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ग्रामीण कृषि मौसम सेवा परियोजना के तहत जागरुकता कार्यक्रम
27 मार्च, 2024 को कृषि अनुसंधान केंद्र, बोरवट फार्म बांसवाड़ा के ग्रामीण कृषि मौसम सेवा परियोजना के तहत एकदिवसीय कृषक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन झेर्पारा (करजी) गांव में किया गया.
रोमनेस्को ब्रोकोली - एक अनोखी गोभी, जो है सेहत का खजाना
यहां हम ऐसी एक विदेशी सब्जी की खेती की बारे में जानकारी दे रहे हैं, जो अपने रंग, रूप और आकार के अलावा अपने पोषक तत्त्वों की प्रचुरता के लिए जानी जाती है. गोभी कुल की इस सब्जी का नाम रोमनेस्को ब्रोकोली है, जो एक तरह की फूलगोभी है.
खेती की पैदावार बढ़ाते जैव उर्वरक
खेत में रासायनिक खाद के अंधाधुंध इस्तेमाल से हमारी खेती की जमीन में जीवांश की मात्रा घटने से उस की उपजाऊ शक्ति घटती जाती है. बायोफर्टिलाइजर से काफी हद तक इस को नियंत्रित किया जा सकता है.
मशीनों की जरूरत, इस्तेमाल व रखरखाव
भारत में बहुत से क्षेत्र ऐसे हैं, जहां कृषि से जुड़े विभिन्न यंत्र व मशीनें बनाई जाती हैं या फिर दूसरी जगह से ला कर बेची जाती हैं.
जीरो टिल सीड कम फर्टिलाइजर ड्रिल यंत्र से करें सीधी बोआई
आमतौर पर किसी भी फसल को बो से पहले खेत तैयार करने में 3-4 जुताइयां करनी होती हैं, पर इस यंत्र से जुताई करने पर खर्चा भी काफी बचता है.
सरकार से परेशान देश का किसान
तकरीबन 2 साल पहले मोदी सरकार द्वारा लाए गए 3 कृषि कानूनों को वापस लेने की हुंकार के साथ किसानों ने दिल्ली की घेराबंदी की थी. 'दिल्ली चलो' के नारे के साथ दिल्ली के बॉर्डर पर किसानों ने डेरा डाला था, क्योंकि दिल्ली के अंदर घुसने के सारे रास्तों पर पुलिस ने सीमेंट दीवारों पर कीलकांटे जड़ कर किसानों और केंद्र सत्ता के बीच मजबूत दीवार खड़ी कर दी थी.
साधारण व्यक्तित्व के असाधारण प्रयासों से बुंदेलखंड के पानीदार होने की कहानी
जिस अनजान नायक ने बुदेलखंड को पानीदार बनाया, वे यह सब सामुदायिक सहयोग के बूते बगैर सरकार की सहायता के करते हैं. उमाशंकर पांडेय के पास न कोई एनजीओ है, न संस्था है, न कोई कार्यालय और न ही वाहन.
आलू की खुदाई, छंटाई कृषि यंत्र
आलू जड़ वाली फसल है. फसल तैयार होने के बाद आलू की समय से खुदाई करना बहुत ही जरूरी है अन्यथा आलू खराब हो सकता है. कई बार बरसात व ओले गिरने का भी डर बना होता है. इसलिए आलू की खुदाई का काम समय रहते पूरा हो जाना चाहिए, जिस से कि रखरखाव ठीक प्रकार से हो सके.
फसल कटाई व थ्रैशिंग यंत्र महिंद्रा हार्वेस्टर
फसल की कटाई व थ्रैशिंग का काम अब कृषि यंत्रों से होने लगा है. ज्यादातर किसानों द्वारा ट्रैक्टर का इस्तेमाल करना सामान्य सी बात हो गई है और लगता है कि इसी बात को ध्यान में रखते हुए महिंद्रा कृषि यंत्र निर्माता कंपनी ने ट्रैक्टर के सहयोग से चलने वाला हार्वेस्टर बनाया है, जो फसल की कटाई और थ्रैशिंग का काम आसानी से करता है.
प्राकृतिक खेती आज की जरूरत
प्राकृतिक खेती एक भारतीय पारंपरिक कृषि पद्धति है, जो प्रकृति के साथ तालमेल बना कर पर्यावरण संरक्षण के साथसाथ स्वास्थ्यवर्धक खाद्य सुरक्षा प्रदान करने के साथ ही टिकाऊ खेती को बढ़ावा देती है. प्राकृतिक खेती में रसायनों के प्रयोग को पूरी तरह से वर्जित किया जाता है और फसलोत्पादन के लिए स्थानीय स्तर पर उपलब्ध संसाधनों का प्रयोग पौध पोषण एवं फसल सुरक्षा के लिए किया जाता है.
