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म्यांमार में तनाव के बादल भारतीय नीति की परीक्षा

DASTAKTIMES

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December 2023

म्यांमार का वर्तमान नृजातीय संघर्ष भारत के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। ऐसा इसलिए भी है क्योंकि हाल ही में म्यांमार के नेशनल यूनिटी कंसल्टेटिव काउंसिल के काउंसलर ने भारत पर आरोप लगाते हुए कहा कि भारत को म्यांमार की मिलिट्री जुंटा के प्रति वन साइडेड पॉलिसी रखते हुए उससे ही तालमेल बिठाने का काम नहीं करना चाहिए। भारत को म्यांमार के एथनिक माइनॉरिटी के खिलाफ हो रहे अत्याचारों के खिलाफ भी स्पष्ट स्टैंड रखना चाहिए जिससे सैन्य सरकार पर दबाव पड़ें।

- विवेक ओझा

म्यांमार में तनाव के बादल भारतीय नीति की परीक्षा

म्यांमार का सत्ताधारी दल मिलिट्री जुंटा इस समय देश में गंभीर मुश्किलों का सामना कर रहा है। कई फ्रंट से म्यांमार के हिंसक नृजातीय उग्रवादी समूहों और विद्रोही गुटों ने म्यांमार की सैन्य सरकार की सेना के जवानो और उनके ठिकानों को निशाना बनाना शुरू कर दिया है। एथनिक माइनॉरिटी ग्रुप्स के विद्रोहियों ( करेन, काचिन, अराकान) ने एक एलायंस तैयार कर म्यांमार की वर्तमान सैन्य सरकार को नेस्तनाबूत करने के लिए पूरा जोर लगा दिया है और इस कड़ी में लोकतंत्र समर्थक लड़ाकों के साथ गठजोड़ भी कर लिया है। इन सभी का उद्देश्य अब जुंटा रूल को खत्म कर अपना नियंत्रण स्थापित करना है। इन नृजातीय विद्रोही समूहों ने पिछले माह म्यांमार के उत्तरी शान राज्य के मिलिट्री पोस्ट पर भीषण हमले किए थे, इस प्रांत की सीमा चीन से लगती है। इस हमले के दौरान सरकार विद्रोही गुटों ने कुछ क्षेत्रों को अपने नियंत्रण में भी ले लिया था। इसके लिए इन विद्रोहियों ने 'ऑपरेशन 1027' के तहत हिंसक कार्यवाही की थी। थ्री ब्रदरहुड एलायंस जो मिलिट्री जुंटा के खिलाफ हिंसक हमलों के लिए जिम्मेदार है का कहना है कि वह आत्म सुरक्षा और आत्म निर्धारण अधिकार के तहत म्यांमार सेना के हवाई हमलों का प्रतिकार करने के लिए प्रतिबद्ध है। इसका कहना है कि दमनकारी सैन्य तानाशाही को म्यांमार से खत्म करना इसका मुख्य उद्देश्य है।

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