हमारे राम आ गए
DASTAKTIMES|February 2024
ये भव्य राम मंदिर साक्षी बनेगा भारत के उत्कर्ष का, भारत के उदय का। यह भव्य राम मंदिर साक्षी बनेगा भव्य भारत के अभ्युदय का, विकसित भारत का संविधान के अस्तित्व में आने के बाद भी दशकों तक प्रभु श्रीराम के अस्तित्व को लेकर कानूनी लड़ाई चली। न्याय के पर्याय प्रभु श्रीराम का मंदिर भी न्यायबद्ध तरीके से बना
जितेन्द्र शुक्ला
हमारे राम आ गए

अयोध्या में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जब शुभ मुहूर्त में हाथों में पूजन सामग्री लेकर गर्भगृह की सीढ़ियां चढ़ रहे थे, तब वहां मौके पर मौजूद अतिथिगण ही नहीं बल्कि अपने-अपने घरों में बैठकर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को सजीव प्रसारण देख रहे लोग भावुक हुए जा रहे थे। सभी की भावनायें हिलोरें मार रही थीं और आंखें नम थीं। राम मंदिर में प्रवेश करते समय प्रधानमंत्री हाथ में छत्र और वस्त्र लिए हुए थे। मोदी ने अकेले ही मंदिर में प्रवेश किया।

साल 2024 की सूरज की किरणें सनातन धर्म और उसके अनुयायियों के लिए अपार खुशियां लेकर आयीं। एक ओर जहां करीब 500 साल के संघर्ष के बाद अयोध्या में प्रभु श्रीराम के बालक रूप की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा निर्माणाधीन भव्य मंदिर के गर्भ गृह में हुई तो वहीं दूसरी ओर पौराणिक और भगवान शिव की नगरी कही जाने वाली काशी यानि वाराणसी यानि बनारस में श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के परिसर से सटी ज्ञानवापी मस्जिद, जिसे कुछ लोग आलमगीर मस्जिद भी कहते हैं, के भीतर भी मंदिर के अवशेष होने की पुष्टि हुई। श्री काशी विश्वनाथ मंदिर से सटे ज्ञानवापी परिसर की भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की सर्वे रिपोर्ट जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्ववेश की अदालत द्वारा सार्वजनिक किए जाने के बाद यह स्पष्ट हो गया कि मुगल आक्रांताओं ने मंदिर तोड़कर मस्जिद का निर्माण किया था। रिपोर्ट के मुताबिक, ज्ञानवापी में मंदिर का स्ट्रक्चर मिला है। एएसआई की सर्वे रिपोर्ट में ज्ञानवापी परिसर में जनार्दन, रुद्र और विश्वेश्वर के शिलालेख मिले हैं। रिपोर्ट में महामुक्ति मंडप लिखा है। सनातन धर्मियों के लिए यह दोहरी खुशी का मौका है। नए साल के पहले ही महीने में राम अपनी नगरी अयोध्या में आ गए तो वहीं काशी में 'बाबा' (शिव) मिल गए हैं। अयोध्या में रामलला के जन्म स्थान पर साल 1528 में मुगल बादशाह बाबर के सिपहसालार मीर बाकी ने एक मस्जिद का निर्माण कराया था।

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