मानवीय गरिमा का लेखक
DASTAKTIMES
|November - 2025
इस वर्ष साहित्य के प्रतिष्ठित नोबेल पुरस्कार से हंगरी लेखक लास्जलो क्रास्जनाहोरकाई को उनके उपन्यास 'हर्ट 07769' के लिए नवाज़ा गया है। उन्हें यह सम्मान उनकी दूरदर्शी कृति के लिए मिला। उनकी रचनाएं, विशेषकर 'सियोबो देयर बिलो', चीन और जापान की यात्राओं से प्रेरित हैं, जो नश्वरता और सौंदर्य के गहरे विचारों को उजागर करती हैं। लास्ज़लो को आधुनिक साहित्य के सबसे कठिन, लेकिन गहराई वाले लेखकों में शुमार किया जाता है। उनकी लेखनशैली लंबी, विचारपूर्ण और दार्शनिक वाक्यों के लिए मशहूर है। कई बार एक वाक्य पूरी किताब जितने लंबे हो जाते हैं। उनकी भाषा में निराशा, हास्य और अस्तित्व की बेचैनी का मिलीजुला रूप नज़र आता है। पढ़िए, लास्जलो क्रास्जनाहोरकार्ड की रचनाशैली और उनकी कुछ रचनाओं के बारे में
साहित्य के क्षेत्र में 2025 का नोबेल पुरस्कार प्राप्त करने वाले लास्ज़लो क्रास्जनाहोरकाई को पिछले एक दशक में पढ़ते हुए बार-बार यह महसूस होता है कि मैं ऐसे लेखक की संगत में हूं, जो अपनी भाषा की ज़मीन पर बेहद मज़बूती, तैयारी और आत्मविश्वास के साथ खड़ा है। वह आरंभ से ही हंगेरियन भाषा की गहराइयों और संभावनाओं से भली-भांति परिचित थे। लेखन के शुरुआती दौर में ही उन्हें यह स्पष्ट हो गया था कि बीते दो शताब्दियों में हंगेरियन भाषा का अद्भुत विकास हुआ है और यूरोप की कई अन्य भाषाओं की तुलना में यह कहीं अधिक लचीली और अभिव्यंजक है। जहां संवाद या अनुवाद के लिए फ्रेंच और स्पेनिश में दो विकल्प मिलते हैं, वहीं हंगेरियन में दस संभावनाएं मौजूद हैं। लास्ज़लो क्रास्जनाहोरकाई को पढ़ते हुए हम उस गद्य-भाषा से रूबरू होते हैं, जिसकी जड़ें गहरी हैं और जिसका प्रकाश पाठक के अंतस में बहुत धीरे-धीरे फैलता है। रील रोग से ग्रसित हमारी दुनिया में इस भाषा की सुगंध को महसूस करने के लिए पाठक के भीतर पर्याप्त धैर्य और एकाग्रता का होना आवश्यक है। पिछले चार दशकों में उन्होंने अपने लिए जो भाषा गढ़ी है, वह बाज़ार की अपेक्षाओं और समय की गति से बिल्कुल बेपरवाह नज़र आती है।
इतिहास और सभ्यता का क्षय
5 जनवरी 1954 को हंगरी के छोटे से शहर ग्युला में जन्मे क्रास्जनाहोरकाई ने समाजवादी उम्मीदों से भरे दौर में अपनी लेखकीय चेतना का विकास किया। उनका बचपन ग्रामीण और दमनकारी माहौल में बीता, जिसने संभवतः उनके भीतर इतिहास के प्रति शुरुआती सजगता और दृष्टि का बीज बोया। बुडापेस्ट में कानून और साहित्य की पढ़ाई के बाद 1985 में उनका पहला उपन्यास 'सातानतांगो' प्रकाशित हुआ। यह एक समाप्त हो रही सामूहिक खेती और ग्रामीण जीवन पर आधारित उदास, गहन और दार्शनिक कथा थी, जो केवल हंगरी की कहानी न होकर पूरी मानव सभ्यता के पतन का रूपक बन गई। अपने विषय की नवीन प्रस्तुति और दार्शनिक गहराई के कारण यह उपन्यास तत्काल चर्चित हुआ। उनके घनिष्ठ मित्र और सहयोगी फिल्मकार बेला टार ने 'सातानतांगो' को सात घंटे की लंबी फिल्म में रूपांतरित किया, जिसे सिनेमाई शोकगीत कहना गलत नहीं होगा। इस फिल्म ने दोनों को 'प्रलय के भविष्यवक्ता' के रूप में प्रसिद्ध कर दिया।
प्रलय और प्रतिरोध
Diese Geschichte stammt aus der November - 2025-Ausgabe von DASTAKTIMES.
