Swasthya Vatika Magazine - Stress ManagementAdd to Favorites

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In this issue

Current Swasthya Vatika’s issue is Stress management Special. This important issue consists of articles like Diseases due to Stress, Covidsomnia, Enhance oxygen level by ayurvedic remedies, Stress management by Diet, yog chikitsa & Ayurvedic treatment, Stong lungs, Herbs for mental Stress, Importance of pranayam & Bandh, Stress-free lifestyle, Health & Stress, Naturopathy in mental stress, control of breathing- Control of life etc

कोरोना के बाद ध्यान रखने योग्य बातें

आज 10 माह हो चुके हैं, जब इस नोवल कोरोना वायरस ने दुनिया में अपनी दस्तक थी। इसे नोवला नबीन) 6 माह बाद नहीं कहा जाना चाहिए क्योंकि उस वायरस के बारे में हम ज्यादातर जानकारियाँ हासिल कर लेते हैं, लेकिन इस कोरोना के बारे में, इसके इलाज व उपद्रवों के बारे में आज भी हम आश्वस्त नहीं हो पाए हैं।

कोरोना के बाद ध्यान रखने योग्य बातें

1 min

कोविड-19 में आयुर्वेद की उपयोगिता

शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता अच्छी बनाए रखने के लिए आयुर्वेदानुसार स्वस्थवृत्त, सद्वृत्त, दिनचर्या, ऋतुचर्या का पालन, योगाभ्यास, प्राणायाम, ध्यान और पंचकर्म व रसायन औषधियों का प्रयोग करना चाहिए। ये एक-दूसरे के विकल्प नहीं बल्कि पूरक है। योग से शरीर पूर्णतया स्वस्थ रहता है। रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ने के साथ ही श्वसन तंत्र भी मजबूत होता है। प्रतिदिन नियमित तौर पर योगासन करने से शरीर में श्वेत रक्त कोशिकाओं में वृद्धि होती है। इन्ही की वजह से रोग से प्रतिरोधात्मक क्षमता बढ़ती है। कोरोना नाम की बीमारी से बचने के लिए हम सभी को अपने घर पर ही प्राणायाम व यौगिक क्रियाओं का अभ्यास करना चाहिए।

कोविड-19 में आयुर्वेद की उपयोगिता

1 min

तनाव

लाभदायक भी नुकसानदायक भी

तनाव

1 min

किडनी रोग और कोरोना

गुर्दे की बीमारी ना फैलने वाला रोग (NCD) है और वर्तमान में दुनिया भर में लगभग 850 मिलियन लोगों को प्रभावित करती है। इनके 10 वयस्कों में से 1 को क्रोनिक किड़नी डिजीज (CKD) होता है। एक बड़ी चिंता यह है कि बीमारी वाले इन मरीजों में कोरोना वायरस संक्रमण पर किडनी ज्यादा खराब होने की संभावना बढ़ जाती है। इसका कारण यह है कि उनके पास खराब प्रतिरक्षा प्रणाली होती हैं। यह किडनी प्रत्यारोपण के रोगियों के साथ साथ उन लोगों पर भी लागू होता है जो इम्यूनोसप्रेशन पर है जिनमें नेफ्रोटिक सिंड्रोम और SLE(Systemic lupus Erythemetous) के रोगी शामिल हैं।

किडनी रोग और कोरोना

1 min

एंटी ऑक्सीडेंट्स- वृद्धावस्था में उपयोगी

एंटी-ऑक्सिडेंट्स खाद्य पदार्थ में मौजूद वे पोषक तत्व हैं, जो शरीर में ऑक्सीकरण संबंधी नुकसान की गति को कमजोर करने या उसे पूरी बेअसर करने में सक्षम होते है। ऑक्सीजन का इस्तेमाल करते समय शरीर की कोशिकाओं से ऐसे बाय-प्रोडक्ट उत्पन्न होते हैं, जो शरीर के लिए नुकसानदेह होने के साथ-साथ कई बीमारियों का जन्मस्थान बन सकते हैं। एंटी-ऑक्सिडेंट्स को हम सफाई करनेवाले समर्पित कर्मचारी कह सकते हैं।