मुनाफे का एग्रीकल्चर बिजनैस आइडिया
आज देश में बढ़ती हुई आबादी और घटती हुई खेती की जमीन को देखते हुए जरूरी है कि इसे व्यवसाय के रूप में अपनाना होगा. लघु एवं सीमांत किसानों को अपनी आय में अगर इजाफा करना है तो वह किसी व्यवसाय को अवश्य अपनाएं.
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ने विकसित की अनेक किस्में
वर्तमान समय में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान विकसित गेहूं की किस्में द्वारा तकरीबन 9 मिलियन हेक्टेयर में फैली हुई हैं और अन्न भंडार में 40 मिलियन टन गेहूं का योगदान करती हैं.
ऐसे करें फसलों में रोग प्रबंधन
हमारे देश में कीटों और रोगों के प्रकोप से हर साल 18-30 फीसदी तक फसल बरबाद हो जाती है, जिस से देश को करोड़ों रुपए का नुकसान होता है. रोगों और कीटों से होने वाले नुकसान को रोकने के लिए रासायनिक कीटनाशकों की जरूरत पड़ती है. आज इन रासायनिक कीटनाशकों की खपत साल 1954 में 434 टन की तुलना में 90 के दशक में तकरीबन 90,000 टन तक पहुंच गई थी, जो अब 55,000 टन के आसपास है.
55 दिनों में तैयार होगी 'जनकल्याणी मूंग'
वाराणसी के प्रगतिशील किसान प्रकाश सिंह रघुवंशी ने बताया कि उन की 'कुदरत कृषि शोध संस्था' द्वारा मूंग की नई प्रजाति 'जनकल्याणी मूंग' विकसित की गई है, जिस की फसल मात्र 55 दिनों में पक कर तैयार हो जाएगी.
घीया की खास किस्म 'एचबीजीएच हाईब्रिड-35'
हरियाणा के चौधरी चरण सिंह कृषि विश्वविद्यालय, हिसार द्वारा विकसित घीया की संकर किस्म 'एचबीजीएच हाईब्रिड35 किस्म ज्यादा से ज्यादा किसानों तक पहुंचाने के लिए प्रयासरत है, जिस से कि किसान न केवल इस किस्म की अच्छी पैदावार पा सकते हैं, बल्कि अच्छी आमदनी हासिल कर अपनी माली हालत को मजबूत भी कर सकते हैं.
जीवाणु कल्चर बायोडीकंपोजर
बायोडीकंपोजर 'जैविक कृषि अनुसंधान केंद्र' द्वारा बनाया गया अपशिष्ट विघटनकारी है. न कोई खाद, न कोई पैस्टीसाइड, न फफूंदनाशी. यह कृषि की एक नई विधि है, जो पूरी तरह से जैविक है. यह बायोडीकंपोजर किसानों की लागत को आधा करती है. पैस्टीसाइड पर होने वाले खर्च को भी बहुत कम कर देती है.
भारत में टौप सुपर सीडर
सुपर सीडर यंत्र किसानों के लिए बहुत ही उपयोगी है. इस से मजदूरी, समय, पैसे आदि की भी बचत होती है. इस के उपयोग से हमारा वातावरण दूषित नहीं होता है और मिट्टी की उर्वरता और गुणवत्ता दोनों ही अच्छी बनी रहती हैं.
नेटाफिम सिंचाई तकनीक बूंदबूंद पानी का इस्तेमाल
आज के समय में पानी व सिंचाई ऐसा विषय है, जिन पर बहुतकुछ सोचा व किया जा रहा है, खासकर खेती की सिंचाई की बात करें, तो हमारे देश में अलगअलग जलवायु है. कहीं बेहिसाब पानी है, तो कहीं सूखा पड़ता है, इसलिए हमें पानी को ले कर जल संरक्षण के बारे में सोचना होगा. कम पानी में भी अच्छी खेती की जा सकती है. इस के लिए हमें खेती में सिंचाई के लिए आधुनिक तौरतरीकों को जानना होगा और उन्हें अपनाना होगा.
लोबिया की किस्में
अर्का समृद्धि : इस किस्म को आईएचआर-16 के नाम से भी जानते हैं. यह जल्दी पकने वाली किस्म है. इस के पौधे सीधे, झाड़ीनुमा व 70-75 सैंटीमीटर लंबे होते हैं. इस की फलियां हरी, औसत मोटाई, मुलायम, गूदेदार, 15-18 सैंटीमीटर लंबी होती हैं. एक हेक्टेयर खेत से 180-190 क्विटल तक पैदावार मिल जाती है.
लोबिया की खेती व खास किस्में
बरबटी की खेती पशुओं के लिए हरा चारा, दाल व हरी फलियों की सब्जी के तौर पर की जाती है.