Abonnieren Sie Magzter GOLD, um auf Tausende kuratierter Premium-Geschichten und über 9.000 Zeitschriften und Zeitungen zuzugreifen.
Sie sind bereits Abonnent? Anmelden
WEITERE GESCHICHTEN VON DASTAKTIMES
DASTAKTIMES
तिरूपति में शादी करना चाहती हैं जान्हवी कपूर
जान्हवी कपूर ने अपने अब तक के सफर में बहुत कुछ झेला है। उनके संघर्ष, दर्द और को जानकर व समझकर आप उन्हें शोहरत, प्यार और इंसानी स्वभाव को लेकर उनके शंकालु होने के लिए दोषी नहीं ठहरा सकते। इन सबके बावजूद, एक बेबाक बातचीत के दौरान, मुंबई की वरिष्ठ पत्रकार मीरा गणपति ने उनके अंदर पुराने ज़माने के रोमांस को पाने की ललक देखी।
5 mins
November - 2025
DASTAKTIMES
महागठबंधन में गांठ
उपेक्षा का आरोप लगाकर झामुमो ने किया बिहार विधानसभा चुनाव से किनारा, चुनाव के बाद करेंगे हिसाब
8 mins
November - 2025
DASTAKTIMES
लाभार्थी वोटर दिखाएगा रंग
इस चुनाव में बिहार का लाभार्थी वोटर अहम भूमिका निभाने जा रहा है। चुनाव का सारा दारोमदार इसी वोटबैंक पर है। अगर इस वोटबैंक का मोहभंग हुआ तो एनडीए को इसका खामियाज़ा उठाना पड़ सकता है लेकिन जमीन पर ऐसा होता नहीं दिख रहा। छह किस्तों में महिलाओं के खाते में दस हजार रुपए डाल कर एनडीए ने बिहार चुनाव का रुख बदल दिया है। पटना से दस्तक टाइम्स की रिपोर्ट।
4 mins
November - 2025
DASTAKTIMES
उत्तराखंडः 18 हजार शिक्षकों पर संकट की तलवार
पूरे देश में टीईटी को अनिवार्य बनाने को लेकर जहां शिक्षकों में रोष और आक्रोश है, वहीं उससे उत्तराखंड भी अछूता नहीं हैं। वहां विभिन्न स्कूलों में सेवारत 18 हजार शिक्षकों पर संकट की तलवार लटक रही है।
3 mins
November - 2025
DASTAKTIMES
मानवीय गरिमा का लेखक
इस वर्ष साहित्य के प्रतिष्ठित नोबेल पुरस्कार से हंगरी लेखक लास्जलो क्रास्जनाहोरकाई को उनके उपन्यास 'हर्ट 07769' के लिए नवाज़ा गया है। उन्हें यह सम्मान उनकी दूरदर्शी कृति के लिए मिला। उनकी रचनाएं, विशेषकर 'सियोबो देयर बिलो', चीन और जापान की यात्राओं से प्रेरित हैं, जो नश्वरता और सौंदर्य के गहरे विचारों को उजागर करती हैं। लास्ज़लो को आधुनिक साहित्य के सबसे कठिन, लेकिन गहराई वाले लेखकों में शुमार किया जाता है। उनकी लेखनशैली लंबी, विचारपूर्ण और दार्शनिक वाक्यों के लिए मशहूर है। कई बार एक वाक्य पूरी किताब जितने लंबे हो जाते हैं। उनकी भाषा में निराशा, हास्य और अस्तित्व की बेचैनी का मिलीजुला रूप नज़र आता है। पढ़िए, लास्जलो क्रास्जनाहोरकार्ड की रचनाशैली और उनकी कुछ रचनाओं के बारे में
5 mins
November - 2025
DASTAKTIMES
प्रशांत किशोर की पहली अग्निपरीक्षा
