कोशिश गोल्ड - मुक्त
फिर जीवंत हुए वीर सावरकर!
DASTAKTIMES
|December - 2022
कांग्रेस के पूर्व उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने महाराष्ट्र के वाशिम जिले में आयोजित एक रैली में वीर सावरकर को लेकर बीजेपी और आरएसएस पर निशाना साधा था। भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहल गांधी ने महाराष्ट्र में रैली की। बिरसा मुंडा जयंती के मौके पर राहुल गांधी आदिवासियों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि एक ओर बिरसा मुंडा जैसी महान शख्सियत हैं, जो अंग्रेजों के सामने झुके नहीं और दूसरी ओर सावरकर हैं, जो अंग्रेज़ों से माफी मांग रहे थे।
विनायक दामोदर सावरकर, यह नाम, उनके व्यक्तित्व और कृतित्व को लेकर इन दिनों एक बार फिर चर्चा में है। वीर सावरकर के नाम से बहुचर्चित और विभिन्न राजनीतिक दलों के लिए 'पूज्य' को लेकर एक बार फिर तलवारें खिंचती दिख रही हैं। दरअसल, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा आरम्भ की गयी 'भारत जोड़ो यात्रा' जब महाराष्ट्र में पहुंची तो उन्होंने मीडिया के सामने सावरकर के ही राज्य में उनकी आलोचना कर दी। इतना ही नहीं, उनके द्वारा दिए गए बयान और प्रस्तुत किए तथ्यों से महाराष्ट्र में ही करीब तीन साल पहले बना 'महाअधाड़ी गठबंधन' पर ही प्रश्न चिन्ह उठने लगे हैं। वजह यह है कि उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना को राहुल गांधी द्वारा सावरकर पर की गयी टिप्पणी रास नहीं आ रही है बल्कि यह कहें कि वह इसे (बयान को) वापस लेने तक की आवाज उठाने लगी है। उधर, भाजपा भी विशेषकर महाराष्ट्र में सावरकर के नाम पर ही अपनी ऊंचाई तय करती रही है, सो उसे भी राहुल गांधी की इस बयानबाजी से ना सिर्फ गुरेज है बल्कि विरोध भी है। इसीलिए वह राहुल गांधी, कांग्रेस और उससे गठबंधन कर सरकार चलाने वाले बाला साहेब ठाकरे के वंशज उद्धव ठाकरे को भी 'आईना' दिखाने में कोई कोर कसर बाकी नहीं रख रहे हैं। इसके साथ ही सावरकर के पोते ने राहुल गांधी के खिलाफ मुंबई में शिकायत दर्ज कराई है। उधर, सावरकर को लेकर एक बार फिर राजनीतिक रोटियां सेंकी जाने लगी हैं। जबकि एक तथ्य यह है कि इतिहासकारों ने स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास अपनी सोच और विचारधारा के अनुसार ही लिखा और बताया। हालांकि विचारधाराओं के विरोधाभास के चलते भ्रम की जो स्थिति बनी, वह आज भी यथावत है। इतिहासकारों का एक वर्ग यह कहता है कि सावरकर खांटी हिन्दू राष्ट्र के समर्थक और कथित रूप से महात्मा गांधी के द्वि-राष्ट्र की विचारधारा के विरोधी थे। वहीं एक वर्ग सावरकर की सोच और उनके कृतित्व पर ही सवाल उठाता है। एक वर्ग यह मानता है कि सेल्युलर जेल में रहते सावरकर ने माफीनामा नहीं बल्कि ब्रितानिया हुकूमत पर कटाक्ष किया था।

यह कहानी DASTAKTIMES के December - 2022 संस्करण से ली गई है।
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