Religious-Spiritual

Rishi Prasad Hindi
मेरे सद्गुरु कृपानिधान, सिखाते व्यवहार में ऊँचा ज्ञान
(गतांक से आगे)
3 min |
September 2023

Rishi Prasad Hindi
कलंक बापूजी पर नहीं, सनातन धर्म पर लगाया है
आशारामजी बापू को जिस प्रकार टारगेट किया गया यह किसी साधारण व्यवस्था का काम नहीं है, इसके पीछे अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था है।
2 min |
September 2023

Rishi Prasad Hindi
सुख-समृद्धि, दीर्घायु व पितरों को तृप्ति प्रदाता कर्म : श्राद्ध
श्राद्ध पक्ष : २९ सितम्बर से १४ अक्टूबर
2 min |
September 2023

Rishi Prasad Hindi
शिष्य का परम धर्म
लाहौर निवासी भाई सुजान एक अच्छे वैद्य थे। वे लोगों का उपचार तो करते पर उनका मन अशांत और बेचैन रहता था। मन की शांति कैसे मिले इसका वे चिंतन करते रहते थे। आत्मशांति की इसी खोज ने उन्हें आनंदपुर साहिब गुरु गोविंदसिंहजी के दरबार में पहुँचा दिया। सुजानजी ने दर्शन कर मत्था टेका तो बड़ी शांति, तृप्ति मिली। उन्होंने उसी क्षण मन-ही-मन गुरु गोविंदसिंहजी को गुरु मान लिया और सोचा कि अब इन्हींके चरणों में रहूँगा।'
3 min |
September 2023

Rishi Prasad Hindi
आध्यात्मिक रक्षा व व्यापक प्रेम की प्रसादी प्रकटाने का दिवस
हर लक्ष्य की प्राप्ति में सर्वप्रथम आवश्यकता है ऊँचे संकल्प की, ऊँचे विचारों की
2 min |
August 2023

Rishi Prasad Hindi
चतुर्मास में क्या करें, क्या न करें?
मिली हुई शक्ति के सदुपयोग का नाम है 'साधना'
2 min |
August 2023

Rishi Prasad Hindi
मनोवांछित फलप्रद एकादशी का माहात्म्य व कथा
सच्चे हृदय से की हुई प्रार्थना भगवान अंतर्यामी जल्दी स्वीकार कर लेते हैं, सुन लेते हैं
3 min |
August 2023

Rishi Prasad Hindi
सुख-दुःख का संबंध वस्तुएँ मिलने - न मिलने से नहीं
जो सत्संगियों की सेवा करता है उसका अंतरात्मा संतुष्ट होता है
4 min |
August 2023

Rishi Prasad Hindi
उच्च शिक्षा: भ्रम व हकीकत
वासना निवृत्त करनेवाला सुख तो केवल आत्मसुख है, आत्म-ध्यान है
2 min |
August 2023

Rishi Prasad Hindi
सत्य का सूक्ष्म विश्लेषण
जितना तुम सत्यनिष्ठ होओगे उतनी तुम्हारी योग्यताएँ निखरेंगी
2 min |
August 2023

Rishi Prasad Hindi
...तब अंतःकरण प्रशांत होगा और ध्यान भी होगा
राग-द्वेष मनुष्य की शक्ति का ह्रास करता है
2 min |
August 2023

Rishi Prasad Hindi
गुरु की पूजा का महत्त्व
(गतांक से आगे) परम सद्भागी हैं ऐसे मनुष्य !
3 min |
July 2023

Rishi Prasad Hindi
गुरुनिष्ठा के आगे झुक गया हाथी
रसिकमुरारि नाम के एक महात्मा हो गये। वे बड़े ही संतसेवी और गुरुभक्त थे। अपने गुरुदेव के प्रति रसिकजी की कैसी अटूट निष्ठा व भक्तिभाव था, इससे जुड़ा उनके जीवन का एक मधुर प्रसंग उल्लेखनीय है।
2 min |
July 2023

Rishi Prasad Hindi
अलबेले बेला की निराली गुरुनिष्ठा
गुरु गोविंदसिंहजी के एक शिष्य बेला ने उनसे निवेदन किया : \"गुरुजी ! मुझे कुछ सवा दीजिये।\"
2 min |
July 2023

