTAKTIMES
जीवन की सभी बाधाओं से मुक्ति दिलाते हैं गुरु
श्री रामचरितमानस में गुरु की वन्दना करते हुए गोस्वामी तुलसीदासजी ने लिखा है कि गुरु 'नर' के रूप में 'नारायण' होता है और उसका स्वभाव 'कृपासिन्धु' का होता है।
3 mins
July - 2025

DASTAKTIMES
आस्था से अर्थव्यवस्था को मिली नई रफ्तार
चारधाम यात्रा 2025
7 mins
July - 2025

DASTAKTIMES
बोइंग-विमान हादसों की फेहरिस्त
भारत में अब तक नौ बड़े विमान हादसे हो चुके हैं। इनमें ज्यादातर हादसे बोइंग के हुए हालांकि इन हादसों में मानवीय चूक ज्यादा थी।
2 mins
July - 2025

DASTAKTIMES
जनता के दरबार में सीएम
मॉर्निंग वॉक के बहाने हर सुबह खुद जनता की नब्ज टटोलते हैं धामी
4 mins
July - 2025

DASTAKTIMES
बोइंग के बुरे दिन
दुनिया की सबसे भरोसेमंद एविएशन कंपनी रही बोइंग के बुरे दिन आ गए हैं। दुनिया में बहुत से विमान उड़ते हैं और हादसे भी होते हैं। अजब लेकिन दुखद संयोग है कि पिछले दस सालों में अलग-अलग विमान हादसों में कोई तीन हजार लोगों की मौत हुई, इनमें करीब आधे बोइंग के एयरक्राफ्ट में सवार थे। भारत में ही पिछले 10 साल में दो बड़े जानलेवा प्लेन क्रैश हुए और दोनों ही विमान बोइंग कंपनी के थे। बोइंग विमान पिछले दो दशक से विवादों में हैं। अहमदाबाद हादसे ने कंपनी की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं। मुसीबतों में घिरी अमेरिकी एविएशन कंपनी बोइंग पर 'दस्तक टाइम्स’ के प्रमुख संपादक रामकुमार सिंह की एक रिपोर्ट।
7 mins
July - 2025

DASTAKTIMES
वृंदावन कॉरिडोर का विरोध क्यों?
अयोध्या-काशी की तर्ज पर वृंदावन में प्रस्तावित बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर का विरोध नहीं थम रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने बांके बिहारी मंदिर के इर्द गिर्द 5 एकड़ जमीन अधिगृहीत करने की मंजूरी दे दी है, इसके बावजूद मंदिर की देखरेख करने वाला गोसाईं परिवार जिद पर अड़ा है, लेकिन योगी सरकार भी पीछे हटने को तैयार नहीं। आखिर क्या है यह विवाद, बता रहे हैं वरिष्ठ पत्रकार
7 mins
July - 2025

DASTAKTIMES
श्रीनगर तक ट्रेन यानी एक तीर से कई निशाने
दुनिया का सबसे ऊंचा 'चिनाब रेलवे ब्रिज' बनने के बाद कश्मीर घाटी आजादी के 76 साल बाद देश के रेलवे से अब सीधे जुड़ गई है।
10 mins
July - 2025
Listen
Translate
Change font size