देश के साथ-साथ उत्तर प्रदेश की आबादी भी सुरसा के मुंह की तरह बढ़ती ही जा रही है। बढ़ती आबादी को थामने के लिए तमाम मंचों पर चर्चाएं तो अक्सर होती हैं लेकिन आजादी के 75 साल बाद भी इसका कोई निदान नहीं निकल पाया है। जब भी जनसंख्या नियंत्रण कानून की चर्चा होती है तो इस पर सियासी बहस छिड़ जाती है। कोई जनसंख्या नियंत्रण कानून के पक्ष में नजर आता है तो तमाम लोग इसका खुलकर विरोध करने से भी नहीं चूकते हैं। परंतु यह बहस उस मुकाम पर समाप्त हो जाती है जहां राजनीतिक दलों को तो फायदा जरूर मिल जाता है लेकिन देश-प्रदेश को इससे नुकसान ही होता है। उत्तर प्रदेश में जब योगी सरकार का दूसरी बार गठन हुआ तो इस बात की उम्मीद काफी बढ़ गई थी कि उत्तर प्रदेश में भी जल्द ही जनसंख्या नियंत्रण कानून लागू हो जाएगा। इन उम्मीदों को तब और पंख लग गए जब 11 जुलाई 2022 को योगी सरकार ने उत्तर प्रदेश जनसंख्या नियंत्रण बिल 2022 की प्रस्तावना तय कर दी। इस बिल को लॉन्च किए करीब डेढ़ साल बीत गया। पिछले साल 11 जुलाई को जब इस बिल को योगी सरकार की ओर से लॉन्च किया गया था तो साफ किया गया था कि एक साल बाद इसे प्रदेश में लागू कर दिया जाएगा। इसके बाद सीएम योगी आदित्यनाथ ने जब जनसंख्या नियंत्रण के लिए जागरूकता रथों को रवाना किया तो सीधे तो नहीं, संकेतों में जनसंख्या विस्फोट को प्रदेश के विकास में बाधक बता दिया था। ऐसे में सवाल यह उठ रहा है कि क्या बिल लॉन्च किए जाने के करीब डेढ़ साल बाद उसे लागू कर दिया गया है? इस संबंध में भले ही राज्य सरकार की ओर से आधिकारिक तौर पर कोई बयान सामने नहीं आया है, लेकिन नियमों के आधार पर इसे प्रदेश में लागू किया जा सकता है।
दरअसल, योगी सरकार की ओर से 11 जुलाई 2021 को विश्व जनसंख्या दिवस के मौके पर प्रदेश के लिए नई जनसंख्या नीति की घोषणा की गई थी। इस बिल में साफ किया गया था कि दो से अधिक बच्चे वाले अभिभावकों को सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिलेगा। ऐसे लोग सरकारी नौकरी के लिए आवेदन भी नहीं कर पाएंगे। पंचायत और स्थानीय निकाय चुनाव लड़ने पर भी ऐसे लोगों को रोकने का प्रावधान है। एक बच्चे वाले अभिभावकों को कई प्रकार की सुविधा देने की योजना है। इस बिल का मुख्य उद्देश्य प्रदेश की जनसंख्या को नियंत्रण में लाने की है।
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धोनी का जलवा बरकरार!
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बदल रहे मौसम में अपने खान-पान का रखें ध्यान
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हिंद महासागर के कई इलाकों में समुद्री डकैती जारी है । सोमालिया, इथोपिया, इरिट्रिया और जिबूती जैसे देशों के समुद्री डकैत समंदर में सामानों से भरे जहाज लूटने में लगे हैं और अब भारतीय नौसेना इनके लिए एक काल बनके उभरी है। भारतीय नौसेना ने अरब सागर और अदन की खाड़ी जैसे क्षेत्रों में मैरीटाइम सर्जिकल स्ट्राइक करते हुए 35 समुद्री लुटेरों को पकड़कर उन्हें मुंबई लेकर आई। इस कार्यवाही को आईएनएस कोलकाता ने अंजाम दिया है।
उत्तराखंड में ऊर्जा निगम से मिल रही नई ऊर्जा
उत्तराखंड ऊर्जा निगम ने केन्द्र सरकार की दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना के तहत पर्वतीय क्षेत्रों में घर-घर बिजली पहुंचाने और फाल्ट की समस्या के निस्तारण के लिए ठोस पहल की। उत्तराखंड ऊर्जा निगम का दावा है कि प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों को 99 प्रतिशत विद्युतीकृत कर दिया गया है। हालांकि पहाड़ों के कुछ दुर्गम क्षेत्रों तक बिजली पहुंचना बाकी है।
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पश्चिमी यूपी की 27 सीटों पर पहले तीन चरणों में मतदान होना है, जहां मुस्लिम वोटर की बड़ी आबादी किसी भी चुनाव का परिणाम बदलने का माद्दा रखती है। सपा, बसपा ने पिछले चुनाव में इसी समीकरण के जरिए आठ सीटें जीती थीं। वर्ष 2013 के मुजफ्फरनगर दंगों के बाद जाटों और मुस्लिमों के बीच जो दूरी बढ़ी, वह रालोद के लगातार प्रयास से कम हुई थी।
पहला द्वार पश्चिमी यूपी तो 7वां पूर्वांचल में खुलेगा
19 और 26 अप्रैल को प्रथम एवं द्वितीय चरण का मतदान होगा। इन दोनों चरणों में पश्चिमी यूपी की 16 सीटों पर वोटिंग होगी। प्रथम और दूसरे चरण के मतदान में पश्चिमी उत्तर प्रदेश की क्रमशः आठ-आठ सीटों के उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला होगा। 07 मई को भी तीसरे चरण में दस सीटों पर मतदान होगा। इसमें भी 10 में से पश्चिमी यूपी की चार सीटें शामिल होंगी।