Sadhana Path Magazine - December 2019
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धर्म - अध्यात्म, आयुर्वेद - स्वास्थ्य एवं ज्योतिष - संस्कृति की मासिक पत्रिका साधना पथ का दिसंबर अंक ओशो विशेषांक है जिसमें आप ओशो से जुड़े कई विविध आलेखों को पढ़ सकते हैं -
* मुझे कभी मृत मत समझना, मैं सदा वर्तमान हूं
* ओशो अमर हैं! महसूस करें उन्हें उनके चरण कमल से
* विशाल वटवृक्ष की तरह हैं ओशो
* सत्य! ओशो का सबसे बड़ा अपराध
* चिरागों की तरह जलती हुई ओशो की आंखें
मुझे कभी मृत मत समझना मैं सदा वर्तमान हूं
ओशो ने मृत्यु को उसी सहजता और हर्ष से वरण किया था जिस प्रकार से एक आम व्यक्ति जीवन को करता है। उन्होंने जगत को यही संदेश दिया कि मृत्यु के प्रति सदा जागरूक रहो, उसे वरण करो । आज ओशो भले ही अपना शरीर छोड़ चुके हों लेकिन अपने विचारों के माध्यम से वो आज विश्व में कहीं ज्यादा विस्तृत, विशाल रूप से मौजूद हैं।
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ओशो अमर है! महसूस करें उन्हें उनके चरण कमल से
प्रचीन भारत में हमेशा यह माना जाता रहा है आप केवल गुरु के चरणों तक पहुंच सकते हैं या छूचरणों तक पहुंच सकते हैं या छू ,सकते हैं , क्यों ?
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चिरागों की तरह जलती हुई ओशो की आंखें
1964 में मैं जबलपुर आया हुआ था, महाराष्ट्र सरकार की ड्रॉइंग की एक परीक्षा देने के लिए जो मुंबई के सर जे जे इंस्टीट्यूट ऑफ अप्लाइड आर्ट्स में दाखिले के लिए जरूरी थी। अपने एक सम्बंधी के यहां ठहरा हुआ था।
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ओशो की प्रथम शिष्या मा आनंद मधु
मा मधु वर्तमान में त्रिवेणी घाट के निकट गंगा किनारे एक गुजराती आश्रम में निवासित हैं। ओशो की पहली शिष्या होने के कारण, उनके दर्शन के लिए विश्व भर से लोग आते हैं।
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मा आनंद शीला के भारत आगमन का अर्थ
34 वर्ष बाद मा आनंद शीला अपने देश भारत आई तो वह आते ही मीडिया-जगत पर छा गई। यह होना स्वाभाविक था क्योंकि एक वर्ष पहले ही ऑनलाइन स्ट्रीमिंग सेवा नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई 'वाइल्ड वाइल्ड कंट्री' ने 6 किश्तों में मुख्यतःशीला को केंद्र पर रखा था ।
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विमल कीर्ति: एक सम्राट बना ओशो का चौकीदार
25 जनवरी 1947 को जन्मे राजकुमार विमल कीर्ति जर्मनी के एक सम्राट के पुत्र और ब्रिटिश प्रिंस चार्ल्स के बहनोई थे। ओशो को उन्होंने जर्मनी में सुना और परिवार सहित ओशो कम्यून, पुणे में आकर सदा के लिए बस गए।
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ओशो ने ही मुझे अत्यंत सफल फिल्मकर बनाया : सुभाष घई
सुभाष घई फिल्म जगत के प्रसिद्ध निर्माता - निर्देशक हैं । उन्होंने कर्ज, हीरो, खलनायक, ताल आदि अनेक सुपरहिट फिल्में दीं। उन्हें अनेक प्रतिष्ठित पुरस्कार मिल चुके हैं । उनका मानना है कि ओशो ने ही उन्हें अति सफल फिल्मकार बनाया है ।
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ओशो का वैज्ञानिक चिंतन
ओशो द्वारा दिए गए प्रवचन लगभग 650 हिंदी अंग्रेजी पुस्तकों में आबद्ध हैं। अब जबकि ओशो को दुनिया भर में स्वीकार किया जा चुका है, यह प्रासंगिक ही है कि उनकी विचार सरणी के उद्देश्य, महत्त्व, सार्थकता, वैज्ञानिक पक्ष आदि बिंदुओं को निष्पक्ष और स्पष्ट दृष्टिकोण से उकेरा जाए।
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विशाल वटवृक्ष की तरह हैं ओशो
