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आचार्य महाप्रज्ञ का साहित्यिक मन
आचार्य महाप्रज्ञ जी को मैंने हमेशा एक बड़े साहित्यकार के रूप में देखा है । वे पहले से मुनि नथमल के नाम से लिखते रहे थे । उनकी बचपन की अनेक घटनाओं को जोड़कर देखें तो मालूम पड़ता है कि वे बहुत ही संवेदनशील प्रवृत्ति के रहे और उनकी दृष्टि में ' अलौकिकता' का भरपूर प्रभाव रहा ।
एक समाज, एक निष्ठा एवं श्रद्धा की छटा का पर्व 'छठ'
छठ की दिनोंदिन बढ़ती आस्था और लोकप्रियता इस बात का प्रमाण है कि कुछ तो विशेष है इस पर्व में जो सबको अपनी ओर खींच लेता है। पूजा के दौरान अपने लोकगीतों को गाते हुए, जमीन से जुड़ी परम्पराओं को निभाते हुए हर वर्ग भेद मिट जाता है। सबका एक साथ आकर बिना किसी भेदभाव के ईशवर का ध्यान करना...यही तो भारतीय संस्कृति है, और इसीलिए छठ है भारतीय संस्कृति का प्रतीक ।
आपका घर और वास्तु
सकारात्मक प्राकृतिक ऊर्जाओं को सही ढंग से प्राप्त करने की कला ही वास्तु है। भव्य अद्टालिका को जिस तरह वास्तु प्रभावित करता है, उसी तरह गरीब की झोपड़ी का वास्तु भी महत्वपूर्ण है। जानें इस लेख से।
अपार्टमेंट के मानक नियम
पिछले कुछ वर्षों में बड़े शहरों से लेकर छोटे शहरों में भी ऊंचे-ऊंचे अपार्टमेंट बनने की रफ्तार बढ़ी है, लेकिन कोई अपार्टमेंट में घर लेने से पूर्व फेंगशुई के कुछ मानक नियमों को अवश्य जान लेना चाहिए तथा उसी के अनुरूप अपार्टमेंट लेकर उनमें साज-सज्जा करनी चाहिए।
अहिंसा साधना है कायरता नहीं
भारतीय संस्कृति में अहिंसा हमारे जीवन का मौलिक दर्शन रहा है। यद्यपि यह एक महान् मानवीय गुण है, तथापि इस गुण के कारण भारत को अनेक जोखिम भी उठाने पड़े हैं।
अप्प दीपो भव:
स्वामी कृष्णवेदांत ओशो के वरिष्ठ संन्यासियों में से एक हैं। प्रस्तुत है ओशो के अध्यात्म पर स्वामी जी से साक्षात्कार के प्रमुख अंश
अनुयायी नहीं, मार्गदर्शक बनें
जब भी कभी हमारे सामने कुछ अच्छा करने की बात आती है, तो हममें से अधिकांश लोगों का उत्तर होता है, 'एक हमारे करने से क्या हो जायेगा?' अर्थात् जब सब लोग कर चुकेंगे, तभी तो हमारे करने से कोई लाभ होगा! परन्तु जरा सोचिए, जब सभी इस इंतजार में बैठे होंगें तो वह समय कब और कैसे आएगा! वास्तव में तभी कुछ अच्छा हो सकता है, जब हम यह मान लें कि सिर्फ हमारे करने से भी, सबकुछ न सही, बहुत कुछ तो अवश्य हो जाएगा। आप पूछ सकते हैं कि भला यह कैसे संभव है? तो जानते हैं, कैसे?
'उपासना' यानी क्या?
