Shaikshanik Sandarbh Magazine - March - April 2022Add to Favorites

Shaikshanik Sandarbh Magazine - March - April 2022Add to Favorites

Go Unlimited with Magzter GOLD

Read Shaikshanik Sandarbh along with 8,500+ other magazines & newspapers with just one subscription  View catalog

1 Month $9.99

1 Year$99.99 $49.99

$4/month

Save 50% Hurry, Offer Ends in 12 Days
(OR)

Subscribe only to Shaikshanik Sandarbh

Buy this issue $0.99

Subscription plans are currently unavailable for this magazine. If you are a Magzter GOLD user, you can read all the back issues with your subscription. If you are not a Magzter GOLD user, you can purchase the back issues and read them.

Gift Shaikshanik Sandarbh

In this issue

Sandarbh issue no 139, March - April 2022

हँसाते - रुलाते, रिश्ते - नाते

किशोरावस्था में लड़के अनेक शारीरिक व भावनात्मक बदलावों से गुजर रहे होते हैं। पितृसत्तात्मक सामाजिक ताने-बाने में अक्सर इन बदलावों पर खुलकर बातचीत कर पाना और एक स्वस्थ नज़रिया विकसित कर पाना सम्भव नहीं होता। इसी कमी को ध्यान में रखकर एकलव्य ने बेटा करे सवाल किताब विकसित की है जिसके अलग-अलग अध्यायों में किशोरावस्था के विभिन्न आयामों व उनके सामाजिक-सांस्कृतिक, शारीरिक व भावनात्मक पहलुओं की चर्चा की गई है। आइए, पढ़ते हैं इस किताब का एक महत्वपूर्ण हिस्सा।

हँसाते - रुलाते, रिश्ते - नाते

1 min

हिन्दी भाषा का साहित्यिक सफर!

संदर्भ के अंक-136 में टी. विजयेंद्र का लेख हिन्दी हाज़िर है पढ़ा।

हिन्दी भाषा का साहित्यिक सफर!

1 min

जेंडर की जकड़न को तोड़ती कहानियाँ

बच्चों के साथ बातचीत

जेंडर की जकड़न को तोड़ती कहानियाँ

1 min

पुवितम में विज्ञान : ज़िन्दगी से सीखना

तमिल में पुवितम का मतलब 'धरती से प्रेम' होता है। पुवितम गतिविधि केन्द्र में बच्चे अपने आसपास के माहौल में सहजता से अवलोकन करना, खोजबीन करना और काम करना सीखते हैं। यह पद्धति विज्ञान सीखने पर किस तरह असर करती है? और शिक्षक इस प्रक्रिया में क्या भूमिका निभाते हैं?

पुवितम में विज्ञान : ज़िन्दगी से सीखना

1 min

रसोई में चिड़ियाघर

उन दिनों मैं पहले दर्जे में था। स्कूल से लौटकर अक्सर अपने चाचा के घर जाया करता था। उनका घर हमारे मुहल्ले ही में था। वे अकेले रहते थे। घर का सारा काम खुद करते थे। उनकी मेज़ किताबों और कागज़ों से इतनी लदी रहती थी कि देखकर लगता था, मानो अभी ढह जाएगी! लेकिन ऐसा हुआ कभी नहीं क्योंकि मेज़ के पाए किसी हाथी के बच्चे की टाँगों जितने मोटे और मज़बूत थे।

रसोई में चिड़ियाघर

1 min

बल्ब जलाओ जगमग-जगमग

"देखो... मैं आज गणित में तड़ी मारने वाला हूँ।” भागचन्द्र ने गली के मोड़ पर इसरार और नारंगी से कहा।

बल्ब जलाओ जगमग-जगमग

1 min

अजगर बिलों में सेही के साथ शान्ति से रहते हैं

अदिति मुखर्जी यहाँ अजगर तथा सेही, जिनके बीच अक्सर एक शिकारी और शिकार का सम्बन्ध होता है, के एक ही बिल में शान्ति से साथ-साथ रहने के अपने अध्ययन के बारे में बता रही हैं।

अजगर बिलों में सेही के साथ शान्ति से रहते हैं

1 min

फ्यूज़ बल्ब का कमाल

पुस्तक अंश - खोजबीन

फ्यूज़ बल्ब का कमाल

1 min

संख्याएँ कितनी वास्तविक एवं कितनी काल्पनिक?

शिक्षकों की कलम से

संख्याएँ कितनी वास्तविक एवं कितनी काल्पनिक?

1 min

बड़े काम के हैं भाषा के काम

शिक्षकों की कलम से

बड़े काम के हैं भाषा के काम

1 min

पौधे-माहू-चीटी की अन्तक्रिया की खोजबीन

आँगन में जीवन

पौधे-माहू-चीटी की अन्तक्रिया की खोजबीन

1 min

तितली ज़मीन पर

एक प्रोजेक्ट के सिलसिले में वर्षावन का दौरा करते समय कुछ सॉल्ट लेक के बारे में बताया गया था।

तितली ज़मीन पर

1 min

तथ्यों की खोज

स्कूली बच्चों के साथ सबसे लम्बे दिन का पता लगाना

तथ्यों की खोज

1 min

जिल पडलर

दक्षिण अफ्रीका की गणित शिक्षा शोधकर्ता

जिल पडलर

1 min

चिचड़ी (टिक)

"जानवर की याददाश्त होती है, पर कोई यादें नहीं।" हेमन्न स्टाइनथल (Heymann Steinthal)

चिचड़ी (टिक)

