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पर्यटन के अनदेखे अनजाने ठिकाने उत्तराखंड के

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July - 2025

'देवभूमि' के नाम से मशहूर उत्तराखंड अपनी बर्फ से आच्छादित चोटियों, हरी-भरी घाटियों, पहाड़ीदार मैदानों, ग्लेशियर और पवित्र नदियों के लिए विश्व प्रसिद्ध हैं। नैनीताल, मसूरी, ऋषिकेश, औली, लैंसडाउन और हर्षिल घाटी जैसे लोकप्रिय स्थान हर साल लाखों पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं, लेकिन इस खूबसूरत राज्य में कई ऐसी जगहें हैं जो प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर होने के बावजूद कम प्रसिद्ध हैं। ये वो कुछ अनछुए जगहें हैं जिन्हें कुदरत ने नैसर्गिक खूबसूरती से संवारा है। जिसे देख जन्नत का एहसास होता है। अगर आप भी सुकून के पल प्रकृति की गोद में बिताना चाहते हैं तो इन स्थानों का रुख कर सकते हैं। धामी सरकार इन छिपे हुए पर्यटन स्थलों को विकसित करने की योजना बना रही है। उत्तराखंड के ऐसी ही कुछ अनछुए पर्यटन स्थलों के बारे में बता रहे हैं गोपाल सिंह पोखरिया।

- By गोपाल सिंह पोखरिया

पर्यटन के अनदेखे अनजाने ठिकाने उत्तराखंड के

खतलिंग ग्लेशियर : ट्रेकिंग के लिए स्वर्ग

भिलंगना नदी के स्रोत के कारण गढ़वाल हिमालय का खतलिंग ग्लेशियर बहुत महत्वपूर्ण है। ग्लेशियर के आसपास हिमालय की मोटी बर्फ की चोटियां हैं जिन्हें जोगिन समूह (ऊंचाई: 6466 मीटर), स्पिस्टल प्रिसर्ट (6905 मीटर), बार्टा कौर (6579 मी) कीर्ति स्तम्भ (6902 मी) और मेरु के नाम से जाना जाता है। खतलिंग ग्लेशियर का ट्रेक भिलंगना घाटी में है जो प्रकृति प्रेमियों के लिए स्वर्ग है। सहस्रा ताल और मसर ताल खतलिंग ग्लेशियर के पश्चिम और पूर्व में मौजूद हैं। यह ट्रेक घत्तु से शुरू होता है, जो टिहरी से लगभग 62 किलोमीटर की दूरी पर है। इस मार्ग की कुल दूरी करीब 45 किलोमीटर है। घुत्तु में एक पीडब्ल्यूडी निरीक्षण घर और एक पर्यटक विश्रामगृह भी है। इस ट्रेक पर अन्य महत्वपूर्ण स्थान रीह, गंगी, कल्याणी और भोमकुगुफा हैं। रीह और गंगी में पर्यटक विश्रामगृह उपलब्ध हैं। गंगी दूरस्थ अंतिम गांव है जिसके बाद किसी भी तरह की सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं तथा ट्रेक में अपनी व्यवस्था स्वयं ही करनी होती है।

imageखतलिंग ग्लेशियर का शिखर सबसे शानदार और आकर्षक है। यहां से मसाड ताल 7 किमी दूर है इसी मार्ग में आगे वासुकीताल है जहां से केदारनाथ जाया जाता है। यह ट्रेक गढ़वाल के छोटे गांवों एवं खरसों के जंगलों के बीच से गुजरता है जिससे यह बेहद रोमांचकारी हो जाता है। साथ ही इस ट्रेक के दौरान वहां के परिवेश से अनजान लोगों को उत्तराखंड की संस्कृति एवं विरासत के बारे में जानकारी प्राप्त होती है। हरे-हरे घास के मैदान पर्यटकों को लुभाते हैं। भिलंगना घाटी में पहुंचने पर शिविर के लिए उपयुक्त कई स्थान मिल जाते हैं। ट्रेकर्स को कैंपिंग हेतु ऋषिकेश, टिहरी या देहरादून से पहले ही तंबुओं व अन्य आवश्यक सामग्री की व्यवस्था करना बेहतर होता है। इसके अलावा चीन सीमा पर गंगी नामक एक छोटा सा गांव है, जहां पारंपरिक गढ़वाली जीवनशैली और स्थानीय व्यंजन जैसे मंडवे की रोटी और भट्ट की दाल का स्वाद लिया जा सकता है। पिकनिक और कैंपिंग के लिए भिलंगना नदी का किनारा उपयुक्त स्थान है।

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