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कुछ पिटे हुए अनुभव
Shaikshanik Sandarbh
|November - December 2021
शिक्षक के हाथों हिंसा का शिकार हुए बच्चे अक्सर भावनात्मक और व्यवहारिक समस्याओं से ताउम्र जूझते हैं। मानसिक तनाव उनके संज्ञानात्मक कौशल और अकादमिक प्रदर्शन पर भी नकारात्मक प्रभाव डालता है। स्कूलों में शारीरिक दण्ड और अपमान व्यापक रूप होता आया है, और आज भी यह तमाम नियम-कानूनों के बावजूद भारत समेत कई देशों में स्कूली शिक्षा का अभिन्न हिस्सा है। लेखक ने इन्हीं मुद्दों पर अपने अनुभव साझा किए हैं जो तीन दशक बाद आज भी उतने ही मौजूं हैं।

अभी-अभ भी-अभी मेरा सामना ऐसे बच्चे से हुआ जिसकी स्कूल में जमकर पिटाई हुई थी। वैसे यह कोई पहली बार सामना नहीं हुआ था। मैं पहले भी ऐसे बच्चों के सम्पर्क में रहा हूँ। और मात्र सम्पर्क की बात क्यों करूँ, मेरी खुद की भी स्कूल में पिटाई हुई है। और ईमानदारी की बात तो यह है कि मैंने अपने छोटे भाई की बहुत पिटाई की। आज मैं उसके लिए बहुत शर्मिन्दा हूँ और आगे जो
This story is from the November - December 2021 edition of Shaikshanik Sandarbh.
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