विनायक दामोदर सावरकर, यह नाम, उनके व्यक्तित्व और कृतित्व को लेकर इन दिनों एक बार फिर चर्चा में है। वीर सावरकर के नाम से बहुचर्चित और विभिन्न राजनीतिक दलों के लिए 'पूज्य' को लेकर एक बार फिर तलवारें खिंचती दिख रही हैं। दरअसल, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा आरम्भ की गयी 'भारत जोड़ो यात्रा' जब महाराष्ट्र में पहुंची तो उन्होंने मीडिया के सामने सावरकर के ही राज्य में उनकी आलोचना कर दी। इतना ही नहीं, उनके द्वारा दिए गए बयान और प्रस्तुत किए तथ्यों से महाराष्ट्र में ही करीब तीन साल पहले बना 'महाअधाड़ी गठबंधन' पर ही प्रश्न चिन्ह उठने लगे हैं। वजह यह है कि उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना को राहुल गांधी द्वारा सावरकर पर की गयी टिप्पणी रास नहीं आ रही है बल्कि यह कहें कि वह इसे (बयान को) वापस लेने तक की आवाज उठाने लगी है। उधर, भाजपा भी विशेषकर महाराष्ट्र में सावरकर के नाम पर ही अपनी ऊंचाई तय करती रही है, सो उसे भी राहुल गांधी की इस बयानबाजी से ना सिर्फ गुरेज है बल्कि विरोध भी है। इसीलिए वह राहुल गांधी, कांग्रेस और उससे गठबंधन कर सरकार चलाने वाले बाला साहेब ठाकरे के वंशज उद्धव ठाकरे को भी 'आईना' दिखाने में कोई कोर कसर बाकी नहीं रख रहे हैं। इसके साथ ही सावरकर के पोते ने राहुल गांधी के खिलाफ मुंबई में शिकायत दर्ज कराई है। उधर, सावरकर को लेकर एक बार फिर राजनीतिक रोटियां सेंकी जाने लगी हैं। जबकि एक तथ्य यह है कि इतिहासकारों ने स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास अपनी सोच और विचारधारा के अनुसार ही लिखा और बताया। हालांकि विचारधाराओं के विरोधाभास के चलते भ्रम की जो स्थिति बनी, वह आज भी यथावत है। इतिहासकारों का एक वर्ग यह कहता है कि सावरकर खांटी हिन्दू राष्ट्र के समर्थक और कथित रूप से महात्मा गांधी के द्वि-राष्ट्र की विचारधारा के विरोधी थे। वहीं एक वर्ग सावरकर की सोच और उनके कृतित्व पर ही सवाल उठाता है। एक वर्ग यह मानता है कि सेल्युलर जेल में रहते सावरकर ने माफीनामा नहीं बल्कि ब्रितानिया हुकूमत पर कटाक्ष किया था।
Diese Geschichte stammt aus der December - 2022-Ausgabe von DASTAKTIMES.
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आईपीएल से दूर रहकर उर्वशी ने किया मायूस
उर्वशी रौतेला को निश्चित रूप से देश में सबसे अधिक पसंद की जाने वाली, सम्मानित और चहेती शख्सियतों में से एक माना जाता है। इस साल कान्स में उर्वशी रौतेला का जलवा बरकरार रहा।
अपनी तमिल फिल्म के बारे में दिलचस्प अपडेट देगी सनी लियोनी
सनी लियोनी अपनी आगामी फिल्म 'कोटेशन गैंग' पर एक रोमांचक अपडेट का अनावरण करने को तैयार हैं।
अदा शर्मा ने रैंप पर शेयर किया ऊप्स मोमेंट
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सुपर-8 में भारत की हो सकती है ऑस्ट्रेलिया से टक्कर
टी20 वर्ल्डकप का आगाज हो चुका है। टूर्नामेंट में 28 दिन तक 55 मैच खेले जाएंगे। ग्रुप स्टेज में 2 से 18 जून तक 17 दिन में 40 मैच होंगे। सुपर-8 स्टेज में 19 से 25 जून तक 7 दिन में 12 मैच खेले जाएंगे। 27 जून को दोनों सेमीफाइनल, वहीं 29 जून को फाइनल होगा। टी-20 वर्ल्ड कप की होस्टिंग अमेरिका और वेस्टइंडीज को मिली है। अमेरिका के 3 वेन्यू पर कुल 16 मैच होंगे। न्यूयॉर्क में 8, वहीं डलास और फ्लोरिडा में 4-4 मैच खेले जाएंगे।
जीवन में प्रसाद का अभाव और अवसाद का प्रभाव
जीवन में प्रसाद का अभाव है और अवसाद का प्रभाव। अवसाद वस्तुतः पराजित मानसिकता का परिणाम है। मित्रता सुख देती है। मित्र परस्पर सुख-दुख बांटते हैं लेकिन मित्रता भी स्वार्थ निरपेक्ष नहीं है। एकाकी होने में दुख है। एकाकी अनुभव होने में और ज्यादा दुख है। बृहदारण्यक उपनिषद में सृष्टि के विकास का सुन्दर वर्णन है। ऋषि कहते हैं, पहले वह अकेला था। अकेला होने के कारण उसे आनंद नहीं मिला।
पिता एक रिश्ता है तो जिम्मेदारी का नाम भी
अंतर्राष्ट्रीय पिता दिवस (16 जून) पर विशेष
बच्चों को गैजेट नहीं, टाइम दें!
