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इंडो पैसिफिक रणनीति को धार देती भारत सरकार
DASTAKTIMES
|July 2024
2018 में सिंगापुर में शांगरी-ला संवाद में भारतीय प्रधानमंत्री ने इंडो पैसिफिक की धारणा को स्पष्ट करते हुए बताया था कि इसमें समूचे हिंद महासागर से लेकर पश्चिमी प्रशांत महासागर तक का क्षेत्र शामिल है। इसमें भारतीय दृष्टिकोण से अफ्रीका, अमेरिका और जापान के क्षेत्र शामिल हैं। भारत का इंडो पैसिफिक रणनीति इन सब भौगोलिक आयामों को शामिल करते हुए आसियान केन्द्रीयता को भारतीय इंडो पैसिफिक रणनीति का आधार स्तंभ मानती है। समावेशिता और खुलापन भारत की इस नीति के अनिवार्य अंग हैं।

हिंद महासागर क्षेत्र में ब्लू वॉटर नेवी फोर्स के रूप में दम खम रखने की इच्छा रखने वाले और इसके लिए मैरीटाइम डोमेन अवेयरनेस को संस्थागत रूप देने का प्रयास करने वाले देश भारत के प्रधानमंत्री पुनः सत्ता ग्रहण कर चुके हैं। उन्होंने अपने शपथ ग्रहण समारोह में भारत के पड़ोसी देश खासकर हिन्द महासागर के महत्वपूर्ण देशों मालदीव, श्रीलंका, बांग्लादेश, मारीशस को अपने शपथ ग्रहण समारोह में आमंत्रित किया और इसके जरिए सागर विजन से जुड़ी कूटनीति को फिर से ऊर्जा देने का प्रयास शुरू किया है। इसके साथ ही एक बार फिर भारत की हिन्द महासागर में द्वीपीय कूटनीति और विस्तारित पड़ोसी (एक्सटेंडेड नेबरहुड) की नीति के औचित्य को यहां देखा जा सकता है। भारत मारीशस को अपना विस्तारित पड़ोसी घोषित कर चुका है। साथ ही भारत व्यापक अर्थों में हिन्द महासागर क्षेत्र को भी अपने एक्सटेंडेड बहु के रूप में देखता है। इसके अलावा नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल प्रचंड को भी भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में आमंत्रित किया गया। दरअसल, हाल के समय में जिस तरह से नेपाल के साथ काला पानी, लिपुलेख विवाद उभरता रहा है और फिर नेपाल ने अपनी मुद्रा पर इन क्षेत्रों को दर्शाया है, उसके बाद से यह माना जा रहा था कि नेपाल के साथ संबंधों को और सामान्य करने के लिए भारत सरकार कुछ न कुछ सकारात्मक कदम उठाएगी और इसके लिए नेपाल को आमंत्रित किया गया।

This story is from the July 2024 edition of DASTAKTIMES.
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