पंचांग में तिथि, वार, नक्षत्र, योग और करण होते हैं, लेकिन तिथि उत्सव और व्रतों के लिए अधिक महत्त्वपूर्ण है। हिन्दू पंचांग के अनुसार, तिथि का निर्धारण सूर्योदय से होता है और इसमें कमी अथवा बढ़ोतरी रात के समय में हो सकती है। अगर दो सूर्योदयों के बीच तीन तिथियों आ जाएँ, तो एक तिथि कम हो जाती है जबकि एक सूर्योदय से दूसरे सूर्योदय तक एक ही तिथि रहती है, तो वह तिथि बढ़ती है। इन तिथियों का सीधा प्रभाव व्यक्ति के जीवन पर होता है, जो व्रत और त्योहारों के साथ-साथ उनके स्वास्थ्य और जीवन में सुधार कर सकता है।
तिथियाँ बढ़ती घटती क्यों हैं?
चन्द्रमा और सूर्य की गति में बहुत अन्तर होता है। जहाँ सूर्य 30 दिन में एक राशि चक्र पूरा करता है, वहीं चन्द्रमा को एक राशि को पार करने में सवा 2 दिन का समय लगता है।
सूर्य और चन्द्रमा एक साथ एक ही अंश पर होना 'अमावस्या' कहलाता है और सूर्य का चन्द्रमा से 180° पर होना ‘पूर्णिमा' कहलाता है। चन्द्रमा का सूर्य से 12° आगे निकल जाना एक तिथि का निर्माण करता है और इसी प्रकार प्रतिपदा, द्वितीया क्रमशः तिथियों का निर्माण होता जाता है। अब अगर हम बात करेंगे, तिथियों की घटने-बढ़ने की, तो यह पंचांग और सूर्योदय के समय अनुसार निर्धारित होता है। तिथि सूर्योदय से पहले शुरू हो गई है और अगले सूर्योदय के बाद तक रहती है, तो उस स्थिति को 'तिथि की वृद्धि' कहा जाता है।
This story is from the March 2024 edition of Jyotish Sagar.
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अजमेर की भगवान् नृसिंह प्रतिमाएँ
विधानानुसार नृसिंहावतार मानव एवं पशु रूप धारण किए, शीश पर मुकुट, बड़े नाखून, अपनी जानू पर स्नेह के साथ प्रह्लाद को बिठाए हुए है। बालक प्रह्लाद आँखें मूँदे, करबद्ध विनम्र भाव से स्तुति करते प्रतीत हो रहे हैं।
सूर्य नमस्कार से आरोग्य लाभ
सूर्य नमस्कार की विशेष बात यह है कि इसका प्रत्येक अगले आसन के लिए प्रेरित करता है। इस क्रम में लगातार 12 आसन होते हैं। इन आसनों में श्वास को पूरी तरह भीतर लेने और बाहर निकालने पर बल दिया जाता है।
जब नारद जी ने दिया श्रीहरि को शाप!
जिस रास्ते से नारद जी जा रहे थे, उसी रास्ते पर श्रीहरि ने सौ योजन का एक मायावी नगर रचा। उस नगर की रचना भगवान् विष्णु के नगर वैकुण्ठ से भी ज्यादा सुन्दर थी।
घर की सीढ़ियों की दशा और दिशा आदि का विचार
दक्षिण-पश्चिम अथवा नैर्ऋत्य कोण सीढ़ियों के लिए शुभ माना जाता है, वहीं उत्तर-पूर्व (ईशान कोण) में सीढ़ियाँ निर्मित नहीं करनी चाहिए।
भक्ति, वात्सल्य एवं शृंगार के परिचायक महाकवि सूरदास
पुष्टिमार्गीय भक्ति के दार्शनिक स्वरूप को सूरदास जी ने भली-भाँति समझा था तथा समझकर काव्य की भाव भूमि पर उसे प्रेषणीय बनाने के लिए वात्सल्य रस का अवलम्बन लिया।
क्रान्तिवीर विनायक दामोदर सावरकर!
सावरकर जेल से छूटकर जब वापस भारत आए, तो देश की आजादी का आन्दोलन जोर पकड़ रहा था। अब उन्होंने हिन्दू राष्ट्रवाद का समर्थन किया। जब देश के विभाजन का प्रस्ताव आया, तो सावरकर ने इसका विरोध किया पर तत्कालीन परिस्थितियों के कारण अन्ततोगत्वा देश का विभाजन हुआ।
पीपल को क्यों नहीं काटना चाहिए?
श्री मद्भगवद्गीता में भगवान् श्रीकृष्ण ने बताया है कि, पीपल उन्हीं का एक रूप है। इसी कारण पीपल की पूजा करने पर भगवान् श्रीकृष्ण प्रसन्न होते हैं और हमारे दःखों को दूर करते हैं।
मृत्यु से परे की सत्यता!
उसने मेरे पैरों पर मकड़े से चलाए और मेरे दोनों पैर स्थिर कर दिए। जब मैंने क्षमा माँगी, तो वह मेरे सामने आ गया।
कैसा रहेगा भारत के लिए वृषभ का गुरु?
संसद एवं विधानसभाओं पर कार्यपालिका की प्रधानता तो रहेगी, परन्तु विपक्ष की बली स्थिति और उसकी सक्रियता के चलते सत्ता पक्ष पर अंकुश भी रहेगा, जिससे संसदीय लोकतन्त्र की शक्ति का अहसास भी होगा।
आम चुनाव, 2024 के सन्दर्भ में नरेन्द्र मोदी और राहुल के सितारे!
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लिए आम चुनाव, 2024 की दृष्टि से वर्तमान समय बहुत प्रतिकूल नहीं है। हालाँकि राहु की अन्तर्दशा में सूर्य की प्रत्यन्तर्दशा और बाद में आ रही चन्द्रमा की प्रत्यन्तर्दशा नैसर्गिक रूप से अच्छी नहीं मानी जाती।