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पहाड़ से पलायन रोकने को धामी सरकार सतर्क

DASTAKTIMES

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June 2023

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने दूसरे कार्यकाल में पदभार संभालते ही गांवों के विकास पर फोकस किया। उन्होंने अधिकारियों और मंत्रियों को निर्देश दिए कि वह गांवों में जाकर एक रात रुकें और गांवों में चौपाल लगाकर आम जनता की समस्याएं सुनकर मौके पर ही निस्तारण करें। भले दे से ही सही, लेकिन सरकार की इस पहल का आने वाले दिनों में असर दिख सकता है।

- गोपाल सिंह पोखरिया

पहाड़ से पलायन रोकने को धामी सरकार सतर्क

ब्बे के दशक में जिस प्रकार से उत्तराखंड को उत्तर प्रदेश से पृथक राज्य की मांग को लेकर आंदोलन शुरू हुआ तो तब इसके पीछे यहां के विषम भौगोलिक परिस्थितियों को ही माना जाता है। राज्य बनने के 22 साल बाद भी यहां की सबसे बड़ी समस्या पलायन पर अब तक की सरकारों का ढुलमुल रवैया रहा। राज्य बनने के पहले ही 15 साल में इस अवधारणा का पलीता लग गया। सरकार गठन के बाद से ही सरकारों ने पहाड़ के लोगों के लिए कुछ भी ऐसा नहीं किया, जिससे पहाड़ से पलायन कम होने के बजाय बढ़ता ही चला गया। करीब आठ साल पहले बीबीसी की एक रिपोर्ट में उल्लेख किया गया कि उत्तराखंड में आजादी के बाद से अब तक जितना पलायन नहीं हुआ, उससे अधिक राज्य बनने के पहले 15 साल यानि 2015 तक हो चुका था। यही कारण रहा कि वर्ष 2017 में भाजपा की त्रिवेंद्र सरकार बनी तो पलायन आयोग का गठन किया। हालांकि पहले पांच वर्षों में यह आयोग भी महज रिपोर्ट देने तक ही सीमित रह सका। सरकार की ओर से कुछ ठोस पहल नहीं हो सकी। वर्तमान में भी खुद पलायन आयोग की रिपोर्ट के अनुसार 1726 गांव पलायन के चलते खाली हो चुके हैं। इस विकट स्थिति को देखते हुए जब पिछले साल पुष्कर सिंह धामी ने कार्यभार संभाला तो सबसे पहली प्राथमिकता गांवों तक सुविधाएं पहुंचाने की रही। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने दूसरे कार्यकाल में पदभार संभालते ही गांवों के विकास पर फोकस किया। उन्होंने अधिकारियों और मंत्रियों को निर्देश दिए कि वह गांवों में जाकर एक रात रुकें और गांवों में चौपाल लगाकर आम जनता की समस्याएं सुनकर मौके पर ही निस्तारण करें। भले देर से ही सही, लेकिन सरकार की इस पहल का आने वाले दिनों में असर दिख सकता है।

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