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भू-कानून व मूल निवास मुद्दे पर धामी का बड़ा एक्शन

DASTAKTIMES

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January 2024

भू-कानून एक ऐसा ज्वलंत मुद्दा रहा है जिसकी मांग उत्तराखंड राज्य के गठन के समय से ही जोरों पर रही है, मगर दुर्भाग्य से हर सरकार में यह मुद्दा न्याय के लिए जूझता रहा है।

भू-कानून व मूल निवास मुद्दे पर धामी का बड़ा एक्शन

लंबे समय बाद वर्तमान धामी सरकार ने इस मुद्दे की संवेदनशीलता को समझते हुए सकारात्मक रुख दिखाया है। यही वजह है कि दो दशक से संघर्ष कर रहे आंदोलनकारी व प्रदेशवासियों को अब न्याय की आस जगी है। पिछले दिनों प्रदेश में भू-कानून व मूल निवास कानून की मांग ने जोर पकड़ा। आंदोलनकारियों का आरोप है कि वर्ष 2000 में राज्य गठन के बाद से किसी सरकार ने इस मुद्दे को गंभीरता से नहीं लिया है। उन्होंने धामी सरकार से भू-कानून व मूल निवास कानून बनाने की मांग की है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी इस मुद्दे को बेहद गंभीरता से लिया है। सीएम धामी शुरू से ही इस मुद्दे पर एक्शन दिख रहे हैं। इसका प्रमाण वैसे तो सीएम धामी ने वर्ष 2022 में ही दे दिया था, जब उन्होंने सख्त भू-कानून का ड्राफ्ट तैयार करने के लिए पूर्व मुख्य सचिव की अध्यक्षता में विशेषज्ञ कमेटी गठित की थी। तब तो आंदोलन की सुगबुगाहट भी नहीं थी। इस कमेटी ने विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर ड्राफ्ट तैयार किया है, जिसमें कई महत्वपूर्ण सुझाव भी दिये गये हैं।

इसके बाद पिछले दिनों हुए एकदिवसीय आंदोलन से पहले ही सीएम पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखंड के मूल निवासियों के लिए स्थायी प्रमाणपत्र की बाध्यता को खत्म कर दिया, यह इस कड़ी में दूसरा बड़ा कदम था। सीएम धामी ने पिछले हफ्ते अपर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय कमेटी गठित की है, जिसे कानून के ड्राफ्ट का अध्ययन कर फाइनल ड्राफ्ट सौंपने की बड़ी जिम्मेदारी दी गई है। सीएम धामी ने कमेटी को स्पष्ट निर्देश दिये हैं कि ड्राफ्ट में उत्तराखंडवासियों के हितों को प्राथमिकता में रखा जाये। कमेटी  ने ड्राफ्ट का अध्ययन भी शुरू कर दिया है। अब संभव है कि अगले कुछ महीनों में कमेटी फाइनल ड्राफ्ट सरकार को सौंप सकती है, जिसके बाद सीएम धामी इस ड्राफ्ट को कैबिनेट की मंजूरी दिलाकर विधानसभा में पेश करना चाहते हैं। सीएम व्यक्तिगत रूप से चाहते हैं कि जनभावनाओं का सम्मान हो और उत्तराखंडियत को सहेज कर रखा जा सकें। इसके लिए सीएम कई मंचों पर उत्तराखंडियत के संरक्षण में खुलकर अपनी बात रख भी चुके हैं।

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