एंटी ऑक्सीडेंट्स- वृद्धावस्था में उपयोगी

1 min

इम्यूनिटीवर्धक रसायन चिकित्सा

व्यस्त जीवनशैली, आहार का गिरता स्तर, प्रदूषित जल व वायु के संपर्क में सतत रहना, व्यायाम का अभाव आदि के कारण व्यक्ति के शारीरिक स्वास्थ्य का स्तर व निरंतर चलने वाले चलचित्र, कुसंगति व दुर्व्यसनों के कारण व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य का स्तर दिन प्रतिदिन गिरता जा रहा है। इस हालत में ऐसी प्रभावशाली व गुणकारी दिव्य औषधि की आवश्यकता है, जो व्यक्ति को शारीरिक व मानसिक रूप से पूर्ण स्वास्थ्य की उपलब्धि करा सके। आयुर्वेद में ऐसी प्रभावशाली दिव्य औषधि अर्थात् रसायन औषधि का वर्णन है। आज के कोरोना काल में यह औषधि इम्युनिटी वर्धन का काम करती है।

इम्यूनिटीवर्धक रसायन चिकित्सा

1 min

आयुर्वेद द्वारा इम्युनिटी वृद्धि

आज संपूर्ण विश्व में कोरोना वायरस से त्राहि-त्राहि मची हुई है। भारत में कोरोना वायरस के दस्तक देने के साथ ही ये बहस शुरू हो गई कि इस वायरस का उपचार आधुनिक चिकित्सा पद्धति में तो नहीं है सिर्फ लाक्षणिक चिकित्सा दे सकते हैं। विचार किया गया कि क्या इस वायरस से निपटने के लिए कोई वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति हो सकती है? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आयुष मंत्रालय के तहत आयुर्वेद तज्ञों की मीटिंग बुलाकर चर्चा की कि जिनकी इम्युनिटी मजबूत है वे इस वायरस से मुकाबला कर सकते हैं । जबकि इम्युनिटी बढ़ाने के लिए आयुर्वेद में वनौषधियों व जीवन शैली का वर्णन है । अतः आयुर्वेद तज्ञों ने इम्युनिटी बढ़ाने में आयुर्वेद की भूमिका को लेकर चर्चा की। हमारे रसोई घर में उपलब्ध अनेक खाद्य वस्तुओं व मसालों से इम्युनिटी बढ़ सकती है ऐसा निष्कर्ष निकाला गया।

आयुर्वेद द्वारा इम्युनिटी वृद्धि

1 min

त्वचा रोग में प्राकृतिक चिकित्सा

व्यक्ति की त्वचा से उसके सौन्दर्य, व्यक्तित्व एवं सुन्दरता का ही दर्शन नहीं होता बल्कि उसकी आन्तरिक शक्तियों का भी आभास होता है । प्रकृति एवं परमात्मा द्वारा दी गई शक्तियों का दर्पण त्वचा का तेज होता है । व्यक्ति का रंग कैसा ही क्यों न हो, उसका आन्तरिक आकर्षण प्रत्येक नर नारी को अपनी ओर खींच लेता है । इसलिए त्वचा की देखभाल करना प्रत्येक स्त्री पुरुष का धर्म है । त्वचा प्रकृति की अमूल्य भेंट है, जिसको स्वच्छ रखे बिना व्यक्ति का जीवन अधूरा है । ईश्वर ने त्वचा को आन्तरिक विकारों के निष्कासन का ऐसा द्वार बनाया

त्वचा रोग में प्राकृतिक चिकित्सा

1 min

ग्रीष्म ऋतु में होनेवाले त्वचाविकार एवं उपाय

जलद गति से पुनः निर्माण होते है एवं चिरकाल तक चलते है इसी कारण इनके उपायों की योजना करते वक्त सर्वांगीण विचार करना अत्यंत जरूरी है।

