Modern Kheti - Hindi Magazine - December 16,2019
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Food processing
पी सी 6 : अफरीकन सरसों कंबाईन से कटाई के लिए उपयुक्त
खाद्य तेल वसा का तथा दालें प्रोटीन का प्रमुख स्रोत हैं जिनका सेवन मनुष्य की शारीरिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए आवश्यक है। इसके अतिरिक्त इनमें कई प्रकार के विटामिन , मिनरल (खनिज) , एंटी आक्सीडेंट आदि तत्व पाये जाते हैं ।
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हरियाणा के पिंजौर में आधुनिक सुविधा युक्त सेब और गुड़गांव में बनेगी फल मंडी
हरियाणा के कृषि मंत्री जेपी दलाल ने कहा कि किसान धान व गेहूं की परम्परागत खेती को छोड़कर बागवानी व फूलों की खेती सरकार राज्य में कर अधिक मुनाफा कमाएं । चार - पांच बड़ी मंडियां तैयार करेगी ।
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गाजर घास : समस्या और समाधान
डॉ . मानवेन्द्र सिंह , अनुसंधान प्राविधिज्ञ , अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान , दक्षिण एशिया क्षेत्रीय केन्द्र , वाराणसी डॉ . रविन्द्र कुमार राजपूत , विषय वस्तु विशेषज्ञ ( मृदा विज्ञान ) कृषि विज्ञान केन्द्र , मथुरा
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दलहनी फसलों के प्रमुख कीट एवं उसका एकीकृत प्रबंधन
भारतीय कृषि पद्धति में दालों की खेती का महत्वपूर्ण स्थान है , दलहनी फसलें भूमि को आच्छाद प्रदान करती हैं जिससे भूमि का कटाव कम होता है ।
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बिना आग लगाये बोई गेहूं की स्थिति पर चुनौतियां
हैपी सीडर या सुपर सीटर नाम की मशीन से संभव हुआ है । इन मशीनों को देखकर महसूस हो रहा है कि शायद पुआल की समस्या दूर हो चुकी है क्योंकि धान की कटाई के बाद एक मशीन से ही बड़ी आसानी से धान के अवशेष को बिना आग लगाये गेहूं की बिजाई हो जाती है ।
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टमाटर की नई किस्म से 1,400 क्विंटल तक प्रति एकड़ ले सकेंगे किसान
टमाटर की खेती करने वाले किसानों के लिए कानपुर के चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय ( सीएसए ) ने नई किस्म विकसित की है जिससे प्रति हैक्टेयर उत्पादकता 1,200 से 1,400 क्विंटल तक ली जा सकती है । टमाटर की इस किस्म को नामधारी 4266 का नाम दिया गया है , जो अब किसानों के लिए उपलब्ध है ।
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शहद के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए निर्यात निरीक्षण
देश से खासकर के सरसों फूल से बने शहद का निर्यात किया जाता है जिसकी विदेशों में भारी मांग है । उन्होंने बताया कि अजवाइन , लीची , युकिलिप्टस , जामुन व अन्य फूलों से बने शहद की घरेलू स्तर पर ही खपत हो जाती है ।
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किसान आत्महत्याओं को रोकने के लिए रोजगार के अवसर पैदा करने की आवश्यकता
कृषि मजदूरों, जो स्वयं को रोजगार के लिए आयोग्य मानते हैं, के लिए कौशल विकास रणनीतियां विकसित करने पर जोर देती है।
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2030 तक खाद्य तेलों के आत्मनिर्भर बनने का लक्ष्य
दलहन और तिलहन की आयात पर निर्भरता कम करने के लिए सरकार देश में इनका उत्पादन बढ़ाने के प्रयास कर रही है। इसके लिए इनकी सरकारी खरीद बढ़ाई गई है।
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समन्वित कृषि प्रणाली को अपनाने वाले ओमप्रकाश चौधरी
वर्तमान में भारत जैसे कृषि प्रधान देश की कृषि पृष्ठभूमि से जुड़ा हर व्यक्ति 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के लिए जी तोड़ मेहनत कर रहा है ।
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मृदा विज्ञानी ह्यूग हैमन बेनेट
मृदा के होने वाले प्रयोगों के लिए बेनेट द्वारा स्थानों का निर्धारण किया गया था । भिन्न - भिन्न स्थानों एवं फसलों पर मृदा के कटाव पर होने वाले प्रयोगों के लिए अनुसंधानकर्ताओं के ग्रुपों को इन प्रयोगों में शामिल किया गया ।
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प्रकृति को संवारने में लगी प्रिया दत्त और रेनु वाध्वा
पर्यावरण संरक्षण का ऐसा कार्य हो , जिसके साथ - साथ धर्म और सांस्कृति का भी संरक्षण हो धरती पर ज्यादा से ज्यादा सकारात्मक ऊर्जा का संचार हो सके । जिससे मानव जाति में शारीरिक और मानसिक अक्षमताएं दूर हो सकें और जहरीली दवाइयों से मुक्ति मिल सके ।
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कैसे शुरू हो फूड प्रोसैस्सिंग उद्यम ?
