शिक्षक हर जगह हैं
दुनियाँ शिक्षकों से भरी है। सृष्टि का हर पहलू हमें कुछ सिखा सकता है। हमें बस अच्छे छात्र बनना है। सभी लोग एक शिक्षक हैं। जैसे हर कोई किसी का बेटा या बेटी या भाई या बहन है, वैसे ही हर कोई किसी न किसी समय एक शिक्षक है और, शिक्षक जो छात्र के विकास के अलावा कुछ नहीं चाहता है, वह जो शिष्य की उन्नति से खुश होता है, वह सच्चा गुरु है।
छात्र का उत्थान करते समय, एक शिक्षक के ध्यान का एकमात्र केंद्र छात्र हो जाता है, वह केवल शिक्षा प्रदान नहीं करता,बल्कि उससे बढ़ कर एक प्रतिपालक बन जाता है और शिष्य में विवेक जागृत करता है। यह एक गुरु की भूमिका है। इसलिये, जब कोई किसी के उत्थान के लिए कुछ करता है, तो वह व्यक्ति गुरु की भूमिका निभाता है। इसका मतलब यह नहीं है कि कल से आप हर किसी को बताते फिरें कि, 'ठीक है,अब से मैं आपका गुरु हूं, आप ‘सोहम्' करें।'
एक सच्चा शिक्षक होने के लिये, हमें सरल और स्वाभाविक होना चाहिये । एक प्रोफेसर हर समय एक प्रोफेसर की तरह व्यवहार नहीं कर सकता, वह अपनी पत्नी और अपने बच्चों के लिये इस भूमिका में नहीं रह सकता । इसी तरह हर समय शिक्षक न रहें। आपका परिवार तब मुश्किल में पड़ जायेगा। वे आप से थक जाएंगे!
जानते हैं, एक बार एक दम्पति हमारे आर्ट ऑफ लिविंग कोर्स में भाग लेने आया था। जब भी शिक्षक एक पॉइंट बताते जैसे कि, 'लोग जैसे हैं, उन्हें वैसे ही स्वीकार करो' तो पति तुरंत पत्नी की ओर मुड़ता और कहता,-देखो मैंने तुम्हें यह पहले ही नहीं बताया था?
वह अपनी पत्नी को तो बता रहा है, लेकिन खुद पर यह ज्ञान लागू नहीं कर रहा ! इसलिये सभी का सम्मान करें। स्वाभाविक रहें, और साथ ही, ज्ञान और ध्यान की गहराई को जानें। एक शिक्षक के रूप में आपको एक उदाहरण स्थापित करना होगा।
श्रेष्ठ शिक्षक
एक अच्छा शिक्षक वह है जो छात्र को अच्छी तरह से समझता है और उसकी उलझनों को दूर करता है। जब छात्र सीख रहा होता है, तो उलझने तो आती ही है। उलझन में होना एक वरदान है, क्योंकि उलझन की स्थिति में आपके दिमाग में एक अवधारणा टूट जाती है और एक नई अवधारणा बन जाती है। यह प्रगति का संकेत है।
स्कूल के समय को याद करने पर आपको उन सभी विभिन्न शिक्षकों की उपस्थिति का अहसास होता है, जो आपको आगे बढ़ने में सहायता करने के लिये उपलब्ध रहे। यदि आप एक शिक्षक हैं, तो आपको वे सभी तरह की तैयारियाँ करनी पडती हैं, जिन से आप अपने छात्रों के विकास में उत्साहपूर्ण और रचनात्मक बने रहें। छात्र-शिक्षक संबंध में पारस्परिक प्रशंसा और एक दूसरे की सफलता और उत्कृष्टता की इच्छा निहित रहती है।
महान शिक्षकों में 3 गुण होते हैं
१.धैर्य
एक छात्र एक धीमा शिक्षार्थी हो सकता है, लेकिन एक शिक्षक का धैर्य स्थिति को बदल सकता है। अच्छे शिक्षकों में बहुत धैर्य होना चाहिये। छात्रों को समझना, यह जानना कि वे कहाँ से आते हैं, और हर कदम पर उनका मार्गदर्शन करना आवश्यक है। एक अच्छा शिक्षक छात्र को एक ही अवधारणा पर पकड़ बनाने की अनुमति नहीं देता। अवधारणा एक कदम की तरह है। अगले कदम पर बढ़ने के लिये छात्र को पहली अवधारणा को छोडना ही पड़ता है। एक शिक्षक को उलझन की स्थिति में छात्र का मार्गदर्शन करना चाहिये और आवश्यकता पड़ने पर उलझन पैदा भी करनी पड़ती है
२. प्यार करने वाला, परंतु सख्त
आपको ऐसे शिक्षक मिलते हैं जो बहुत प्यार करते हैं, और फिर आपको ऐसे शिक्षक भी मिलते हैं, जो बहुत सख्त होते हैं। उनमें से प्रत्येक पृथक रूप से अच्छा शिक्षक नहीं बन सकता। तो, आप में दोनों गुण होने चाहिये। मुझे याद है कि हमारी एक इतिहास की शिक्षिका थी, और वह बहुत प्यारी थी, इसलिये हर कोई उसकी कक्षा में रहना पसंद करता था। भौतिक विज्ञान के शिक्षक बहुत सख्त, बहुत कठोर थे, इसलिये हर कोई उनसे डरता था, लेकिन उनकी कक्षा में उच्च अंक प्राप्त करता था। तो, आपको सख्त और मीठा दोनों होने की आवश्यकता है, अन्यथा आप उन छात्रों का उस ओर मार्गदर्शन करने में सक्षम नहीं होंगे, जहाँ आप उन्हें ले जाना चाहते हैं।
३. छात्र की उत्कृष्टता चाहने वाला
भारत में, छात्र-शिक्षक संबंधों के बारे में एक बहुत ही सुंदर लेकिन अदभुत विचार है। गुरु कहता है कि मेरे शिष्य को मुझ से जीतना चाहिये, और शिष्य कहता है कि गुरु को जीतना चाहिये। दोनों एक दूसरे के लिये जीत की कामना करते हैं, यह सर्वाधिक स्वास्थ्यप्रद स्थिति है।
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