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कहां तक जाएगा यह हिन्दी-तमिल का झगड़ा

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May 2025

उत्तर-दक्षिण का भाषाई युद्ध तेज हो गया है। पिछले कुछ महीनों से तमिलनाडु के स्कूलों में पढ़ाई जाने वाली स्थानीय भाषा को लेकर चला आ रहा विवाद निचले स्तर पर उतर आया है। डीएमके कार्यकर्ता संसद से लेकर सड़क तक केन्द्र सरकार को घेर रहे हैं। मोदी सरकार ने नई शिक्षा नीति के तीन-भाषा फार्मूले से हिंदी की अनिवार्यता को पहले ही हटा दिया था, इसके बावजूद तमिलनाडु सरकार इसे अपने यहां लागू नहीं कर रही है। स्टालिन सरकार ने इस साल राज्य के बजट की किताब से रुपए के हिंदी प्रतीक चिन्ह को हटाकर तमिल प्रतीक चिन्ह लगा दिया। आखिर किस दिशा में जा रहा है ये भाषाई विवाद, बता रहे हैं दस्तक टाइम्स के प्रधान संपादक रामकुमार सिंह।

- रामकुमार सिंह

कहां तक जाएगा यह हिन्दी-तमिल का झगड़ा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले महीने रामेश्वरम की एक रैली में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन पर भाषा विवाद के बीच गहरा कटाक्ष करते हुए कहा- कभी-कभी, मुझे आश्चर्य होता है जब मुझे तमिलनाडु के कुछ नेताओं के पत्र मिलते हैं, उनमें से किसी पर भी तमिल में हस्ताक्षर नहीं होते हैं। अगर हमें तमिल पर गर्व है, तो मैं सभी से अनुरोध करूंगा कि वे कम से कम अपने नाम पर तमिल में हस्ताक्षर करें।' यह प्रधानमंत्री का तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन की उस चेतावनी का जवाब था जिसमें उन्होंने कहा था- 'मैं मोदी सरकार को चेतावनी देता हूं कि मधुमक्खी के छत्ते पर पत्थर मत फेंको। तमिलों की अद्वितीय लड़ाकू भावना को देखने की इच्छा मत रखो।' संसद में गरमागरम बहस चल रही थी। डीएमके के सांसद पीछे से तमिल-हिंदी को लेकर टीका टिप्पणी कर रहे थे। केन्द्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने स्टालिन और उनकी पार्टी के सदस्यों पर ‘शरारत' करने का आरोप लगाया। प्रधान ने कहा, 'उनका एकमात्र काम भाषा संबंधी बाधाएं खड़ी करना है। वे अलोकतांत्रिक और असभ्य हैं।' इस बयान के अगले दिन तमिलनाडु में स्टालिन की पार्टी द्रविड़ मुनेत्र कड़गम के कार्यकर्ता सड़क पर उतर आये और विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया।

उत्तर और दक्षिण के राजनेताओं के बीच ये कोई साधारण राजनीति से प्रेरित नोकझोंक नहीं है। न ही ये नई दिल्ली और तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई के बीच केन्द्र व राज्य के नेताओं के बीच कोई वाकयुद्ध है। इन तल्ख बयानबाजियों में भाषा के एक खतरनाक विवाद की पृष्ठभूमि छुपी हुई है। ये एक चिंगारी है जो कभी भी भाषाई विवाद को लेकर उग्र रूप धारण कर सकती है। यह तमिलहिंदी भाषा के ऐतिहासिक विवाद का नया संस्करण है। स्टालिन इस जख्म को एक बार फिर हरा करना चाहते हैं, वह भी स्कूली बच्चों की पढ़ाई की कीमत पर।

imageविवाद की जड़

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