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घाटी और पहाड़ के संघर्ष में जल उठा मणिपुर
DASTAKTIMES
|May 2023
मेड़ती पर्वतीय जिलों के नागा कुकी समुदाय को विदेशी अथवा बाहरी मानते हैं। इसलिए वे अपनी सांस्कृतिक स्वायत्तता और नृजातीय स्वायत्तता को बनाए रखने के लिए उनके घाटी प्रवेश का विरोध करते हैं। पिछले कुछ वर्षों में मणिपुर विधानसभा ने कुछ ऐसे भी पत किए हैं जिससे वहां नृजातीय समुदायों के मध्य उत्पन्न हुआ जिसका लाभ लेने की कोशिश विप्लवकारी समूहों ने भी की है।

पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर एक बार फिर से हिंसा, आगजनी की चपेट में है। मणिपुर हाईकोर्ट ने हाल ही में राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वो मेइती समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की सिफारिश करे। मेइती ट्राइब यूनियन ने हाईकोर्ट में इसके लिए एक याचिका दायर की थी और उससे अपील की थी कि वह भारत सरकार के अनुसूचित जनजाति मामलों के मंत्रालय को सिफारिश करे कि संवैधानिक प्रावधानों के तहत मेइती समुदाय को शेडयूल्ड ट्राइब्स की लिस्ट में शामिल किया जाए। इसके चलते कुछ दिनों से इंफाल घाटी में रहने वाली बहुसंख्यक समुदाय मेइती और मणिपुर के पर्वतीय जिलों में रहने वाली नागा, कुकी, जोमी और अन्य पर्वतीय आदिवासियों के बीच अपनी एथनिक आइडेंटिटी के मुद्दे पर संघर्ष बढ़ गया है जिसके चलते राजधानी इंफाल में धारा 144 लगाते हुए इंटरनेट सेवाएं बंद करनी पड़ गईं, सेना को तैनात करना पड़ा। यहां तक कि शूट एट साइट ऑर्डर भी जारी करना पड़ा।
मणिपुर के आठ जिलों में कर्फ्यू लगाया गया। गैर आदिवासी बहुल इंफाल पश्चिम, काकचिंग, थौबल, जिरीबाम, विष्णुपुर और मणिपुर के प जिलों चुराचंदपुर, कांगपोकपी, तेंगनौपाल में भी कर्फ्यू लगा दिया गया। चुराचंदपुर में कुकी और जोमी समुदाय के लोग रहते हैं और चंदेल हिल डिस्ट्रिक्ट में नागा का प्रभाव है। अब सवाल यह उठता कि यह उग्र हिंसा, विरोध प्रदर्शन, आगजनी मणिपुर के पर्वतीय जिलों में क्यों हुई है। इस क्षेत्र में आदिवासी एकता मार्च क्यों निकाला गया? ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ मणिपुर ने मेइती समुदाय के खिलाफ हिंसक विरोध प्रदर्शन रैली को अंजाम दिया है। वजह है मेइती समुदाय के लोगों द्वारा अपने लिए शेड्यूल ट्राइब का दर्जा मांगना । मेइतियों का कहना है कि मणिपुर के पर्वतीय जिलों में रहने वाली नागा और कुकी को एसटी का दर्जा है तो उन्हें क्यों नहीं ?
This story is from the May 2023 edition of DASTAKTIMES.
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