तीर्थस्थल: आस्था के साथ अर्थव्यवस्था पर कोरोना का आघात
Rajasthan Diary
|May - June 2020
आपके गांव-शहर में घर के निकट छोटा सा मंदिर हो अथवा आस्था के केन्द्र माने जाने वाले बड़े मंदिर। राजस्थान के सालासर बालाजी, खाटूश्यामजी सरीखे प्रमुख मंदिर हो या फिर वैष्णोदेवी- तिरुपति बालाजी जैसे देश के प्रमुख तीर्थस्थल। कोरोना वायरस के आघात से कोई धार्मिक स्थल अछूता नहीं है। यानी सामाजिक दूरियों के साथ धार्मिक दूरियां भी प्रभावी है। कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव के लिए मंदिरों में श्रद्धालुओं के प्रवेश पर पिछले डेढ़ माह से प्रतिबंध है, इससे श्रद्धालु अपने आराध्य के दर्शनों से महरूम है। लॉकडाउन ने इन मंदिरों और तीर्थस्थलों के साथ ही इन प्रमुख शहर-कस्बों की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से पटरी से उतर चुकी है।
कोरोना वायरस ने इंसानियत के साथ-साथ आस्था पर भी गहरा आघात किया है। देशभर के जिन प्रसिद्ध मंदिरों में 24 घंटे भक्तों का तांता लगा रहता था इन दिनों सुनसान पड़े हैं। केवल पारम्परिक पूजा-अर्चना के सिवा इन मंदिरों में कुछ नहीं होता। यह मंदिर श्रद्धा के साथ बड़े पर्यटन केंद्र भी बनकर उभरे हैं, श्रद्धालुओ के ना आने से स्थानीय लोगों के रोजगार पर भी गहर&
This story is from the May - June 2020 edition of Rajasthan Diary.
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