महागठबंधन में गांठ
DASTAKTIMES
|November - 2025
उपेक्षा का आरोप लगाकर झामुमो ने किया बिहार विधानसभा चुनाव से किनारा, चुनाव के बाद करेंगे हिसाब
बिहार चुनाव में महागठबंधन ने झारखंड मुक्ति मोर्चा को किनारे करके अपने करीबी साझेदार को नाराज़ कर दिया है। यहां तक कि सीएम हेमंत सोरेन ने चुनाव में महागठबंधन के लिए प्रचार करने से भी इनकार कर दिया है। बिहार चुनाव के बाद सियासी तूफान आने वाला है और इसका असर झारखंड की राजनीति पर दिखना लाजिमी है।
एक मशहूर कहावत है कि राजनीति में कभी कोई स्थायी दुश्मन या दोस्त नहीं होता। राजनीतिक संबंध अक्सर बदलते रहते हैं क्योंकि इसमें निजी स्वार्थ सर्वोपरी होता है। राजनीतिक व्यवहार मुख्य रूप से हितों पर आधारित होता है, न कि स्थायी निष्ठाओं पर। राजनीति कब किस करवट बैठेगी यह कोई नहीं बता सकता। सूबे में भले ही झामुमो, कांग्रेस और राजद का गठबंधन है लेकिन बिहार विधानसभा चुनाव में सीट बंटवारे को लेकर जिस प्रकार की परिस्थितियां बनीं, उससे आने वाले वक़्त में झारखंड की राजनीति पर दूरगामी प्रभाव पड़ेंगे और इस सियासी तूफान की वजह से होने वाले उथल-पुथल का असर झारखंड की राजनीति पर भी दिखेगा। बिहार विधानसभा चुनाव के बीच ही महागठबंधन और झामुमो के बीच दरार पड़ गई है।
झामुमो ने झारखंड में गठबंधन पर पुनर्विचार करने की चेतावनी दी है। पार्टी के सूत्रों ने बताया कि बिहार विधानसभा चुनाव और झारखंड में घाटशिला उपचुनाव के परिणाम के बाद पार्टी का नेतृत्व गठबंधन को लेकर कोई बड़ा फैसला ले सकता है। बिहार विधानसभा से आखिरकार झारखंड मुक्ति मोर्चा पीछे हट गया।
विधानसभा चुनाव में 6 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा के बावजूद नामांकन के अंतिम दिन पार्टी ने किसी भी सीट पर प्रत्याशी नहीं उतारा। इसके बाद पार्टी के वरिष्ठ नेता और सरकार में मंत्री सुदिव्य कुमार सोनू ने राजद और कांग्रेस पर तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा, 'झामुमो राजद और कांग्रेस की राजनीतिक धूर्तता का शिकार हो गया, हम इसका प्रतिकार करेंगे। कांग्रेस पार्टी भी इसके लिए बराबर की दोषी है इसका दूरगामी परिणाम होगा। झारखंडी कभी भी किसी का धोखा नहीं भूलता। हम बताएंगे कि झामुमो बड़ी ताकत है। आदिवासियों की आवाज़ दबाने की कोशिश हुई है। इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा।'
विवाद की वजहयह कहानी DASTAKTIMES के November - 2025 संस्करण से ली गई है।
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