Vivek Jyoti Magazine - October 2022Add to Favorites

Vivek Jyoti Magazine - October 2022Add to Favorites

Go Unlimited with Magzter GOLD

Read Vivek Jyoti along with 8,500+ other magazines & newspapers with just one subscription  View catalog

1 Month $9.99

1 Year$99.99

$8/month

(OR)

Subscribe only to Vivek Jyoti

Gift Vivek Jyoti

7-Day No Questions Asked Refund7-Day No Questions
Asked Refund Policy

 ⓘ

Digital Subscription.Instant Access.

Digital Subscription
Instant Access

Verified Secure Payment

Verified Secure
Payment

In this issue

शक्ति उपासना की महिमा : विवेकानन्द ४३८
स्वामी विवेकानन्द और महात्मा गाँधी (स्वामी निखिलेश्वरानन्द) ४४१
या देवी सर्वभूतेषु (स्वामी अलोकानन्द) ४४८
(बच्चों का आंगन) कर्नाटक के भगीरथ विश्वेश्वरय्या (स्वामी गुणदानन्द) ४५६
भगवान का नाम व्यर्थ नहीं जाता (स्वामी सत्यरूपानन्द) ४५८
(युवा प्रांगण) मैं आपको संस्कृत में पत्र लिखता था (स्वामी अनिलयानन्द) ४५९
डुबकी लगाओ (भिक्षु विशुद्धपुत्र) ४६१
सम्पादकीय ४३९
आध्यात्मिक जिज्ञासा ४४६
प्रश्नोपनिषद् ४५४
श्रीरामकृष्ण-गीता ४५७
गीतातत्त्व-चिन्तन ४६९
सारगाछी की स्मृतियाँ ४७२
साधुओं के पावन प्रसंग ४७४
काली-स्तवनम् (डॉ. सत्येन्दु शर्मा) ४४५
(कविता) जयतु जयतु जय दुर्गे माता (ओमप्रकाश वर्मा) ४४५
अनन्तरूपिणी है माँ श्यामा (ओमप्रकाश वर्मा) ४५७
मैं तो अंश तुम्हारा (मोहन सिंह मनराल) ४५७

Vivek Jyoti Magazine Description:

PublisherRamakrishna Mission, Raipur

CategoryReligious & Spiritual

LanguageHindi

FrequencyMonthly

भारत की सनातन वैदिक परम्परा, मध्यकालीन हिन्दू संस्कृति तथा श्रीरामकृष्ण-विवेकानन्द के सार्वजनीन उदार सन्देश का प्रचार-प्रसार करने के लिए स्वामी विवेकानन्द के जन्म-शताब्दी वर्ष १९६३ ई. से ‘विवेक-ज्योति’ पत्रिका को त्रैमासिक रूप में आरम्भ किया गया था, जो १९९९ से मासिक होकर गत 60 वर्षों से निरन्तर प्रज्वलित रहकर यह ‘ज्योति’ भारत के कोने-कोने में बिखरे अपने सहस्रों प्रेमियों का हृदय आलोकित करती रही है । विवेक-ज्योति में रामकृष्ण-विवेकानन्द-माँ सारदा के जीवन और उपदेश तथा अन्य धर्म और सम्प्रदाय के महापुरुषों के लेखों के अलावा बालवर्ग, युवावर्ग, शिक्षा, वेदान्त, धर्म, पुराण इत्यादि पर लेख प्रकाशित होते हैं ।

आज के संक्रमण-काल में, जब भोगवाद तथा कट्टरतावाद की आसुरी शक्तियाँ सुरसा के समान अपने मुख फैलाएँ पूरी विश्व-सभ्यता को निगल जाने के लिए आतुर हैं, इस ‘युगधर्म’ के प्रचार रूपी पुण्यकार्य में सहयोगी होकर इसे घर-घर पहुँचाने में क्या आप भी हमारा हाथ नहीं बँटायेंगे? आपसे हमारा हार्दिक अनुरोध है कि कम-से-कम पाँच नये सदस्यों को ‘विवेक-ज्योति’ परिवार में सम्मिलित कराने का संकल्प आप अवश्य लें ।

  • cancel anytimeCancel Anytime [ No Commitments ]
  • digital onlyDigital Only
MAGZTER IN THE PRESS:View All