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'पलटीमार' फिर भी नीतीश सरकार
DASTAKTIMES
|February 2024
यह पहली बार नहीं है, जब नीतीश कुमार ने ऐसा किया। इससे पहले वे 2013 में लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा से अलग हुए थे। तब उन्होंने भाजपा की ओर से नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाने पर यह निर्णय लिया था। भाजपा के साथ चल रही सरकार से अलग होने के बाद कांग्रेस, सीपीआइ व निर्दलीय के भरोसे अपनी सरकार बचाई थी। 2014 के लोकसभा चुनाव में पार्टी को महज दो सीटें मिलने पर पद छोड़ जीतनराम मांझी को मुख्यमंत्री बनाया था। कुछ महीने बाद ही उन्हें हटा दोबारा सीएम बन गए थे।

नीतीश कुमार एक बार फिर पलटीमार महागठबंधन छोड़ एनडीए के खेमे में चले गए। बिहार के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देकर राजद को छोड़ भाजपा के साथ सरकार बना ली। उन्होंने नौवीं बार राज्य के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। भाजपा से सम्राट चौधरी, विजय कुमार सिन्हा उप मुख्यमंत्री बने। यह पहली बार नहीं है, जब नीतीश कुमार ने ऐसा किया। इससे पहले वे 2013 में लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा से अलग हुए थे। तब उन्होंने भाजपा की ओर से नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाने पर यह निर्णय लिया था। भाजपा के साथ चल रही सरकार से अलग होने के बाद कांग्रेस, सीपीआइ व निर्दलीय के भरोसे अपनी सरकार बचाई थी। 2014 के लोकसभा चुनाव में पार्टी को महज दो सीटें मिलने में पर पद छोड़ जीतनराम मांझी को मुख्यमंत्री बनाया था। कुछ महीने बाद ही उन्हें हटा दोबारा सीएम बन गए थे। 2015 का विधानसभा चुनाव उन्होंने राजद के साथ मिलकर लड़ा और सरकार बनाई थी। 2017 में राजद को छोड़ भाजपा के साथ आ गए थे। 2019 का लोकसभा और 2020 का विधानसभा चुनाव भाजपा के साथ मिलकर लड़ा। विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा के साथ सरकार बनाई, लेकिन अगस्त 2022 में भाजपा छोड़ राजद के साथ पहुंच गए। देखा जाए तो नीतीश कुमार 2005 से लगातार राज्य के मुख्यमंत्री हैं। 2000 में भी सात दिनों के लिए मुख्यमंत्री बने थे। बहुमत नहीं सिद्ध कर पाने के चलते हटना पड़ा था। तब से लेकर अब तक वे नौ बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ले चुके हैं।
तेजस्वी के बयान में भविष्य का संकेत!
This story is from the February 2024 edition of DASTAKTIMES.
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