ग्रीष्म ऋतु में होनेवाले त्वचाविकार एवं उपाय

1 min

कोविङ-19 का मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव

पिछले कुछ महिनों से पूरे विश्व में नोवेल कोरोना वायरस पर जोरों से चर्चा शुरू है। इसका प्रभाव सिर्फ भारत पर ही नहीं पूरे विश्व पर पड़ा है जल्द ही कुछ समय में इस वायरस ने दुनिया को अपनी आगोश में जकड़ लिया।

कोविङ-19 का मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव

1 min

कॉर्न में अग्नि कर्म

पैर के तलवे में होने वाली मामूली सी तकलीफ कॉर्न इतनी पीड़ा दायक होती है कि रोगीका चलना भी मुश्किल कर देती है। जरा सी ठोकर लगने पर रोगी कराह उठता है।मजाने कितने उपायन चिकित्सा करता है परंतु राहत नहीं पाता, ऐसे रुग्णों में आयुर्वेद की अग्निकर्म चिकित्सा के उत्तम परिणाम मिखते है। आइये, कॉर्न व अग्निकर्म की जानकारी प्राप्त करें।

कॉर्न में अग्नि कर्म

1 min

मुंहासों के लिए योग चिकित्सा

दोनों हाथों को उपर उठाकर सामने झुके और दोनों हाथों को जमीन पर फैलाये ताकि कोहनियाँ सीधी रहे। नाक या माष्या जमीन पर विना मुझे उठाये लगाने की चेष्टा करें। 20-25 श्वास-प्रश्वास होने तक इस आसन की स्थिति में रूके फिर उपर उठे. एक बार इसे दोहरायें।

मुंहासों के लिए योग चिकित्सा

1 min

“सतसंगति मिले सु तरिआ

पांचवी पातशाही श्री गुरु अरजनदेव महाराज ने अपने शिष्य माधवदास जी को गुरवाणी प्रचार हेतु कश्मीर भेजा जहां वे प्रतिदिन कथा कीर्तन संगत को सुनाया करते थे व संगत भी बड़े उत्साह के साथ दूर दराज से सुनने आती थी।

“सतसंगति मिले सु तरिआ

1 min

वृद्धावस्था में स्वाथ्य सुरक्षा

वृद्धावस्था मानव जीवन का वह पड़ाव है, जहां व्यक्ति एकान्त मेंशान्तिपूर्ण जीवन बिता सकता है, उसकी शारीरिक शक्ति भले ही कम हो जाये, किन्तु अगर उसकी मानसिक शक्ति अर्थात इच्छाशक्ति मजबूत हो , तो वह सभी कार्य कुशलता से कर सकता है। आयु बढ़ना एक स्वाभाविक प्राकृतिक प्रक्रिया है, इसलिये इससे बुढ़ापे की हीन भावना नहीं आनी चाहिए कि मैं तो अब कमजोर हूं, लाचार हूं, दूसरों पर निर्भर हूं, बल्कि इसके विपरीत आत्मविश्वास के साथ आत्मनिर्भर होकर दूसरों का भी सहयोगी बनकर स्वंय को उपयोगी सिद्ध करना चाहिए. वृद्धावस्था जीवन की वह सांझ है, जहां अनुभव का प्रकाश दमकता है, जहां मधुर वाणी की बयार बहती है, जहां प्रेम और स्नेह की भागीरथी प्रवाहित होती है

वृद्धावस्था में स्वाथ्य सुरक्षा

1 min

हार्ट अटैक -: एक सत्य

हृदय मात्र एक पम्प का कार्य करता है । हृदय धमनियों द्वारा खून को प्रत्येक अंग तक पहुँचाता है व वाहिनियों द्वारा रक्त को फेफड़ों तक पहुँचाता है । जब इन धमनियों में कोई रूकावट आ जाती है तो हृदय ठीक से काम नहीं कर पाता है और धमनियों द्वारा जहाँ खून को सीधे पहुँचाया जाता है, वह अंग क्षतिग्रस्त होने लगते हैं जैसे मस्तिष्क, हृदय आदि तथा इसी स्थिति में हार्ट अटैक व पैरालायसिस भी हो जाते हैं ।