प्रस्तुत आलेख कुटास्थानंद जी द्वारा ओशो पर दिए गए प्रवचन का संक्षिप्त रूप है। इनकी आवाज जैन मुनि तरुण सागर जी से मिलती-जुलती है जिस कारण जनमानस में यह भ्रांति है कि यह प्रवचन तरुण सागर जी का है।
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थैलियम की बूंदे
रोनाल्ड रीगन प्रशासन ने जब अपनी रूढ़िवादी, ईसाई नीतियों के प्रवाह में ओशो को अक्टूबर 1985 में अकारण गिरफ्तार किया तब किसे पता था कि सदियों पूर्व सुकरात को दिए गए जहर की घटना पुनः दोहराई जा रही थी। प्रस्तुत है ओशो रजनीश को जहर दिए जाने की इस घटना का एक शोधपूर्ण विवरण लेखिका सू एपलटन की कलम से।
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ओशो और विवेकः एक प्रेम कथा
सू एपलटन अपने पूर्व जन्म से ही ओशो की प्रेमिका रही है। अप्रैल 1971 में ओशो द्वारा संन्यास दीक्षा ग्रहण की। ओशो ने उसे नया नाम मा योग विवेक दिया। मा विवेक दिसंबर 09,1989 को अपने भौतिक जीवन से पृथक हो गई।
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युवा वर्ग एवं भविष्य के लिए नई दृष्टि
अकसर यह कहा जाता है कि ' भारत का युवा वर्ग राह खो बैठा है। ' वस्तुस्थिति , यद्यपि यह है कि भारत का युवा वर्ग देखता है, जानता है कि जिस राह पर वह खड़ा है वह सरासर गलत है। परंतु विडंबना यह है कि क्या गलत है और क्यों गलत है उसे वह ठीक से बता नहीं पाता है, समझा नहीं पाता है।
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ओशो के अष्टावक्र महागीता पर महाभाष्य
ओशो की यह महागीता जीवन के सभी सोपानों की तार्किक विवेचना करती है । गीता की मीमांसा करके ओशो ने जीवन की तलाश कर ली थी।
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मुझे समझने के लिए तुम्हें दिवाना मस्ताना होना पड़ेगा ।
ओशो को समझने के लिए आपको विचार शून्य होना होगा। कुछ भूलना होगा। जब नजर पर कोई सामाजिक चश्मा न रहेगा तो ओशो आपको सामने खड़े मिलेंगे ।
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अप्प दीपो भव:
स्वामी कृष्णवेदांत ओशो के वरिष्ठ संन्यासियों में से एक हैं। प्रस्तुत है ओशो के अध्यात्म पर स्वामी जी से साक्षात्कार के प्रमुख अंश
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सत्य-ओशो का सबसे बड़ा अपराध!
ओशो का सबसे बड़ा अपराध शायद यही रहा कि उन्होंने किसी को बरगलाया नहीं, धोरवा नहीं दिया। ऐसे व्यक्ति दुनिया में बहुत कम ही होते हैं, इसीलिए उनके रिवलाफ सामाज में दुष्प्रचार फैलाया गया। लेकिन ओशो अपने मार्ग से डिगे नहीं, ऐसे व्यक्ति को अपना आदर्श मानना बेहद कठिन और साहसिक कृत्य है।
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प्रेम और विवाह
जिसके जीवन में प्रेम की कोई झलक नहीं है, उसके जीवन में परमात्मा के आने की कोई संभावना नहीं है। प्रेम के अतिरिक्त कोई रास्ता प्रभु तक नहीं पहुंच सकता।
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ओशो : एकमात्र विकल्प
स्वामी चन्द्रमौली ओशो संन्यासियों में एक जाना-पहचाना नाम है। ओशो प्रचार-प्रसार में स्वामी जी का विशेष योगदान है। प्रस्तुत है उनसे हुई भेटवार्ता के कुछ महत्त्वपूर्ण अंश।
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नानक का धर्म नवीनतम है
नानक की 550 वीं जयंती एवं प्रकाश उत्सव पर प्रस्तुत है ओशो का विशेष प्रवचन जो उनकी 'एक ओंकार सतनाम' नामक पुस्तक में संकलित है ।
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क्या दुनिया बचेगी ?
