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असली जंग तो अब शुरू हुई है!
DASTAKTIMES
|July - 2025
ईरान-इज़राइल युद्ध थम गया है लेकिन असल जंग अब शुरू होगी। जिस परमाणु बम को बनाने के लिए जरूरी संवर्धित यूरेनियम के लिए युद्ध हुआ वह नष्ट नहीं हुआ है। इसने ईरान को अमेरिका से सौदेबाजी का मौका दिया है। इस संवर्धित यूरोनियम से ईरान दस परमाणु बम बना सकता है।
 
 आखिर 12 दिन चला ईरान-इज़राइल युद्ध थम गया। ईरान के परमाणु ठिकानों को नेस्तनाबूद करने का जो काम इजराइल नहीं कर पा रहा था वह अमेरिका ने चंद घंटों में अपने अनोखे और ताकतवर बी-2 बॉम्बरों से कर दिया। ईरान पर हमले के पाप में अमेरिका बराबर का हिस्सेदार रहा। फिर बड़ी चालाकी से मध्यस्थ बन गया। अपने कथित शांति मिशन को आगे बढ़ाते हुए अमेरिका ने दोनों तरफ से सीजफायर का ऐलान कर दिया। इज़राइल ने कहा कि हम अपने मकसद में कामयाब रहे। हमारा मकसद ईरान के परमाणु कार्यक्रम को रोकना था सो हमने कर दिया। तो अब युद्ध की कोई वजह नहीं रही। हताश ईरान के पास तो खैर कहने के लिए कुछ नहीं था। लेकिन अपने सैनिकों और नागरिकों का हौसला बढ़ाने के लिए उसे कहना पड़ा कि उसने इज़राइल को घुटने टेकने के लिए मजबूर कर दिया। ईरान की सुप्रीम नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल ने बाकायदा बयान जारी कर कहा- 'ईरान ने दुश्मन को पछताने और हार मानने के लिए मज़बूर कर दिया।' साथ ही कतर के अमेरिकी सैन्य अड्डे तबाह करके अमेरिका से भी बदला ले लिया। सो युद्ध रुक गया। पर क्या सचमुच युद्ध रुक गया है? यह एक बड़ा सवाल है जो मीडिल ईस्ट यानी मध्य एशिया के आसमान में गूंज रहा है।
 1979 में इस्लामी क्रांति के केंद्र में इज़राइल के लिए इस्लाम की नफरत थी। ईरान के विद्रोही छात्रों ने इज़राइल की बर्बादी का ख्वाब देखा। उनके नेता और क्रांति के संस्थापक अयातुल्ला रूहोल्लाह खोमैनी ने इज़राइल को एक 'कैंसरयुक्त ट्यूमर' बताया था, जिसे हटाया जाना बहुत जरूरी है। खोमैनी की रगों में हिंदुस्तान का खून था क्योंकि उनके बाप-दादा यूपी के बाराबंकी जिले में जनमे थे। खोमैनी के उत्तराधिकारी अयातुल्ला अली खामेनेई ने उसी सिद्धांत को आगे बढ़ाते हुए एलान किया है कि 2040 तक इज़राइल का अस्तित्व मिटा देंगे। इज़राइल जानता था कि ये कोरी धमकी नहीं है। ईरान ऐसा करके रहेगा। अमेरिका की मदद से मिस्र, सीरिया और इराक को ठिकाने लगाने के बाद उसका केवल एक दुश्मन बचा था और वह था ईरान। और दुश्मन ईरान बीते कई सालों से खुद को मज़बूत करता जा रहा था। वह परमाणु बम बनाने की दिशा में 'बहुत करीब' तक पहुंच चुका था।
1979 में इस्लामी क्रांति के केंद्र में इज़राइल के लिए इस्लाम की नफरत थी। ईरान के विद्रोही छात्रों ने इज़राइल की बर्बादी का ख्वाब देखा। उनके नेता और क्रांति के संस्थापक अयातुल्ला रूहोल्लाह खोमैनी ने इज़राइल को एक 'कैंसरयुक्त ट्यूमर' बताया था, जिसे हटाया जाना बहुत जरूरी है। खोमैनी की रगों में हिंदुस्तान का खून था क्योंकि उनके बाप-दादा यूपी के बाराबंकी जिले में जनमे थे। खोमैनी के उत्तराधिकारी अयातुल्ला अली खामेनेई ने उसी सिद्धांत को आगे बढ़ाते हुए एलान किया है कि 2040 तक इज़राइल का अस्तित्व मिटा देंगे। इज़राइल जानता था कि ये कोरी धमकी नहीं है। ईरान ऐसा करके रहेगा। अमेरिका की मदद से मिस्र, सीरिया और इराक को ठिकाने लगाने के बाद उसका केवल एक दुश्मन बचा था और वह था ईरान। और दुश्मन ईरान बीते कई सालों से खुद को मज़बूत करता जा रहा था। वह परमाणु बम बनाने की दिशा में 'बहुत करीब' तक पहुंच चुका था।Bu hikaye DASTAKTIMES dergisinin July - 2025 baskısından alınmıştır.
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