हार्ट अटैक -: एक सत्य

1 min

हायपर एसिडिटी फास्ट फूड की देन

वर्तमान भाग दौड़ के युग में मनुष्य के आहार विहार में काफी परिवर्तन आ गया है । आयुर्वेद में आहार के का विशेष रूप से वर्णन किया गया है । षड्रस का वर्णन आयुर्वेद के अंतर्गत ही आता है । मधुर, अम्ल, लवण, कटु, तिक्त व कषाय इन 6 रसों का आहार में समावेश होना स्वास्थ्य के लिए हितकारी है, ऐसा आयुर्वेद के मनीषियों का कथन है । परंतु आज स्थिति विपरीत है । भोजन में मसालेदार, तीखे, खट्टे, चटपटे पदार्थों का ज्यादा समावेश कर उसे स्वादिष्ट बनाया जाता है, जो हमें उस समय तो स्वाद के कारण रोचक लगते हैं, किंतु कालांतर में रोगकारी सिद्ध होते हैं ।

हायपर एसिडिटी फास्ट फूड की देन

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स्वास्थ्य का आधार मेटाबोलिज्म

मेटाबोलिज्म की प्रक्रिया में भोजन ऊर्जा में परिवर्तित होता है और यह शरीर में टूट-फूट और तंत्र निर्माण तथा शरीर की उपापचय प्रक्रिया को दूरुस्त करता है। मोटे तौर पर मेटाबोलिज्म हमारे शरीर की वह प्रक्रिया है जो हमारेशरीर के व्यस्त कार्यकाल में गृह निर्माण की प्रक्रिया को 24 घंटे जारी रखती हैं।

स्वास्थ्य का आधार मेटाबोलिज्म

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स्त्रियों की आम बीमारी ल्यूकोरिया

आमतौर पर किसी भी महिला के योनि मार्ग में उतना ही स्त्राव होता है, जितना कि उसके जननांगों को ( योनि को ) गीला रखने के लिये काफी होता है । यह बहुत ही सीमित मात्रा में होता है । सामान्य स्वस्थ महिला में यह हल्का यह योनि प्राकृतिक तौर पर हुआ सापाया जाता है । जमा स्त्राव गर्भावस्था के दौरान, शिशु जन्म के तुरन्त बाद के महीनों में, गर्भपात के बाद, एवं मासिकधर्म आने के पहले बढ़ जाता है । यह बिल्कुल सामान्य है एवं उसमें कुछ भी बीमारी सरीखी बात नहीं होती है । यह स्त्राव यौन उत्तेजना के समय भी बढ़ जाता है ।

स्त्रियों की आम बीमारी ल्यूकोरिया

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सिकल सेल एनिमिया

सामान्य रूप से लाल रक्त कोशिकाओं की आयु 120 दिनों तक होती है किंतु सिकल सेल वाले रक्त कोशिकाओं की आयु 15-20 दिनों तक रह जाती है। जितनी संख्या में लाल रक्त कोशिकाएं टूटती है उतनी संख्या में उनका निर्माण नहीं हो पाता इसलिए सिकल सेल एनिमिया रोग से पीड़ित व्यक्तियों में हमेशा खून की कमी बनी रहती है।