आजकल कम उम्र में बच्चे आत्महत्या जैसा भयानक कदम उठाने से भी परहेज नहीं करते। इसकी बड़ी वजह है परिवार, संयुक्त परिवार की जगह एकांकी परिवार का बढ़ता चलन। बात यहीं तक सीमित नहीं है, समस्या यह भी है घर में रहते हुए भी लोगों का अधिकांश समय आपसी बातचीत से अधिक मोबाइल, टीवी में गुजरता है। इस वजह से आपस में सामाजिक दूरियां भी बढ़ रही हैं।
एनडीए की जीत पर पाकिस्तान सदमे में!
भारत में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा अकेले दम पर बहुमत आंकड़ा पार नहीं कर पाई तो सबसे ज्यादा खुश पाकिस्तानी नेता नजर आए। 2019 के मुकाबले भाजपा की सीटें घटने पर पाकिस्तान में इमरान खान की सरकार में मंत्री रहे फवाद चौधरी ने खुशी जताई। फवाद ने कहा कि उनको उम्मीद थी कि भारत की जनता नरेंद्र मोदी और उनकी विचारधारा को खारिज करेगी।
एनडीए ने 9, इंडिया ने 5 सीटों पर जमाया कब्जा
भाजपा को रांची, धनबाद, पलामू, कोडरमा, चतरा हजारीबाग, जमशेदपुर और गोड्डा सीट पर सफलता मिली तो आजसू एक बार फिर गिरिडीह सीट बचाने में सफल रहा। वहीं इस बार दुमका, राजमहल और सिंहभूम सीट झामुमो के खाते में गई तो वही लोहरदगा और खूंटी सीट कांग्रेस ने जीत ली। एनडीए और इंडिया के लिए प्रतिष्ठा बनी खूंटी और दुमका भी भाजपा ने गंवा दी। यहां से केन्द्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा और हाल ही में झामुमो छोड़कर भाजपा में शामिल हुईं सीता सोरेन दुमका सीट नहीं बचा सकी। दो बार चुनाव जीतने वाली लोहरदगा संसदीय सीट भी भाजपा ने गंवा दी।
लालू की रणनीति से गठबंधन के सहयोगी भी चित
बिहार में पूरे लोकसभा चुनाव पर नजर डालें तो इंडिया गठबंधन जिस तरह के जीत के दावे कर रहा था, वैसी सफलता नहीं मिली। हालांकि, उसे नौ सीटों मिली जीत छोटी नहीं है, क्योंकि पिछली बार महज एक सीट पर जीत मिली थी। इस जीत में बड़ी भूमिका तेजस्वी यादव की रही। पिता लालू प्रसाद की पूरी रणनीति पर उन्होंने काम किया और पूरे चुनाव प्रचार में वे बड़े स्टार प्रचारक के रूप में रहे। चुनाव प्रचार के दौरान पूरे इंडिया गठबंधन में राजद को छोड़ अन्य किसी बड़े नेता ने चुनाव प्रचार को बहुत गंभीरता से नहीं लिया।