भारत का कुल खाद्य उत्पादन दोगुना हो सकता है । खाद्य एवं फूड प्रोसैसिंग के क्षेत्रों में बड़े निवेशों के बहुत अवसर आ रहे हैं । डेयरी , फूड प्रोसैस्सिंग , पैकेजिंग फरोज़न फूड , रखरखाव एवं थर्मो प्रोसैस्सिंग , फल एवं सब्जियां , सप्लीमैंट प्रोसैस्सिंग , मत्स्य पालन , दूध एवं दूध उत्पाद , मीट एवं पोल्ट्री , डिब्बा बंद भोजन , साफट ड्रिंक एवं फसल के दाने , फूड प्रोसैस्सिंग उद्योग के कुछ मुख्य क्षेत्र हैं ।
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गेहूं की फसल में खरपतवार प्रबंधन
डॉ. राम प्रताप सिंह, सहायक प्राध्यापक (सस्य विज्ञान), आचार्य नरेन्द्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, कुमारगंज , अयोध्या - 224229 (उ.प्र.)
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रबी फसल में खरपतवार प्रबंधन
सुधाकर सिंह , राघवेंद्र सिंह , शोध छात्र , सस्य विज्ञान , आचार्य नरेन्द्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विवि . , कुमारगंज , अयोध्या
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पशुओं में लंगड़िया रोग एवं उनका उपचार
डॉ. विजय चन्द्रा ( वरिष्ठ वैज्ञानिक-पशु विज्ञान ) , डॉ.डी.पी.सिंह ( वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष ) , एवं राघवेन्द्र सिंह ( शोध छात्र-शस्य विज्ञान ) कृषि विज्ञान केन्द्र, बसुली, महराजगंज ( आचार्य नरेन्द्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय , कुमारगंज , अयोध्या )
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Modern Kheti - Hindi Magazine Description:
Publisher: Mehram Publications
Category: Business
Language: Hindi
Frequency: Fortnightly
Modern Kheti, as the name indicates, relates to the modern agricultural techniques; conservative and cash crops, allied professions and farm machinery through training programs or upcoming events on a national and international level. Introduced in 1987, it is the leading and most widely read agriculture based magazine throughout Northern India. Punjab and Haryana, extensively known as the food grain basket of India, has in almost every household Modern Kheti, as it caters to every aspect of farming like growing of seasonal crops, their problems & solutions, conservative and cash crop farming. It also covers – fishery, poultry dairy, bee keeping, floriculture, horticulture etc. The main aim of Modern Kheti is to keep up the spirit of farming, bond different regions and help agriculture grow. It inspires the youth to take up agriculture as farming with a lot of emphasis on organic and profitable farming. It keeps in mind the health and prosperity of all i.e. taking mankind and nature together. It is published Fortnightly in Punjabi and Hindi and covers the whole of Punjab, Haryana, Rajasthan, Himachal Pradesh, Uttaranchal etc. It is undoubtedly one of the best mediums trying to provide healthy information.
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