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योगी सरकार का एक रुका हुआ फैसला
DASTAKTIMES
|November 2022
योगी सरकार की ओर से 11 जुलाई 2021 को विश्व जनसंख्या दिवस के मौके पर प्रदेश के लिए नई जनसंख्या नीति की घोषणा की गई थी। इस बिल में साफ किया गया था कि दो से अधिक बच्चे वाले अभिभावकों को सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिलेगा। ऐसे लोग सरकारी नौकरी के लिए आवेदन भी नहीं कर पाएंगे। पंचायत और स्थानीय निकाय चुनाव लड़ने पर भी ऐसे लोगों को रोकने का प्रावधान है। एक बच्चे वाले अभिभावकों को कई प्रकार की सुविधा देने की योजना है। इस बिल का मुख्य उद्देश्य प्रदेश की जनसंख्या को नियंत्रण में लाने की है।
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देश के साथ-साथ उत्तर प्रदेश की आबादी भी सुरसा के मुंह की तरह बढ़ती ही जा रही है। बढ़ती आबादी को थामने के लिए तमाम मंचों पर चर्चाएं तो अक्सर होती हैं लेकिन आजादी के 75 साल बाद भी इसका कोई निदान नहीं निकल पाया है। जब भी जनसंख्या नियंत्रण कानून की चर्चा होती है तो इस पर सियासी बहस छिड़ जाती है। कोई जनसंख्या नियंत्रण कानून के पक्ष में नजर आता है तो तमाम लोग इसका खुलकर विरोध करने से भी नहीं चूकते हैं। परंतु यह बहस उस मुकाम पर समाप्त हो जाती है जहां राजनीतिक दलों को तो फायदा जरूर मिल जाता है लेकिन देश-प्रदेश को इससे नुकसान ही होता है। उत्तर प्रदेश में जब योगी सरकार का दूसरी बार गठन हुआ तो इस बात की उम्मीद काफी बढ़ गई थी कि उत्तर प्रदेश में भी जल्द ही जनसंख्या नियंत्रण कानून लागू हो जाएगा। इन उम्मीदों को तब और पंख लग गए जब 11 जुलाई 2022 को योगी सरकार ने उत्तर प्रदेश जनसंख्या नियंत्रण बिल 2022 की प्रस्तावना तय कर दी। इस बिल को लॉन्च किए करीब डेढ़ साल बीत गया। पिछले साल 11 जुलाई को जब इस बिल को योगी सरकार की ओर से लॉन्च किया गया था तो साफ किया गया था कि एक साल बाद इसे प्रदेश में लागू कर दिया जाएगा। इसके बाद सीएम योगी आदित्यनाथ ने जब जनसंख्या नियंत्रण के लिए जागरूकता रथों को रवाना किया तो सीधे तो नहीं, संकेतों में जनसंख्या विस्फोट को प्रदेश के विकास में बाधक बता दिया था। ऐसे में सवाल यह उठ रहा है कि क्या बिल लॉन्च किए जाने के करीब डेढ़ साल बाद उसे लागू कर दिया गया है? इस संबंध में भले ही राज्य सरकार की ओर से आधिकारिक तौर पर कोई बयान सामने नहीं आया है, लेकिन नियमों के आधार पर इसे प्रदेश में लागू किया जा सकता है।
दरअसल, योगी सरकार की ओर से 11 जुलाई 2021 को विश्व जनसंख्या दिवस के मौके पर प्रदेश के लिए नई जनसंख्या नीति की घोषणा की गई थी। इस बिल में साफ किया गया था कि दो से अधिक बच्चे वाले अभिभावकों को सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिलेगा। ऐसे लोग सरकारी नौकरी के लिए आवेदन भी नहीं कर पाएंगे। पंचायत और स्थानीय निकाय चुनाव लड़ने पर भी ऐसे लोगों को रोकने का प्रावधान है। एक बच्चे वाले अभिभावकों को कई प्रकार की सुविधा देने की योजना है। इस बिल का मुख्य उद्देश्य प्रदेश की जनसंख्या को नियंत्रण में लाने की है।
This story is from the November 2022 edition of DASTAKTIMES.
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