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2024 में काशी मथुरा होंगे बीजेपी के तुरूप कार्ड
DASTAKTIMES
|January 2023
बीजेपी और आरएसएस ने काशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी मस्जिद और मथुरा ईदगाह विवादों से दूरी तो बनाए रखी, लेकिन उसने अपनी इमेज इस तरह की जरूर बनाए रखी जैसे वह काशी - मथुरा की लड़ाई में भी हिन्दुओं के साथ खड़ी हो। अयोध्या 2014 और 2019 में एक तुरूप का पत्ता था और अब 2024 में, काशी और मथुरा भाजपा को सत्ता में वापस लाएगा।

अयोध्या-मथुरा-काशी हिन्दुओं के आस्था के प्रतीक हैं। किसी के लिए भले ही यह तीन शहरों के नाम जैसे हों, लेकिन रामलला, भोलेनाथ और भगवान श्रीकृष्ण के भक्तों के लिए लिए यह स्थान सबसे बड़ा तीर्थ स्थल है। यह वह तीन देव स्थान हैं, जिसको मुगल काल में काफी नुकसान पहुंचाया गया था और जिसे पाने के लिए हिन्दू समाज लम्बे समय से नहीं, कई सदियों से कोर्ट से लेकर सड़क तक पर 'जंग' लड़ रहा था। मगर तुष्टीकरण की राजनीति के चलते उसे हर तरह से तिरस्कार और अपमान मिल रहा था। कोई भी राजनैतिक दल हिन्दुओं के आस्था के इन प्रतीकों को उन्हें वापस दिलाने के लिए कोई कोशिश तो कर ही नहीं रहा था, बल्कि अड़ंगे भी लगा रहा था। अपवाद के रूप में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) एवं भारतीय जनता पार्टी जरूर हिन्दू पक्ष के साथ खड़ी नजर आती थीं, लेकिन उसने भी अयोध्या में प्रभु रामलला के मंदिर के लिए संघर्ष करने के अलावा काशी- मथुरा से अपने आप को दूर ही रखा था। बीजेपी और आरएसएस ने काशी विश्वनाथ मंदिर - ज्ञानवापी मस्जिद और मथुरा ईदगाह विवादों से दूरी तो बनाए रखी, लेकिन उसने अपनी इमेज इस तरह की जरूर बनाए रखी जैसे वह काशी- मथुरा की ‘लड़ाई में भी हिन्दुओं के साथ खड़ी हो। क्योंकि जब भी उसके नेताओ से काशी- मथुरा के विवाद की बात की जाती तो उसके, 'सच्चाई सामने आनी चाहिए' और 'लोगों को अदालत में जाने से नहीं रोका जा सकता' के बयानों को छोड़कर, संगठनात्मक स्तर पर दोनों सीधे मामलों में उलझने से परहेज करते रहे।
This story is from the January 2023 edition of DASTAKTIMES.
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