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अमेरिकी एच-1बी वीज़ा का खेल
DASTAKTIMES
|October 2025
एच-1बी वीज़ा की फीस करीब 50 गुना बढ़ाकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने नया दांव खेला है। इस एक फैसले ने लाखों भारतीय युवा प्रोफेशनलों के भविष्य में अमेरिका जाने की राह में मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। अमेरिका को एक सर्वशक्तिमान देश बनाने में इन अप्रवासी प्रोफेशनलों की बड़ी भूमिका रही है। इस फैसले से सिलिकॉन वैली की कंपनियों और भारतीय प्रतिभाओं पर क्या असर पड़ेगा? क्या फीस बढ़ाकर अमेरिका ने अपने पांव पर कुल्हाड़ी दे मारी है ? इसका अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर क्या असर पड़ेगा? अमेरिका के लोकप्रिय एच-1बी वीज़ा पर दस्तक टाइम्स के संपादक दयाशंकर शुक्ल सागर की रिपोर्ट।
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प्रतिभाओं पर अंकुश लगाने का खामियाजा अमेरिका को देर सबेर उठाना होगा
अमेरिका का बाजार आश्चर्यजनक रूप से चीन और भारत में निर्मित वस्तुओं से पटा हुआ है। सुई से लेकर मोबाइल फोन और कंप्यूटर तक पर 'मेड इन चाइना' लिखा हुआ है। पेसिंल, अगरबत्ती, इत्र जैसी चीजें मेड इन इंडिया हैं। हालांकि गुणवत्ता के लिहाज से वहां मिलने वाला 'मेड इन चाइना' का माल भारत में बिकने वाले चाइनीज माल से हजार गुना बेहतर है। लेकिन 'मेड इन चाइना' का ठप्पा एशियाई देशों में अपनी विश्वसनीयता खो चुका है। अमेरिकी मित्र स्टीव बताते हैं कि 'हम बड़े-बड़े एयर क्राफ्ट, अत्याधुनिक हथियार, कंप्यूटर के नए-नए सॉफ्टवेयर बनाते हैं। अत्याधुनिक चिकित्सा परीक्षण के उपकरण बनाते हैं। साबुन- सोडा बनाने में हम अपनी ऊर्जा नष्ट नहीं करते।' सच तो यह है कि एयरक्राफ्ट और अन्य अत्याधुनिक उपकरणों के निर्माण के पीछे भी भारत, चीन और दक्षिण कोरिया जैसे मुल्कों के अप्रवासी लोगों का दिमाग है। मसलन एमआरआई मशीन बनाने वाली एक बड़ी कंपनी ने जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी को करोड़ों डॉलर का एक प्रोजेक्ट दिया है। कंपनी का मकसद अपडेटड एमआरआई मशीन बनाना है। बाल्टीमोर की जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी ने विज्ञापन निकाल कर दुनियाभर के एमआरआई विशेषज्ञों, शोधार्थियों और इंजीनियरों को अपने यहां मोटी सेलरी पर बुला लिया है। सब मिलकर एमआरआई मशीन को और अधिक अत्याधुनिक बनाने में जुटे हुए हैं। भारतीय मूल के डॉ. निर्भय सिंह भी इसी टी का हिस्सा हैं। उन्हें आस्ट्रेलिया से बुलाया गया है। डॉ. निर्भय कहते हैं कि 'अमेरिका हमारे दिमाग पर राज करता है। वह हमें खरीद लेता है मुंहमांगे दाम पर। अब निजी कंपनी इस मशीन पर मेड इन यूएसए का ठप्पा लगाकर पूरी दुनिया को मुंहमांगी कीमत पर बेचेगी।'
Denne historien er fra October 2025-utgaven av DASTAKTIMES.
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अमेरिकी एच-1बी वीज़ा का खेल
एच-1बी वीज़ा की फीस करीब 50 गुना बढ़ाकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने नया दांव खेला है। इस एक फैसले ने लाखों भारतीय युवा प्रोफेशनलों के भविष्य में अमेरिका जाने की राह में मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। अमेरिका को एक सर्वशक्तिमान देश बनाने में इन अप्रवासी प्रोफेशनलों की बड़ी भूमिका रही है। इस फैसले से सिलिकॉन वैली की कंपनियों और भारतीय प्रतिभाओं पर क्या असर पड़ेगा? क्या फीस बढ़ाकर अमेरिका ने अपने पांव पर कुल्हाड़ी दे मारी है ? इसका अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर क्या असर पड़ेगा? अमेरिका के लोकप्रिय एच-1बी वीज़ा पर दस्तक टाइम्स के संपादक दयाशंकर शुक्ल सागर की रिपोर्ट।
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