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दविन्दर कौर उप्पल एक ज़बरदस्त शिक्षिका
Shaikshanik Sandarbh
|May - June 2021
श्रद्धांजलि
हमारे मारे समाज ने शिक्षकों से जो भी अपेक्षाएँ की हैं, वे ज़रूरत से ज़्यादा तो हैं ही, साथ ही अव्यवहारिक भी हैं। अव्यवहारिक इसलिए कि वे घर के, समाज के, स्कूल के और सरकार द्वारा शिक्षा व्यवस्था के संचालन से मेल नहीं खातीं। तमाम तरह की अपेक्षाओं को पूरा करने की कोशिश में अधिकांश शिक्षक पोस्टमैन की तरह ही केवल सन्देश वाहक का काम करते नज़र आते हैं। ज
This story is from the May - June 2021 edition of Shaikshanik Sandarbh.
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Shaikshanik Sandarbh
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किशोरावस्था में लड़के अनेक शारीरिक व भावनात्मक बदलावों से गुजर रहे होते हैं। पितृसत्तात्मक सामाजिक ताने-बाने में अक्सर इन बदलावों पर खुलकर बातचीत कर पाना और एक स्वस्थ नज़रिया विकसित कर पाना सम्भव नहीं होता। इसी कमी को ध्यान में रखकर एकलव्य ने बेटा करे सवाल किताब विकसित की है जिसके अलग-अलग अध्यायों में किशोरावस्था के विभिन्न आयामों व उनके सामाजिक-सांस्कृतिक, शारीरिक व भावनात्मक पहलुओं की चर्चा की गई है। आइए, पढ़ते हैं इस किताब का एक महत्वपूर्ण हिस्सा।
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