तुम जब राम को स्मरण करते हो किसी आकांक्षा से, तब तुम झूठे हो। जब तुम्हारे भीतर कोई हेतु होता है तब तुम झूठे हो। अहेतुक स्मरण ही पूजा है, पाठ है प्रार्थना है।
सेहत संग स्वाद, कमाल है सलाद
संतुलित भोजन हमारी सेहत के लिए बेहद जरूरी है और भोजन को संतुलित रूप प्रदान करने में सलाद की भूमिका काफी महत्त्वपूर्ण है। इससे हमारे शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता में भी वृद्धि होगी। वजन घटाने से लेकर भोजन पचाने तक और रूप एवं सौंदर्य निरवारने में भी सलाद फायदेमंद है।
स्वस्थ शरीर के लिए प्रकृति का अनंत वरदान है धूप
सर्दियों के मौसम में सूरज की खिली-खिली धूप आपको केवल गर्म ही नहीं बल्कि स्वस्थ भी रखती है। केवल सर्दी-जुकाम ही नहीं हृदय रोग के उपचार में भी है इसका महत्त्वपूर्ण योगदान । धूप से किस तरह कर सकते हैं आप रोगों का निदान, जाने हमारे इस अंक में।
स्वच्छ भारत की मिसाल- एक गांव 'मावल्यान्नाँग'
भारत का एक गांव ऐसा भी है जो स्वच्छता के मामले में देश के बाकी गांवों ही नहीं बल्कि भारत के महानगरों से कई वर्ष आगे की सोच रखता है। इस गांव का नाम है मावल्यान्नॉंग। साल 2003 में ही इस गांव ने 'एशिया का सबसे स्वच्छ गांव” का ख़िताब अपने नाम कर लिया था।
स्वामी सहजानन्द सरस्वती- किसानों को भगवान माननेवाला संन्यासी
स्वामी सहजानन्द सरस्वती का जन्म उत्तरप्रदेश के गाजीपुर जिले के देवा गांव में 22 फरवरी 1889 को महाशिवरात्रि के दिन हुआ था। चूंकि बचपन में ही उनकी माताजी का स्वर्गवास हो गया था, इसलिए पढ़ाई के दौरान ही उनका मन अध्यात्म में रमने लगा। फिर वह क्षण भी आया जब गुरु दीक्षा को लेकर उनके बाल सुलभ मन में धर्म की कतिपय विकृति के रिवलाफ आंतरिक विद्रोह पनपा।
होली के रंगों की कहानी
होली की रौनक तो रंगों से ही होती है। ये रंग ही तो होली को यादगार बनाते हैं। होली खेलने वालों की मांग भी यही होती है कि रंग अच्छा और पक्का हो, साथ ही यह त्वचा को नुकसान भी न पहुंचाए। लेकिन ये रंग बनते कैसे हैं ? हम आपको बताते हैं इन रंगों की कहानी
होली संग आए पकवान सेहत, सावधान!
त्योहारों के आते ही स्वादिष्ट और विशेष व्यंजनों को रवाने से हम खुद को रोक नहीं पाते। लेकिन कई बार मजा किरकिरा हो जाता है, जब उटपटांग और अत्यधिक चटपटे रवाने का असर हमारे स्वास्थ्य पर पड़ता है। अपने आप पर थोड़ा नियंत्रण ररव हम त्योहारों और पकवानों का आनंद उठा सकते हैं। डालते हैं एक नजर इस आलेख से।
स्वतंत्रता संग्राम और संविधान में जनवरी का महत्त्व
जनवरी का महीना, नए साल की शुरूआत नई आशा, नई ऊर्जा के साथ जिंदगी में एक और पड़ाव की ओर सफर की शुरूआत । लेकिन इस अग्रसर होते जीवन में हमें अपने अतीत को नहीं भुलाना चाहिए । यहां अतीत का सन्दर्भ केवल व्यक्तिगत नहीं बल्कि राष्ट्रीय तौर पर, बतौर एक भारतवासी है। और यही जनवरी का महीना हमारे देश के इतिहास में कई उपलब्धियों का जन्मदाता है।
सेहत के लिए सर्वोत्तम है शीत ऋतु
शीत ऋतु में जठराग्नि बहुत प्रबल होती है। जो भोजन या स्वाद्य पदार्थ अन्य ऋतुओं में जल्दी नहीं पचते, वे सभी शीतकाल में बड़ी आसानी से पच जाते हैंऔर शरीर को शक्ति प्रदान करते हैं। शीत ऋतु में वे कौन-कौन से रवाद्य पदार्थ हैं, जो शरीर को शक्ति प्रदान करने के साथ-साथ शरीर की रोग प्रतिकारक क्षमता भी बढ़ाते हैं, जानें इस लेख से।
सर्दी-खांसी में भी अजवाइन है फायदेमंद
अजवाइन का इस्तेमाल तो लगभग हर घर में होता है, इसके छोटे छोटे दाने केवल पेट की ही नहीं बल्कि पूरे शरीर की बड़ी से बड़ी समस्या भी हल कर सकते हैं ।
सर्दियों में सेहत और रूप संवारे धूप
सूर्य की ऊर्जा हमारे जीवन के विभिन्न रोगों को झट से दूर कर सकती है । धूप हमारे शरीर में गर्माहट के साथ और भी कई सकारात्मक बदलाव लाती है ।
सर्दियों में भी रहेगी दमकती त्वचा
सर्द हवाओं की मार सबसे ज्यादा आपकी चेहरे की त्वचा पर ही पड़ती है । ऐसे में त्वचा का रुखा होना, खिंचाव होना समस्या बन जाती है । लेकिन आपके पास इस समस्या का समाधान भी है । कैसे? जानें इस लेख से ।
सर्दियों में भी कम नहीं हैं पेय पदार्थों के विकल्प
प्रकृति ने हर मौसम के लिए अलग आहार बनाया है, ठीक उसी प्रकार प्रकृति ने मौसम के हिसाब से अलग-अलग पेय पदार्थ भी निर्धारित किए हैं जिनका सेवन आप केवल या तो गर्मी में या फिर सर्दी में कर सकते हैं ।
सर्दियों में चिंता कैसी, गुड़ है न...
