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जोशीमठ का सच आया सामने अभी टला नहीं खतरा

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October 2023

सीबीआरआई की रिपोर्ट के मुताबिक, जोशीमठ में 37 प्रतिशत भवन रहने लायक पाए गए हैं। 42 प्रतिशत भवन ऐसे हैं, जिनका पुनः आकलन जरूरी है। 20 प्रतिशत भवन ऐसे पाए गए, जो रहने लायक स्थिति में नहीं हैं और एक प्रतिशत भवनों को ध्वस्त करने की संस्तुति की गई है। सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट ने जोशीमठ के ढाल और भवनों की सुरक्षा को एक-दूसरे से सीधे तौर पर जोड़ा है।

जोशीमठ का सच आया सामने अभी टला नहीं खतरा

चमोली जिले के जोशीमठ में भूधंसाव पर जो रिपोर्ट सामने आई है, वह चौंकाने वाली है। जहां वैज्ञानिक संस्थानों की रिपोर्ट में कहा गया है कि जोशीमठ पर नए भारी निर्माण न किए जाएं, रिपोर्ट में पूरे जोशीमठ के धंसने की आशंका को नगण्य करार दिया गया है। वहीं राष्ट्रीय भूभौतिकीय अनुसंधान संस्थान (एनजीआरआई) की रिपोर्ट के अनुसार जोशीमठ में दरारें 100 फीट से अधिक गहराई तक फैली हुई हैं। रिपोर्ट में कुछ जगहों के 3 फीट से अधिक की गहराई तक धंसने और 1.4 मीटर तक खिसकने की बात का भी जिक्र है। जोशीमठ पर हाल ही में जारी राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि जोशीमठ क्षेत्र को नो न्यू कंस्ट्रक्शन जोन घोषित किया जाना चाहिए। पोस्ट डिजास्टर नीड असेसमेंट (पीडीएनए) ने भी अपनी रिपोर्ट में इस बात का जिक्र किया है। रिपोर्ट में मोरेन क्षेत्र (ग्लेशियर की ओर से लाई गई मिट्टी) में बसे जोशीमठ की जमीन के भीतर पानी के रिसाव के कारण चट्टानों के खिसकने की बात सामने आयी है जिसके कारण वहां भूधंसाव हो रहा है। उधर, हैदराबाद स्थित राष्ट्रीय भूभौतिकीय अनुसंधान संस्थान (एनजीआरआई) ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि जोशीमठ शहर के कुछ क्षेत्र तीन से अधिक फीट में धंस गये हैं और 1.4 फीट तक खिसक गये हैं। एनजीआरआई की यह रिपोर्ट जोशीमठ की एक भयावह तस्वीर को दिखा रही है। एनजीआरआई एक वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) की एक अनुसंधान प्रयोगशाला है, ने जोशीमठ धंसाव पर अपनी 43 पेज की रिपोर्ट में दावा किया है कि शहर के कुछ क्षेत्र 3 फीट से अधिक तक लंबवत में धंस गए हैं और 1.4 फीट तक खिसक गए हैं।

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