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जन्तुओं में जनन संवाद की सम्भावनाएँ
Shaikshanik Sandarbh
|January - February 2022
धरातलीय वास्तविकता में, अमूमन ‘जन्तुओं में जनन' जैसे अहम विषय पाठ्यचर्या का हिस्सा होते हुए भी, कक्षा में संवाद का हिस्सा नहीं बन पाते। जहाँ एक ओर, शिक्षार्थियों के लिए, इन विषयों को पाठ्यपुस्तक से आगे बढ़कर सामाजिक परिवेशों से जोड़कर समझने की ज़रूरत है, वहीं कक्षा-कक्ष में शिक्षक इन्हें पढ़ाने से भी हिचकते हैं। ऐसे में, कक्षा में संवाद की क्या अहमियत उभरती है? शिक्षक किन कारणों से खुलकर इन विषयों का शिक्षण नहीं कर पाते? ऐसे सवालों और इनसे जुड़े सामाजिक मुद्दों पर रोशनी डालता है यह लेख।

एक दिन यूँ ही बातें करते हुए मैंने अपने सात साल के बच्चे से सवाल किया, “एक मांसाहारी डाइनोसॉर ‘स्पाइनोसॉरस हम दोनों में से किसी एक को खाना चाहती है, तो बताओ कि वह किसे खाए?”
बच्चे ने थोड़ा सोचा और बोला, “तुम्हें, मम्मी।”
“मुझे क्यों? आपको क्यों नहीं?"
“क्योंकि तुम्हारा तो बच्चा हो गया है, लेकिन मुझे तो अभी बच्चे पैदा करने हैं।"
This story is from the January - February 2022 edition of Shaikshanik Sandarbh.
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