नेत्र हमें केवल दृष्टि प्रदान करते हैं, परन्तु हम किसमें, कब, क्या देखते हैं? ये हमारे भाग्य पर निर्भर करता है। यथा; आज जो रिश्ता प्यार भरा दिखाई देता है, कुछ समय बाद वह घोर शत्रु दिखाई देता है। यान भाग्य की प्रबलता हमें इस मायालोक में सदैव नचाती रहती है। हम कितने ही अक्लमन्द क्यों न हों और इस भाग्य को वश में करने का प्रयास करते ही रहते हैं, लेकिन भाग्य किसी के वश में होता ही नहीं। वह तो मानो पहले से ही तय करके बैठा है कि इसके साथ क्या-क्या करना है?
ज्योतिष मत कहता है कि भाग्य केवल धर्म के वश में ही हो सकता है। दर्शनशास्त्र भी यही कहता है कि भाग्य धर्म के अधीन है। यानि धर्म बढ़ने पर धर्म भाग्य से आपकी रक्षा स्वत: ही करने लगता है। यथा; जब सम्पाति समुद्र के किनारे सैकड़ों वर्षों तक बैठा रहता है, लेकिन उसका जला हुआ शरीर और पंख (सम्पाति एक गिद्ध है, जिसे रामायण में वर्णित किया गया है) जले हुए ही रहते हैं, लेकिन जब वह माता सीता का पता वानर सेना को बताता है, तो अचानक से धर्म बढ़ जाता है और वह अपनी काया तथा पंख पुन: पहले से भी ज्यादा नवीन रूप में प्राप्त कर लेता है।
This story is from the February 2023 edition of Jyotish Sagar.
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अजमेर की भगवान् नृसिंह प्रतिमाएँ
विधानानुसार नृसिंहावतार मानव एवं पशु रूप धारण किए, शीश पर मुकुट, बड़े नाखून, अपनी जानू पर स्नेह के साथ प्रह्लाद को बिठाए हुए है। बालक प्रह्लाद आँखें मूँदे, करबद्ध विनम्र भाव से स्तुति करते प्रतीत हो रहे हैं।
सूर्य नमस्कार से आरोग्य लाभ
सूर्य नमस्कार की विशेष बात यह है कि इसका प्रत्येक अगले आसन के लिए प्रेरित करता है। इस क्रम में लगातार 12 आसन होते हैं। इन आसनों में श्वास को पूरी तरह भीतर लेने और बाहर निकालने पर बल दिया जाता है।
जब नारद जी ने दिया श्रीहरि को शाप!
जिस रास्ते से नारद जी जा रहे थे, उसी रास्ते पर श्रीहरि ने सौ योजन का एक मायावी नगर रचा। उस नगर की रचना भगवान् विष्णु के नगर वैकुण्ठ से भी ज्यादा सुन्दर थी।
घर की सीढ़ियों की दशा और दिशा आदि का विचार
दक्षिण-पश्चिम अथवा नैर्ऋत्य कोण सीढ़ियों के लिए शुभ माना जाता है, वहीं उत्तर-पूर्व (ईशान कोण) में सीढ़ियाँ निर्मित नहीं करनी चाहिए।
भक्ति, वात्सल्य एवं शृंगार के परिचायक महाकवि सूरदास
पुष्टिमार्गीय भक्ति के दार्शनिक स्वरूप को सूरदास जी ने भली-भाँति समझा था तथा समझकर काव्य की भाव भूमि पर उसे प्रेषणीय बनाने के लिए वात्सल्य रस का अवलम्बन लिया।
क्रान्तिवीर विनायक दामोदर सावरकर!
सावरकर जेल से छूटकर जब वापस भारत आए, तो देश की आजादी का आन्दोलन जोर पकड़ रहा था। अब उन्होंने हिन्दू राष्ट्रवाद का समर्थन किया। जब देश के विभाजन का प्रस्ताव आया, तो सावरकर ने इसका विरोध किया पर तत्कालीन परिस्थितियों के कारण अन्ततोगत्वा देश का विभाजन हुआ।
पीपल को क्यों नहीं काटना चाहिए?
श्री मद्भगवद्गीता में भगवान् श्रीकृष्ण ने बताया है कि, पीपल उन्हीं का एक रूप है। इसी कारण पीपल की पूजा करने पर भगवान् श्रीकृष्ण प्रसन्न होते हैं और हमारे दःखों को दूर करते हैं।
मृत्यु से परे की सत्यता!
उसने मेरे पैरों पर मकड़े से चलाए और मेरे दोनों पैर स्थिर कर दिए। जब मैंने क्षमा माँगी, तो वह मेरे सामने आ गया।
कैसा रहेगा भारत के लिए वृषभ का गुरु?
संसद एवं विधानसभाओं पर कार्यपालिका की प्रधानता तो रहेगी, परन्तु विपक्ष की बली स्थिति और उसकी सक्रियता के चलते सत्ता पक्ष पर अंकुश भी रहेगा, जिससे संसदीय लोकतन्त्र की शक्ति का अहसास भी होगा।
आम चुनाव, 2024 के सन्दर्भ में नरेन्द्र मोदी और राहुल के सितारे!
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लिए आम चुनाव, 2024 की दृष्टि से वर्तमान समय बहुत प्रतिकूल नहीं है। हालाँकि राहु की अन्तर्दशा में सूर्य की प्रत्यन्तर्दशा और बाद में आ रही चन्द्रमा की प्रत्यन्तर्दशा नैसर्गिक रूप से अच्छी नहीं मानी जाती।