सर्दियों के मौसम में गुड़ कई बीमारियों से बचा सकता है । गुड़ की तासीर गर्म होती है, इस कारण ठंड के मौसम में सर्दी जुकाम, कफ से राहत प्रदान करता है और यह हर उम्र के लोगों के लिए फायदेमंद है । डालते हैं एक नजर ।
सर्दियों में गर्मी का एहसास देते पकवान
सर्दियां दस्तक दे चुकी हैं और इस मौसम में बस यही लगता है कि कुछ गर्म-गर्म मिल जाए खाने और पीने के लिए । इसलिए हमने सोचा कि क्यों न आज उन आहारों की एक लिस्ट आपके साथ साझा की जाए, जो सर्दियों में देते हैं गर्मी का एहसास ।
सर्दियों में खाएं साग, पाएं सेहत और स्वाद
सर्दियों के मौसम में हरी पत्तेदार सब्जियां, विशेषकर इस ऋतु में होने वाले विभिन्न साग सेहत और स्वाद दोनों से भरपूर होते हैं । साग कई पोषक तत्त्वों का खजाना है । इनमें कैलोरी बहुत कम होती है और ये ठंड में हमारा रक्त संचार भी सामान्य रखते हैं । ये साग हमारी सेहत के लिए किस प्रकार फायेदमंद हैं, जानें हमारे लेख से ।
सद्गुरु के समान कोई नहीं
गुरु की वाणी से, गरु के आचरण से भगवान ही तो बोलता है, भगवान ही तो चलता है। ऐसा कोई संत मिल जाए तो फिर प्रभु मिलें या न मिले, वो चिंता छोड़ दो।
मौसमी एलर्जी को कहें अलविदा
सर्दियों के मौसम में कई लोग एलर्जी के शिकार हो जाते हैं । सर्द हवाओं के कारण कई बार छींक, बंद नाक की समस्या होने लगती है । ऐसे में कुछ सावधानियां और अपना खान-पान बदलकर आप एलर्जी से बच सकते हैं ।
मेवों में छिपा है सेहत का राज
सर्दियों के आते ही खांसी, जुकाम, बुखार जैसी छोटी-मोटी बीमारियां परेशान कर देती हैं। महज गरम कपड़े पहनना और चाय-कॉफी पीना ही पर्याप्त नहीं होता। सर्दियों में सूखे मेवे आपको फ्लू, सर्दी, कफ आदि कई रोगों से बचाते हैं और रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित करते हैं। जानें सेहत से जुड़े इनके लाभ इस लेख से।
भारतीय संस्कृति के कई रंग दिखती मकर संक्रांति
सूर्य का मकर राशि में प्रवेश मकर संक्रांति के रूप में पूरे भारत में मनाया जाता है। इस दिन स्नान, दान और सूर्य की उपासना का विशेष महत्त्व है। सूर्य ऊर्जा और ओजस्विता का प्रतीक माना जाता है।
फटी एड़ियों से निजात दिलाए कुछ घरेलू उपाय
सर्दियों की सूखी हवा, अनियमित खानपान, विटामिन, कैल्सियम और आयरन की कमी से अकसर पैरों की एड़ियां फट जाती हैं । ऐसे में अगर सही से देखभाल नहीं की जाए तो, धीरे धीरे एड़ियों में दरारें आने लगती हैं । यदि आप भी इस समस्या से ग्रस्त हैं तो जानें इस लेख से इनकी देख-भाल के उपाय ।
प्रकृति के बैंक में करें निवेश
हम जो कुछ भी विकास या समृद्धि जुटाने के लिए करते हैं, उसकी कीमत प्रकृति को चुकानी पड़ती है। हम आज जिसे वैभव मान रहे हैं, वे प्रकृति से लिया हुआ सीधा बड़ा कर्ज है, जिसे हम सदियों से चुकाने से कतरा रहे हैं । जीवन के लिए जल, वायु और पृथ्वी के तत्त्व ही सबसे महत्त्वपूर्ण हैं । समस्त प्राणियों का पहला कर्तव्य व धर्म हवा, पानी मिट्टी, अग्नि और सूर्य के प्रति है, क्योंकि पूरे भूमंडल की सभी गतिविधियां इन्हीं के चारों तरफ घूमती हैं ।
पोंगल: एक कृषि उत्सव
धर्म में परमेश्वर से लेकर प्रकृति और प्रकृति से । लेकर पशुओं तक को पूजनीय माना जाता है और इसी संस्कृति एवं परंपरा का एक रूप है प्रसिद्ध उत्सव पोंगल ।