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संभव है विपक्षी एकता ?

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March 2023

यदि मोदी को सत्ता से बेदखल करना है तो देशभर की सारी विपक्षी पार्टियों को एक मंच पर आना होगा। इन विपक्षी पार्टियों में अधिकांश क्षेत्रीय पार्टियां हैं। इनमें से कई क्षेत्रीय पार्टियां ऐसी भी हैं जिनकी अपने-अपने राज्यों में खासी पकड़ है। यह बात सही है कि यदि विपक्षी पार्टियां एक मंच पर आ जाती हैं तो फिर भाजपा और मोदी के लिए 2024 की चुनावी वैतरणी को पार कर पाना आसान नहीं होगा। लेकिन इससे इतर सवाल यह है कि विपक्षी दल एक कब होंगे?

- जितेन्द्र शुक्ला

संभव है विपक्षी एकता ?

तना तो तय है और हर कोई इस बात से भिज्ञ भी है कि एक अकेली राजनीतिक पार्टी अगले साल यानि 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में नरेन्द्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी का मुकाबला नहीं कर सकती। चाहे वह 100 साल पुरानी कांग्रेस पार्टी ही क्यों न हो। यदि मोदी को सत्ता से बेदखल करना है तो देशभर की सारी विपक्षी पार्टियों को एक मंच पर आना होगा। इन विपक्षी पार्टियों में अधिकांश क्षेत्रीय पार्टियां हैं। इनमें से कई क्षेत्रीय पार्टियां ऐसी भी हैं जिनकी अपने-अपने राज्यों में खासी पकड़ है। यह बात सही है कि यदि विपक्षी पार्टियां एक मंच पर आ जाती हैं तो फिर भाजपा और मोदी के लिए 2024 की चुनावी वैतरणी को पार कर पाना आसान नहीं होगा। लेकिन इससे इतर सवाल यह है कि विपक्षी दल एक कब होंगे? दरअसल, सभी क्षेत्रीय दलों के नेताओं की महत्वाकांक्षायें इतनी अधिक हैं कि वह किसी और का नेतृत्व स्वीकार करने को तैयार ही नहीं हैं। मोटे तौर पर क्षेत्रीय दलों को कांग्रेस का नेतृत्व स्वीकार नहीं है। चाहे वह ममता बनर्जी हों, नीतीश कुमार हों, तेजस्वी यादव हों, वाईएसआर हों या फिर अरविन्द केजरीवाल ही क्यों न हों। वास्तव में यह सभी क्षेत्रीय क्षत्रप अपने-अपने प्रदेशों में कांग्रेस से ही सत्ता छीनकर काबिज हुए हैं। ऐसे में एकता को लेकर विपक्षी दलों में बात चर्चा और बैठकों का दौर तो शुरू होता है लेकिन सब कुछ बिना किसी ठोस निर्णय के ही ध्वस्त हो जाता है। हालांकि मोदी और भाजपा को सत्ताच्युत करने के लिए विपक्ष उस आंकड़े का भी सहारा लेता है जिसमें कहा जाता है कि भाजपा को वोट देने वाले देश के सिर्फ 36-37 फीसदी ही लोग हैं जबकि 63-64 फीसदी लोग भाजपा के खिलाफ हैं।

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