1 min

दविन्दर कौर उप्पल एक ज़बरदस्त शिक्षिका

श्रद्धांजलि

दविन्दर कौर उप्पल एक ज़बरदस्त शिक्षिका

1 min

मन के चित्रों और खयालों से लिखने-पढ़ने की चिंगारी तक

शिक्षकों की कलम से

मन के चित्रों और खयालों से लिखने-पढ़ने की चिंगारी तक

1 min

मुश्किल नहीं है बच्चों को गिनती सिखाना

बच्चे जैसे ही प्रारम्भिक कक्षाओं में स्कूल में भर्ती होते हैं वैसे ही गिनती सिखाने की जद्दोजहद शुरू हो जाती है।

मुश्किल नहीं है बच्चों को गिनती सिखाना

1 min

शिक्षकों की 'सुनना'

शिक्षकों के लिए विज्ञान करके सीखने की कार्यशाला के अनुभव

शिक्षकों की 'सुनना'

1 min

शक्तिशाली... सर्वव्यापी... जीवन का आधार, 'फफूंदों का अनोखा संसार

शक्तिशाली... सर्वव्यापी... जीवन नहीं बल्कि फफूंद की बात कर रही हूँ।

शक्तिशाली... सर्वव्यापी... जीवन का आधार, 'फफूंदों का अनोखा संसार

1 min

छतरी

कहानी - छतरी

छतरी

1 min

क्यों करें प्रयोग?

विज्ञान की कक्षा में गतिविधियों के पक्ष में कुछ और कारण

क्यों करें प्रयोग?

1 min

बूँद का कमाल

विज्ञान ज्ञान का पीरियड लग चुका था। मास्साब कक्षा में घुसे तो देखा कि बच्चे फ्यूज़ बल्ब में पानी भरकर अवलोकन कर रहे हैं।

बूँद का कमाल

1 min

मूँ तो चल्याँ टीको लगवावाँ, तूं भी चाल

ज़मीनी अनुभव, कोरोना काल

मूँ तो चल्याँ टीको लगवावाँ, तूं भी चाल

1 min

कहानी के आगे एक कक्षा अनुभव

शिक्षकों की कलम से

कहानी के आगे एक कक्षा अनुभव

1 min

सवालीराम

सवाल: पृथ्वी का छोर कहाँ है?

सवालीराम

1 min

और फिर उन्होंने एक गहरी साँस ली!

जैसे-जैसे बच्चे बड़े होते हैं, वे अलग-अलग तरीकों से अपने आसपास की दुनिया को समझने की कोशिश करते हैं। थोड़ी समझ उनके अपने अवलोकनों के कारण विकसित होती है, थोड़ी अपने माता-पिता या परिवार के अन्य सदस्यों की बातचीत सुनकर, तो थोड़ी लोकप्रिय माध्यमों से मिलने वाले सन्देशों से। शिक्षक और पाठ्यपुस्तकें भी बच्चों के ज्ञान के इस भण्डार में इजाफा करते हैं। बहरहाल, अक्सर बच्चे वास्तविक दुनिया के अनुभवों से जो समझ विकसित करते हैं, वह कक्षा में सीखी गई बातों से भिन्न होती है। स्कूली शिक्षा बिरले ही इस दोहरी, समानान्तर समझ पर कोई काम करती है।

और फिर उन्होंने एक गहरी साँस ली!

1 min

प्रकाश का अवलोकन - छायाएँ और प्रतिबिम्ब

क्या छायाएँ पूरी तरह से अँधेरी होती हैं? क्या कुछ छायाएँ अन्य छायाओं से ज़्यादा गहरी होती हैं? एक मोबाइल फोन के कैमरे तथा मनुष्य की आँख में क्या चीज़ समान होती है? क्या कोई प्राकृतिक पिन-होल कैमरा होता है? यदि हम चाहते हैं कि हमें अपना दाहिना हाथ वैसा ही दिखाई दे जैसा वह दूसरों को दिखता है, तो हमें कितने दर्पणों की ज़रूरत होती है? इस लेख में लेखक ने ऐसे कई सरल तरीकों का ज़िक्र किया है जिनके द्वारा, छायाओं और प्रतिबिम्बों का उपयोग करते हुए, प्रकाश के शिक्षण में दैनिक जीवन के अवलोकनों को अवधारणाओं से जोड़ा जा सकता है।

प्रकाश का अवलोकन - छायाएँ और प्रतिबिम्ब

1 min

अब्बू खाँ की बकरी

कहानी

अब्बू खाँ की बकरी

1 min

साये में बैंकिंग

यदि ठीक से काम करें तो बैंक कमाल के होते हैं और आम तौर पर वे ठीक से काम करते भी हैं। लेकिन नहीं करते तो मानो कयामत आ जाती है, जैसा कि वर्ष 2008 में संयुक्त राज्य अमरीका (यू.एस.ए.) और लगभग सारी दुनिया में हुआ।

साये में बैंकिंग

1 min

Read all stories from Shaikshanik Sandarbh

Shaikshanik Sandarbh Magazine Description:

PublisherEklavya

CategoryEducation

LanguageHindi

FrequencyBi-Monthly

A bimonthly magazine for school teachers on science and education, Sandarbh means ‘context’, and carries articles on various topics in Science and Education. These articles are meant to be a resource primarily for middle and high school teachers and students, who teach and learn in Hindi. The articles are usually in an informal style, and as far as possible are free of jargon. The magazine also serves as a means of communication between teachers across the country who write about their classroom experiences, activities and experiments that have worked and failed. Articles submitted to Sandarbh are often in Hindi, though many of them are in English and other languages as well, and are translated for publication.

  • cancel anytimeCancel Anytime [ No Commitments ]
  • digital onlyDigital Only
MAGZTER IN THE PRESS:View All