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सर्वाइवल ऑफ द रिचेस्ट की धुन में न खोए अंत्योदय का राग
DASTAKTIMES
|February 2023
ऑक्सफैम की नवीनतम रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में जहां 2020 में अरबपतियों की संख्या 102 थी, वहीं 2022 में यह आंकड़ा 166 पर पहुंच गया है। यहां इस बात पर गौर करना जरूरी है कि किसी देश में अरबपतियों की संख्या में वृद्धि होना वैसे तो कोई बुरी बात नहीं है लेकिन आय की विषमता में वृद्धि होते जाना और बड़ी आबादी का निर्धनता रेखा से नीचे होते जाना जरूर बुरी बात है।

अगर दुनियाभर में आय की विषमता देखनी हो तो कहते हैं कि ऑक्सफैम की लेटेस्ट रिपोर्ट को देख लीजिए। आय की विषमता के सामाजिक सांस्कृतिक और आर्थिक प्रभाव इतने गंभीर होते हैं कि यह पूरी व्यवस्था में ही असंतुलन पैदा करके रख देते हैं। कभी क्रांति तो कभी आंदोलन, कभी आक्रोश का जनसैलाब इन्हीं कारणों से देखा जाता है। ऐसे में एक वेलफेयर स्टेट की मंशा पर सवाल भी उठने लाजिमी हो जाते हैं। ऑक्सफैम की एक अहम रिपोर्ट 'सर्वाइवल ऑफ द रिचेस्ट: द इंडिया स्टोरी' हाल ही में जारी की गई है जो भारत में इनकम के भेदभाव और धन के कुछ ही हाथों में इकट्ठा होने की कहानी बयान करती है। इस रिपोर्ट के बाद भारत के अलग-अलग खेमों के बुद्धिजीवियों ने कहना शुरू कर दिया है कि देश में क्रोनी पूंजीवाद बढ़ रहा है। लोग तो यह भी कह रहे हैं कि निजीकरण, उदारीकरण, वैश्वीकरण, विनिवेश पूंजीपतियों के हित के साधन हो गए हैं।
ऐसे में इस बात का आंकलन करना जरूरी हो जाता है कि सर्वाइवल ऑफ दि रिचेस्ट की दलील कहां तक सही है। ऑक्सफैम की नवीनतम रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में जहां 2020 में अरबपतियों की संख्या 102 थी, वहीं 2022 में यह आंकड़ा 166 पर पहुंच गया है। यहां इस बात पर गौर करना जरूरी है कि किसी देश में अरबपतियों की संख्या में वृद्धि होना वैसे तो कोई बुरी बात नहीं है लेकिन आय की विषमता में वृद्धि होते जाना और बड़ी आबादी का निर्धनता रेखा से नीचे होते जाना जरूर बुरी बात है। सर्वाइवल ऑफ द रिचेस्ट रिपोर्ट कहती है कि 2021 में भारत के पांच फीसदी लोगों का देश की कुल संपत्ति में से 62 फीसदी हिस्से पर कब्जा था। वहीं, भारत की निचली 50 फीसदी आबादी का देश की महज तीन फीसदी संपत्ति पर कब्जा रहा।
This story is from the February 2023 edition of DASTAKTIMES.
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