जब चुनावी रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर ने पिछले साल अक्टूबर में 200 दिनों की पदयात्रा के बाद जन सुराज पार्टी की शुरुआत की थी, तब उन्होंने खुद को बिहार की जड़ होती राजनीति में बदलाव का प्रतीक बताया। उन्होंने जमीनी स्तर पर लोगों को इकट्ठा करने और युवा एनर्जी से जुड़े एक मूवमेंट के साथ नीतीश कुमार की जेडी (यू) और लालू प्रसाद की आरजेडी की गहरी एकाधिकार वाली सरकार को चुनौती देने का वादा किया। टिकट वितरण के बाद पार्टी में विद्रोह, आरोप-प्रत्यारोप और पलायन ने पीके के 'सुधार अभियान' को झटका दिया है। जिन युवाओं और पेशेवरों ने बदलाव के सपने के साथ इस आंदोलन को खड़ा किया, वे अब आरोप लगा रहे हैं कि 'टिकट पैसों में बिके' और 'निर्णय ऊपर से थोपा गया।'
5 mins
November - 2025
DASTAKTIMES
युवा हाथों में उत्तराखंड
2007 के बाद राज्य में राजनीतिक अस्थिरता का ऐसा दौर शुरू हुआ कि उत्तराखंड विकास की वह रफ्तार नहीं पकड़ पाया जिसकी इस राज्य को सबसे ज्यादा ज़रूरत थी। 2014 में जब केंद्र में पहली बार मोदी सरकार बनी तब उत्तराखंड की सत्ता कांग्रेस के हाथ में थी। उत्तराखंड में मार्च 2017 में बीजेपी पूर्ण बहुमत के साथ दोबारा सत्ता में आई। लेकिन राज्य में बीजेपी अंदरूनी राजनीति और अंतर्कलह का शिकार हो गई। तब पहली बार बीजेपी हाईकमान को लगा कि राजनीतिक स्थिरता के अलावा इस नए और प्रगितशील राज्य को एक युवा और ऊर्जावान नेतृत्व की ज़रूरत है जो ज़रूरत पड़ने पर सख्त कदम उठाने से न चूके। और बीजेपी हाईकमान ने उत्तराखंड की कमान युवा नेता पुष्कर सिंह धामी के हाथ में सौंप दी।
4 mins
November - 2025
DASTAKTIMES
रजत जयंती का जश्न
पारंपरिक पहाड़ी टोपी पहने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी उत्तराखंड की स्थापना के 25 साल पूरे होने का जश्न मनाने नौ नवंबर को देहरादून आए।
3 mins
November - 2025
DASTAKTIMES
उत्तराखंड को बनाएंगे देश का सर्वश्रेष्ठ राज्य
रजत जयंती पर विशेष
7 mins
November - 2025
DASTAKTIMES
अब यूपी के जेवर का जलवा
यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बहुत जल्द देश को एक जबरदस्त तोहफा देने जा रहे हैं। जेवर में एशिया का सबसे बड़ा नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट बन कर तैयार हो चुका है। पहले चरण में लखनऊ, वाराणसी, पटना समेत 10 शहरों के लिए उड़ानें मिलेंगी। जेवर का नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट इतना बड़ा है कि इसमें एक साथ 178 विमान खड़े हो सकते हैं। एयरपोर्ट की डिज़ाइन पूरी तरह से इको-फ्रेंडली और फ्यूचर-रेडी है। यूपी के हवाई परिवाहन के क्षेत्र में आई क्रांति पर दस्तक टाइम्स की यह रिपोर्ट।
3 mins
November - 2025
Listen
Translate
Change font size