ओशो 1960 से ही नए मनुष्य के बीज बोते रहे । नया मनुष्य ही अपनी व पृथ्वी की रक्षा कर सकता है । किन्तु लोग उनको नहीं समझ पाए । और यही दुर्भाग्य बन गया है ।
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ओशो का इंद्रधनुषी अध्यात्म: मायाजाल या समाधान
स्वामी अंतर जगदीश कई वर्षों से ओशो के अनुयायी हैं और ध्यान शिविरों का आयोजन करते रहे हैं । प्रस्तुत है उनसे साक्षात्कार के प्रमुख अंश ।
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ओशो ने दुनिया को हास्य से भर दिया
ओशो ने आधुनिक मनुष्य को हंसता, नाचता, गाता धर्म दिया। रोती बिलरवती तनावग्रस्त दुनिया को ठहाकों से भर दिया।
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विरोध को श्रद्धा में बदलने की कीमिया है ओशो में
मुकेश कुमार कवि तथा लेखक हैं। प्रारंभ में ये ओशो के विरोधी रहे। 2008 में हृदय परिवर्तित हुआ और ओशो नव-संन्यास में दीक्षा ग्रहण की, नया नाम मिला स्वामी आनंद अमितेष
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आधुनिक मनुष्य कौन है ?
कंटेम्प्रेरी , समकालीन मनुष्य को अस्तित्व में लाना है । वही मेरा काम है । यही कारण है कि हर कोई मेरे विरुद्ध है - क्योंकि वे लोग समकालीन नहीं हैं ।
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ओशो का सर्वाधिक लोकप्रिय 'सक्रिय ध्यान'
प्रतिस्पर्धा, एवं अति व्यस्तता के कारण आज का मनुष्य अति जटिल, कुंठित, चिंतित, निरूत्साहित, अवसादग्रस्त व तनावग्रस्त होता जा रहा है।
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ओशो का अमृत संदेश कैसे फैलाएं ?
ओशो के अमृत संदेश को जनमानस तक कैसे पहुंचाया जाए ? यह प्रश्न अनेक परिपक्व मित्रों के मन में अक्सर उठता है , खासकर उनके , जिन्होंने ध्यान साधना द्वारा परम सत्य का रसास्वादन किया है ।
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ओशो ने नारी को गौरवान्वित किया है
ओशो स्त्री को इस सृष्टि और जीवन का महत्त्वपूर्ण अंग ही नहीं मानते, अपितु उच्चतम दर्जा भी देते हैं। ओशो ने संपूर्ण मानव इतिहास की गलतियों को सुधारते हुए अपनी पहली संन्यास दीक्षा स्त्री को ही दी। ओशो ने स्त्रियों को संन्यास देते हए उनके नाम के साथ 'मा' शब्द को जोड़ा और इस तरह उन्होंने स्त्री की आंतरिक संभावना को आवाज दी।
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ओशो हैं इक प्यार का सागर
स्वामी ईशान महेश आध्यात्मिक उपन्यासकार एवं शिक्षक हैं । अपनी ध्यान-यात्रा में जाने का श्रेय वे ओशो के अंतरंग शिष्यों को देते हैं। प्रस्तुत है ओशो के प्रति स्वामी ईशान महेश का दृष्टिकोण।
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Sadhana Path Magazine Description:
Publisher: Diamond Magazines Pvt. Ltd
Category: Health
Language: Hindi
Frequency: Monthly
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