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अटल जी ने राष्ट्र सर्वोपरिता की सगुण जीवनदृष्टि दी
DASTAKTIMES
|January 2024
अटल जी भारतीय जनसंघ के संस्थापक सदस्य थे। उन्होंने मिलकर चुनाव लड़ने के लिए गैर-कांग्रेसी दलों को सहमत किया। 1977 के आम चुनाव में जनता पार्टी जीती। सरकार भी बनी । वे विदेश मंत्री बने। दिल्ली में भारतीय जनसंघ का अधिवेशन हुआ। जनसंघ की विकास यात्रा में उपाध्याय, अटल जी आदि अनेक नेताओं, कार्यकर्ताओं ने अपना श्रम तप लगाया था।

अटल जी का नाम सारी दुनिया के प्रमुख नेताओं में वरिष्ठ है। वे भारतीय जन गण मन के महानायक हैं। उनकी स्मृति बार-बार आती है। उनका पूरा व्यक्तित्व एक छंद और भावप्रवण काव्य था। विधाता ने उन्हें पूरे जतन से गढ़ा था। प्रकृति ने अपना सारा मधुरस उड़ेल दिया था उनके व्यक्तित्व में। वे सरस थे। तरल थे। सरल थे। विरल थे और विश्वमोहन। उनकी जन्म तिथि की पूर्व संध्या पर राष्ट्र उनका स्मरण कर रहा है। हमारे जैसे कार्यकर्ता उनकी छाया में पले। स्वाभाविक है उनका स्मरण । वैसे स्मरण उनका होता है, जिनका विस्मरण हो जाता है। अटल जी की स्मृति प्रतिपल जीवंत रहती है। वे भारतीय सार्वजनिक जीवन के शिखर शलाका पुरुष थे। वे भारतीय लोकतंत्र की दिव्यता हैं और राजनैतिक जीवन के मर्यादा पुरुष।
इतिहास ने उन्हें पूरी आत्मीयता के साथ अपने अन्तःस्थल में स्थापित किया है। इतिहास निर्मम और निष्पक्ष होता है। वह अपने पराए में भेद नहीं करता। वह अनायास ही किसी को महानायक नहीं बनाता। लोकमत भी इतिहास की तरह निर्मम होता है। इसलिए विश्व इतिहास के प्रतिष्ठित महानायक भी संपूर्ण लोकमन की प्रशंसा नहीं पा सके। लेकिन अटल बिहारी वाजपेयी अद्वितीय हैं। उन्होंने राष्ट्र के संपूर्ण जन-गण-मन का प्यार पाया। वे परिपूर्ण राष्ट्रवादी थे। वैचारिक प्रतिबद्धता में अटल थे और राष्ट्रवाद का संदेश लेकर सतत् गतिशील विहारी थे। उनके विरोधी भी उनके प्रशंसक थे। वे भारतीय राजनीति के अद्वितीय महानायक थे। तमाम असंभवों का संगम थे। वे सरस भावप्रवण कवि हृदय थे और कवि थे। राजनीति के भावविहीन क्षेत्र में भी सबके प्रिय अग्रणी राजनेता । इस सदी के महानतम नेता। वे सबके प्रति आत्मीय थे। विपरीत ध्रुवों से भी समन्वय की साधना बेजोड़ थी। वे सर्वप्रिय धीरोदात्त महानायक थे।
This story is from the January 2024 edition of DASTAKTIMES.
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