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“हिंदी रंगमंच की बदौलत भोजन करना संभव नहीं" - नरोत्तम बेन
Sarita
|August Second 2023
बचपन में अभिनेताओं की मिमिक्री से सब को हंसाने वाले नरोत्तम बेन आगे जा कर खुद अभिनेता बनने वाले थे, यह उन्हें भी नहीं पता था. उन की गिनती संजीदा कलाकारों में होती है. थिएटर से जुड़े रह कर उन्होंने खुद को मांझा है.
इन दिनों एमेजौन प्राइम पर स्ट्रीम हो रही वैब सीरीज 'जुबिली' में मकसूद के किरदार में शोहरत बटोर रहे अभिनेता नरोत्तम बेन के लिए इस मुकाम तक पहुंचना आसान नहीं रहा. जबलपुर में 13 वर्ष तक थिएटर करने के बाद 2004 से मुंबई में थिएटर और फिल्मों से जुड़ कर वे काफी अच्छा काम करते आए हैं. उन्होंने कई सीरियल किए. 'चलो दिल्ली', लूटकेस', 'आखेट', 'मिमी' सहित कई फिल्में कीं. अब वैब सीरीज 'जुबली' ने उन्हें अचानक एक अलग पहचान दिला दी है पर वे आज भी रंगमंच व लोक गायकी से जुड़े हुए हैं. वे 2 फिल्में व एक अन्य वैब सीरीज भी कर रहे हैं.
एक बातचीत में नरोत्तम बताते हैं कि कैसे कला के प्रति उन की रुचि जागृत हुई. वे कहते हैं, "मैं मूलतया जबलपुर का रहने वाला हूं. मेरे घर में या ननिहाल पक्ष में भी कला का कोई माहौल नहीं रहा पर जब मैं बचपन में थोड़ा समझदार हुआ, तभी से अभिनय करने लगा था. फिल्म पत्रिकाएं पढ़ते हुए मुझे लगने लगा था कि अब तो मुझे अभिनेता ही बनना है. फिर मेरे भाई के दोस्त मुझ से मिमिक्री करवाते थे. भले ही वह ऐसा मेरा मजाक उड़ाने के लिए करते रहे हों, मगर इस तरह से मेरी ट्रेनिंग चल रही थी. फिर मैं जबलपुर में 'विवेचना' नाट्य ग्रुप से जुड़ गया. वहां पर थिएटर के जो वर्कशौप हुआ करते, उन का हिस्सा बन कर अभिनय सीखता रहा. उस के बाद मैं ने एनएसडी, दिल्ली से भी 45 दिन का अभिनय का वर्कशौप किया.
"मैं बुंदेलखंडी भाषा में फोक गीत भी गाता हूं. मगर मेरी संगीत की कोई ट्रेनिंग नहीं है, बस, यों ही गातेगाते मेरा गला खुल गया. मैं ज्यादातर फोक ही गाता हूं, जिसे लोग काफी पसंद करते हैं. मेरा एक अलबम है- 'चिलम तंबाकू डब्ब फांके' जो काफी लोकप्रिय है. कई लोगों ने मेरे इस गीत की पायरेसी वीडियो बना कर यूट्यूब पर डाल रखे हैं. मतलब मेरी आवाज व मेरे वीडियो को ले कर लोगों ने अपनेअपने वीडियो बना कर डाले हैं. यह अलबम पूरे विश्व में बसे भारतीयों तक पहुंच चुका है पर अभिनय की ट्रेनिंग जबलपुर में रहते हुए ही हुई है."
This story is from the August Second 2023 edition of Sarita.
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