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Vivek Jyoti Magazine - February 2022

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Vivek Jyoti
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Vivek Jyoti Description:

भारत की सनातन वैदिक परम्परा, मध्यकालीन हिन्दू संस्कृति तथा श्रीरामकृष्ण-विवेकानन्द के सार्वजनीन उदार सन्देश का प्रचार-प्रसार करने के लिए स्वामी विवेकानन्द के जन्म-शताब्दी वर्ष १९६३ ई. से ‘विवेक-ज्योति’ पत्रिका को त्रैमासिक रूप में आरम्भ किया गया था, जो १९९९ से मासिक होकर गत 60 वर्षों से निरन्तर प्रज्वलित रहकर यह ‘ज्योति’ भारत के कोने-कोने में बिखरे अपने सहस्रों प्रेमियों का हृदय आलोकित करती रही है । विवेक-ज्योति में रामकृष्ण-विवेकानन्द-माँ सारदा के जीवन और उपदेश तथा अन्य धर्म और सम्प्रदाय के महापुरुषों के लेखों के अलावा बालवर्ग, युवावर्ग, शिक्षा, वेदान्त, धर्म, पुराण इत्यादि पर लेख प्रकाशित होते हैं ।

आज के संक्रमण-काल में, जब भोगवाद तथा कट्टरतावाद की आसुरी शक्तियाँ सुरसा के समान अपने मुख फैलाएँ पूरी विश्व-सभ्यता को निगल जाने के लिए आतुर हैं, इस ‘युगधर्म’ के प्रचार रूपी पुण्यकार्य में सहयोगी होकर इसे घर-घर पहुँचाने में क्या आप भी हमारा हाथ नहीं बँटायेंगे? आपसे हमारा हार्दिक अनुरोध है कि कम-से-कम पाँच नये सदस्यों को ‘विवेक-ज्योति’ परिवार में सम्मिलित कराने का संकल्प आप अवश्य लें ।

In this issue

विवेकानन्द के ज्वलन्त मन्त्र ५४
सत्यं शिवं सुन्दरं की अभिव्यक्ति : माँ सरस्वती (डॉ. जया सिंह) ५७
(बच्चों का आंगन) जंगल से पद्मश्री तक (स्वामी पद्माक्षानन्द) ६८
जग में बैरी कोई नहीं (डॉ. रामनिवास) ६९
(युवा प्रांगण) जीवन की सफलता में दिव्यांगता बाधक नहीं : उम्मुल खेर (स्वामी गुणदानन्द) ७६
साधना का फल तो तुम्हें मिल रहा है (स्वामी अद्भुतानन्द) ८०
और पत्थर तैरने लगा (सन्तोष मालवीय, ‘प्रेमी’) ८४
लक्ष्य अवश्य मिलेगा (स्वामी सत्यरूपानन्द) ९०
(कविता) माँ सरस्वति चिर कृपामयि (डॉ. ओमप्रकाश वर्मा) ६४
(कविता) जय सरस्वती माँ बुद्धिदायिनी (आनन्द तिवारी पौराणिक) ६४
सदैव ईश-भाव ८९
पुरुखों की थाती ५३
सम्पादकीय ५५
वरिष्ठ साधुओं की स्मृतियाँ ५९
श्रीरामकृष्ण-गीता ६४
आध्यात्मिक जिज्ञासा ६५
रामराज्य का स्वरूप ७३
प्रश्नोपनिषद् ७९
सारगाछी की स्मृतियाँ ८१
गीतातत्त्व-चिन्तन ८५
साधुओं के पावन प्रसंग ९१

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