वनराजा मुरगीपालन
'ग्रामीण आजीविका 'मिशन' के तहत भूमिहीन एवं छोटी जोत वाले किसानों के जीविकोपार्जन एवं उन को माली रूप से मजबूत बनाने के लिए बैकयार्ड पोल्ट्री फार्म यानी वनराजा मुरगीपालन एक बेहतर विकल्प साबित हो रहा है, जिस में कम खर्च एवं कम व्यवस्थाओं में भी अच्छी आय अंडा उत्पादन और मांस उत्पादन से हासिल किया जा सकता है.
रबी की सब्जियों में लगने वाली बीमारियों की रोकथाम
रबी मौसम में अनेक सब्जियां उगाई जाती हैं. पर किसान फसलचक्र नहीं अपनाते हैं, जिस से सागसब्जियों में रोगों का प्रकोप बहुत ज्यादा मिलता है.
पत्तागोभी के बीज उत्पादन से कमाएं लाभ
हमारे यहां शरद ऋतु में उगाई जाने वाली सब्जियों में पत्तागोभी का विशेष स्थान है, फिर भी इस की खेती विभिन्न ऋतुओं में लगभग पूरे साल की जाती है. अच्छी गुणवत्ता वाली किस्मों के बीजोत्पादन के समय बीज की शुद्धता और गुणवत्ता बनाए रखने के लिए तकनीकी जानकारी का होना बेहद जरूरी है.
तुलसी को ठंड में सूखने से कैसे बचाएं
तुलसी लैमिएसी परिवार की एक महत्त्वपूर्ण सालाना और बारहमासी सुगंधित एवं औषधि जड़ीबूटी है. इस के तेल का इस्तेमाल स्वाद, सुगंध, भोजन और पारंपरिक दवाओं के लिए किया जाता है.
फसल को सर्दी से बचाए सल्फर
उचित खाद व उर्वरकों के प्रयोग से हम न्यूनतम तापमान, पाला, बादल, ओस जैसी सर्दियों की प्राकृतिक समस्याओं से मुकाबला कर के कम लागत में ज्यादा उत्पादन पा सकते हैं. आइए जानते हैं, किनकिन उर्वरकों का इस्तेमाल कर के पौधों को सर्दियों से बचाया जा सकता है:
लाभकारी आर्टीमिसिया (क्वीन घास) की खेती
आर्टीमिसिया यानी क्वीन घास के बारे में लोगों को कम ही जानकारी होगी. बता दें कि मच्छरों से होने वाली बीमारी मलेरिया से बचाव के लिए जिन दवाओं का प्रयोग किया जाता है, वह आर्टीमिसिया (क्वीन घास ) नाम के औषधीय पौधें की सूखी पत्तियों से तैयार की जाती है. इसी वजह से दवा बनाने वाली कंपनियों में आर्टीमिसिया की सूखी पत्तियों की भारी मांग बनी रहती है. भारी मांग के चलते आर्टीमिसिया की खेती बेहद फायदे का सौदा साबित हो रही है.
खेती पर अंधविश्वास की मार
पूर्वी उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों के तमाम किसान रविवार और मंगलवार के दिन खेतों की बोआई की शुरुआत नहीं करते हैं, क्योंकि उन का मानना है कि मंगलवार व रविवार को धरती माता सोती हैं.
लोबिया की किस्में
अर्का समृद्धि : इस किस्म को आईएचआर-16 के नाम से भी जानते हैं. यह जल्दी पकने वाली किस्म है. इस के पौधे सीधे, झाड़ीनुमा व 70-75 सैंटीमीटर लंबे होते हैं. इस की फलियां हरी, औसत मोटाई, मुलायम, गूदेदार, 15-18 सैंटीमीटर लंबी होती हैं. एक हेक्टेयर खेत से 180-190 क्विटल तक पैदावार मिल जाती है.
जैविक खेती की जरूरत और अहमियत
जैविक खेती, जिसे इंगलिश में और्गेनिक फार्मिंग भी कहते हैं, फसल, सब्जियां, फल और फूल उगाने की वह पद्धति है, जिस में कृत्रिम और रासायनिक निवेशों जैसे उर्वरक बीमारी और खरपतवारनाशक रसायन, वृद्धि उत्प्रेरक पदार्थों आदि का इस्तेमाल नहीं किया जाता है.
वनराजा मुरगीपालन
'ग्रामीण आजीविका 'मिशन' के तहत भूमिहीन एवं छोटी जोत वाले किसानों के जीविकोपार्जन एवं उन को माली रूप से मजबूत बनाने के लिए बैकयार्ड पोल्ट्री फार्म यानी वनराजा मुरगीपालन एक बेहतर विकल्प साबित हो रहा है, जिस में कम खर्च एवं कम व्यवस्थाओं में भी अच्छी आय अंडा उत्पादन और मांस उत्पादन से हासिल किया जा सकता है.