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सराहे जा रहे धामी सरकार के दो साल में लिए गए फैसले
DASTAKTIMES
|July 2023
यह सही है कि जनता की सरकार से अपार अपेक्षाएं होती हैं और जब सरकारें उन पर खरी नहीं उतरती तो निश्चित तौर पर नाराजगी भी होती है। युवा मुख्यमंत्री धामी से भी जनता की अपेक्षाएं अपार हैं, इसलिए आने वाले वर्षों में उनके सामने बड़ी चुनौतियां भी रहेंगी। जहां तक उनके अब तक के कार्यकाल का सवाल है तो उसे उत्तराखण्ड का सुनहरा दौर ही कहा जाएगा।
जब-जब सरकार कोई पड़ाव तय करती है तो उसके कामों की समीक्षा होती है। स्वस्थ लोकतंत्र के लिए यह जरूरी भी है। अपेक्षाओं के पैमाने पर उसके कामकाज का आकलन भी होता है। सरकार को सचेत भी किया जाता है, चुन-चुन कर कमियां भी निकाली जाती हैं और सवाल भी उछाले जाते हैं। मगर ऐसा नहीं होता कि सरकार हमेशा गलत ही हो और उसकी मंशा संदिग्ध ही हो । सरकार अच्छा भी कर रही होती है, कहीं न कहीं बदलाव भी हो रहा होता है और वह महसूस भी किया जा रहा होता है, मगर कई बार उसे रिकॉग्नाइज नहीं किया जाता। वह अनदेखा हो जाता है, उसकी कोई पड़ताल नहीं होती।
उत्तराखंड की धामी सरकार की भी कई ऐसी उपलबधियां हैं जो सराही जानी चाहिए। मुख्यमंत्री रहते हुए महज दो साल की अल्प अवधि में ही पुष्कर सिंह धामी जनता के हित में तमाम अहम फैसले ले चुके हैं। कार्यसंस्कृति में जबरदस्त सुधार देखने को मिला है। धामी की विकास योजनाएं सिर्फ मैदानी जिलों तक सीमित नहीं हैं, पहाड़ों में भी उन्हें विस्तार दिया गया है। उन सरकार ने इस अवधि में जनहित में कई ऐसे कानून बनाए जिनकी जरूरत अब अन्य राज्यों में भी महसूस की जा रही है। समान नागरिक संहिता के रूप में उनकी एक पहल तो देश में नजीर बनती दिख रही है।
याद करिए! कुछ साल पहले की ही तो बात है, प्रदेश के भीतर नकल माफिया का जाल फैला हुआ था। सिस्टम में उसकी इतनी जबरदस्त घुसपैठ थी कि सरकारी नौकरी की परीक्षा का पेपर हर बार उसकी पहुंच में होता था। रुपए के एवज में नौकरियां बेची जाती थीं। होनहार और मेहनती युवाओं के हकों पर खुलेआम डाका डाला जाता था। हर बार बात पकड़ में आती थी लेकिन गिरोह पर कार्रवाई नहीं होती थी। मुकदमा दर्ज करने के बाद तफ्तीश आगे नहीं बढ़ती थी। पुष्कर सिंह धामी ने सत्ता की बागडोर संभालते ही सबसे पहले नकल माफिया पर जोरदार हमला किया। उसके जाल को तोड़ा और नेक्सस को ध्वस्त कर दिया। गिरोह से जुड़े 80 से अधिक लोग आज भी जेल की सलाखों के पीछे हैं।
This story is from the July 2023 edition of DASTAKTIMES.
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