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स्वामी सहजानन्द सरस्वती- किसानों को भगवान माननेवाला संन्यासी

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February 2020

स्वामी सहजानन्द सरस्वती का जन्म उत्तरप्रदेश के गाजीपुर जिले के देवा गांव में 22 फरवरी 1889 को महाशिवरात्रि के दिन हुआ था। चूंकि बचपन में ही उनकी माताजी का स्वर्गवास हो गया था, इसलिए पढ़ाई के दौरान ही उनका मन अध्यात्म में रमने लगा। फिर वह क्षण भी आया जब गुरु दीक्षा को लेकर उनके बाल सुलभ मन में धर्म की कतिपय विकृति के रिवलाफ आंतरिक विद्रोह पनपा।

- गोपाल जी राय

स्वामी सहजानन्द सरस्वती- किसानों को भगवान माननेवाला संन्यासी

सनातन धर्म के अंधानुकरण के खिलाफ सहजानंद जी के मन में जो भावना पली बढ़ी थी, उसने सनातनी मूल्यों के प्रति उनकी आस्था को और गहरा किया । यं तो वैराग्य भावना को देखकर बाल्यावस्था में ही उनकी शादी कर दी गई । लेकिन, संयोग ऐसा रहा कि सद्गृहस्थ जीवन शुरू होने के पहले ही इनकी पत्नी का स्वर्गवास हो गया । इसके बाद उन्होंने विधिवत संन्यास ग्रहण की और दशनामी

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कौन कहता है नहीं मिलता है बेटी के हाथों मोक्ष

जब मैंने तय किया कि मैं बिहार जाऊंगी, तो बहुत से लोगों का एक ही प्रश्न था, 'तुम्हें और कोई जगह नहीं मिली ?' राजधानी जैसी ट्रेन में भी किसी ने मुझे यह नहीं भूलने दिया कि मैं बिहार जा रही हूं और उससे बड़ी बात अकेली जा रही हूं। जाने से पहले मिलने वाली ढेर सारी नसीहतें और सफर के दौरान गुंडागर्दी के तमाम किस्से सुनते हुए जब मैंने छोटे से शहर 'गया' की जमीन पर कदम रखा, तो मन ही मन प्रार्थना दोहरा दी कि मैं सही-सलामत लौट आऊं। बिहार राज्य का छोटा सा शहर 'गया' पिंडदान और तर्पण के लिए पूरे विश्व में जाना जाता है। लेकिन कम ही लोग जानते हैं कि यहां उन मृतात्माओं को भी शांति और मोक्ष प्राप्त होता है, जिनके पुत्र नहीं हैं। आम धारणा है कि पुत्र यदि यह कर्म करें, तो ही माता-पिता को मोक्ष प्राप्त होगा। इस मान्यता के चलते कई परिवारों में यह कर्म ताऊ या चाचा के बेटों से कराया जाता है। जब हम विष्णुपद (पिंडदान यहां किए जाते हैं) पहुंचे, तो कई पिंडदानी (स्थानीय लोग पिंडदान करने वालों को यही कहते हैं) मौजूद थे। कर्म करा रहे शास्त्री जी ने बताया कि श्राद्ध सिर्फ कर्म ही नहीं श्रद्धा का प्रतीक भी है, इसलिए स्त्री हो या पुरुष जिसके मन में बड़ों के लिए श्रद्धा हो यह कर्म कर सकता है। गया में पितृपक्ष के दौरान ऐसा जनसैलाब उमड़ता है कि लगता है कहीं कुंभ का मेला ही लगा हुआ है। खुद के

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