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धनबल बनाम लोकतंत्र
DASTAKTIMES
|May 2024
राजनीतिक प्रक्रिया में धनबल का एक पहलू यह है कि जब एक प्रत्याशी बड़ी मात्रा में अघोषित पैसा चुनाव में लगाता है तो वह जीतने के लिए इसको 'निवेश' की तरह इस्तेमाल करता है। इसी का नतीजा होता है कि चुनाव जीतने के बाद सार्वजनिक धन का बड़े पैमाने पर गबन किया जाता है। ऐसे मामले अक्सर सामने आ ही जाते हैं। अब समय आ गया है कि पैसों का खेल करने वाले राजनेताओं पर कड़ी कार्रवाई हो। आज हमारे सामने सबसे बड़ा प्रश्न यही है कि क्या हमारे राजनेता छोटे-छोटे स्वार्थों से ऊपर उठकर प्रजातंत्र की रक्षा के लिए ऐसा कानून बनाएंगे जिससे चुनावों में धनबल हावी न हो सके। धनबल लोकतंत्र की आत्मा को बुरी तरह जख्मी कर रहा है, इसलिए समय रहते राजनीतिक दलों और चुनाव आयोग को सतर्क होकर कार्य करने की जरूरत है।

कभी सेवा का माध्यम रही राजनीति अब स्वहित और सत्ता सुख साधने का माध्यम बन गयी है। चुनावी रणभूमि में उतरने वाले जनप्रतिनिधि जीतने के लिए सारे प्रयोजन करते हैं, यानि साम दाम दण्ड भेद सभी उपाय आजमाने से गुरेज नहीं करते हैं। यही वजह है कि अब आज के दौर में चुनाव लड़ना खासा खर्चीला और महंगा हो गया है। निर्वाचन आयोग चाहे विधानसभा चुनाव हो या फिर लोकसभा, सभी में धनबल का प्रयोग रोकने के उपाय करता है। देश की सबसे बड़ी अदालत भी मुफ्त की रेवड़ियां बांटने पर टिप्पणी करते हुए चिन्ता व्यक्त कर चुकी है। इस बार भी देश की सभी एजेंसियां चुनाव के दौरान ऐसी किसी गलत परम्परा अथवा व्यवस्था को रोकने के लिए कमर कसे हुए हैं। यही वजह है कि लोकसभा चुनावों के 75 साल के इतिहास में इस वर्ष निर्वाचन आयोग ने देश में अब तक की सबसे अधिक प्रलोभन संबंधी सामग्री जब्त की है। 18 वें लोकसभा के पहले चरण का मतदान शुरू होने से पहले धनबल के खिलाफ निर्वाचन आयोग की दृढ़ता के साथ प्रवर्तन एजेंसियों ने 4650 करोड़ से अधिक रुपये की रिकॉर्ड जब्ती की है। यह 2019 में पूरे लोकसभा चुनाव के दौरान जब्त किए गए 3475 करोड़ रुपये से भी अधिक है। शुरुआती दौर में समाजसेवा का माध्यम रही राजनीति कालांतर में एक पेशे का रूप अख्तियार कर चुकी है। राजनीति निहित तमाम स्वार्थों के चलते लोग येन-केन प्रकारेण राजनीति में स्थापित होना चाहते हैं। जनसेवा की भावना अब गौण हो चली है। सियासत में बढ़ती तिजारत की प्रवृत्ति से यहां 'पैसे का खेल' एक लाइलाज बीमारी बन गयी है।
This story is from the May 2024 edition of DASTAKTIMES.
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