सिकल सेल एनिमिया

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महिलाओं का मानसिक स्वास्थ्य

सुखी एवं प्रसन्न रहने के लिए महिलाओं का शारीरिक और मानसिक दोनों रूप से स्वस्थ और निरोगी होना जरूरी है। लेकिन कई महिलाएं शारीरिक रूप से स्वस्थ होते हा भी मानसिक तौर पर अस्वस्थ रहती हैं। मानसिक अस्वस्थता का मतलब यह नहीं कि वे विक्षिप्त या अर्द्धविक्षिप्त होती हैं। किसी भी तरह की मानसिक परेशानी, उलझन, तनाव, डिप्रेशन आदि मानसिक अस्वस्थता की निशानी है। वैसे तो स्त्री और पुरुष दोनों ही मानसिक अस्वस्थता के शिकार हो सकते हैं, लेकिन यहां केवल महिलाओं के मानसिक स्वास्थ की चर्चा की जा रही है।

महिलाओं का मानसिक स्वास्थ्य

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गुड़ के स्वास्थ्यकारक प्रयोग

गुरु में प्रोटीन, कार्योहाइड्रेट, विटामिन्स । नया है होता भंडार लवर्णों का तथा खनिज गुड़ पित्त एवं गरमी बढ़ाता है । अतः गुड़ एक वर्ष पुराना ही उपयोग में लाना चाहिए । आयुर्वेदिक मत के अनुसार गुड़ वातनाशक, बलकारक, मूत्र शोधक, थोड़ा पित्तनाशक, कफ को बढ़ने नहीं देता, थोड़ा कृमि पैदा करने वाला होता है ।

गुड़ के स्वास्थ्यकारक प्रयोग

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किडनी विकार

आजदेश में लगभग 5 लाख ऐसे मरीज हैं, जिनकी किडनी पूरी तरह खराब हो चुकी हैं। हर साल एक लाख नए मरीज बढ़जाते हैं। देश के प्रत्येक 2,000 परिवार में से एक परिवार इस बीमारी से ग्रसित है। केवल दो प्रतिशत लोगों को ही उचित उपचार मिल पाता है।

किडनी विकार

1 min

आहार ही औषधि है

आहार चिकित्सा में प्रमुख सिद्धात एक ही है भाँति भाँति के मिश्रणों से बचा जाए; प्राकृतिक आहार को ही साधक की प्रकृति के अनुरूप दिया जाए । धातु परिशोधन व बलपुष्टि के लिए इससे बढ़कर और कोइ साधन नहीं । एक ही आहार से संतोष कर उसे सजीव एवं प्राकृतिक रूप लिया जाए तो उसके चमत्कारी परिणाम होते हैं । वन में करने वाले प्रकृति के संपर्क में रहने वाले पशु पक्षी कहाँ मसालेदार भोजन खाते हैं । वे कभी अस्वस्थ होते देखे नहीं जाते ।

 आहार ही औषधि है

1 min

अनिद्रा - यौगिक तथा घरेलू इलाज

अनिद्रा के रोगी को नींद न आने की ही सबसे बड़ी चिन्ता रहती है। यह नींद न आने की प्रबल चिन्ता ही नींद में बाधक हो जाती है। मनुष्य की चेतना जब तक अपना साधारण काम करती है तब तक जाग्रतावस्था रहती है। जब चेतना की सामान्य क्रियाएँ बन्द हो जाती है तब सुषुप्तावस्था उत्पन्न हो जाती है। इसे ही निद्रा कहते है। निद्रा में मस्तिष्क के स्नायु अपना काम करना बन्द कर देते है। शरीर के दूसरे भाग अपना कार्य करते रहते हैं, किन्तु इस क्रिया का नियन्त्रण मस्तिष्क के द्वारा नहीं होता है। इसका नियंत्रण स्वतंत्र नाड़ी मण्डल के द्वारा होता है।

अनिद्रा - यौगिक तथा घरेलू इलाज

1 min

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Swasthya Vatika Magazine Description:

PublisherGkumar Prakashan

CategoryHealth

LanguageHindi

FrequencyQuarterly

Quarterly health magazine in Hindi covering general aspects about health of all the members of a family. Includes sections like Ayurveda, Panchkarma, Yogasana, Naturopathy, Obstetric and Paediatric care, Beauty etc. Easy to understand language.

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