Rishi Prasad Hindi
मुझे मेरा ईश्वर मिल गया
एक बार चैतन्य महाप्रभु ने अपने रघुनाथ नाम के भक्त से कहा : \"तू चिंता मत कर, मेरी शरण में आ गया है तो मेरी कृपा से जरूर ईश्वर को उपलब्ध होगा।”
1 min |
July 2023

Rishi Prasad Hindi
पद्मिनी एकादशी का माहात्म्य, विधि व कथा
पद्मिनी (कमला) एकादशी : २९ जुलाई
3 min |
July 2023

Rishi Prasad Hindi
गुरु के प्रति प्रेम व समर्पण के आदर्श : पूज्य बापूजी
ईश्वरप्राप्ति की ऐसी लगन, परमात्मा के प्रति ऐसा प्रेम और ऐसी तीव्र तड़प कि उसके लिए विभिन्न प्रकार की साधनाएँ कीं, तपस्या की, संस्कृत ग्रंथों का अध्ययन शुरू किया लेकिन जब सद्गुरु मिले तो कुछ ही दिनों में उनके अनुभव को अपना अनुभव बनाने में सफल हो गये... जानते हैं कौन ?
6 min |
July 2023

Rishi Prasad Hindi
आओ करें कथा-अमृत का पान
जो शिष्य के अज्ञान-अंधकार को, पाप-ताप को हर लें और उसे ज्ञान-प्रकाश से सुसज्ज कर पुण्य-पाप से परे परम पद में विश्रांति दिला दें ऐसे अलख पुरुष की आरसी स्वरूप महापुरुषों को 'सद्गुरु' कहते हैं।
1 min |
July 2023

Rishi Prasad Hindi
गुरुपूनम पर साधकों के लिए नया पाठ
भगवान का ज्ञान पाने के लिए भगवान का स्वरूप, भगवान का पता वेद, पुराण और अन्य शास्त्रों में खोजते-खोजते तुम थक जाओगे।
1 min |
July 2023

Rishi Prasad Hindi
कलियुग में सहज, सुरक्षित साधन : गुरुआज्ञा-पालन
पहले के जमाने में शिष्य इतना पढ़ते नहीं थे जितनी गुरुसेवा (गुरुआज्ञा पालन ) करते थे। वे सेवा का महत्त्व जानते थे। गुरु की सेवा और अनुकम्पा से ही सशिष्यों को सभी प्रकार के ज्ञानों की उपलब्धि हो जाती थी। गुरुआज्ञा का, गुरु के सिद्धांतों का पालन ही गुरुदेव की सच्ची सेवा है। संदीपक, तोटकाचार्य, पूरणपोड़ा को देखो, ये इतने पढ़े-लिखे नहीं थे पर गुरुसेवा द्वारा गुरुकृपा प्राप्त कर महान हो गये।
3 min |
June 2023

Rishi Prasad Hindi
काल टाल दिया और बना दिया महापुरुष !
प्रयाग में सन् १२९९ में एक लड़के का जन्म हुआ, जिसका नाम रामदत्त रखा गया। जब वह पढ़ने योग्य हुआ तो माता-पिता ने उसे काशी भेजा।
2 min |
June 2023

Rishi Prasad Hindi
कामिका एकादशी का माहात्म्य एवं विधि
कामिका एकादशी : १३ जुलाई
2 min |
June 2023

Rishi Prasad Hindi
भारतीय संस्कृति को एक सूत्र में पिरोनेवाले शंकर
नन्ही उम्र में निकले सद्गुरु की खोज में
5 min |
June 2023

Rishi Prasad Hindi
शाश्वत सुख दिलाने व निजस्वरूप में जगाने की व्यवस्था है यह पर्व
गुरुपूर्णिमा को व्यासपूर्णिमा और आषाढ़ी पूर्णिमा भी कहते हैं । यह व्रत पूर्णिमा भी है। कुछ व्रत होते हैं, कुछ उत्सव होते हैं परंतु गुरुपूर्णिमा व्रत और उत्सव - दोनों का दिवस है।
3 min |
June 2023

Rishi Prasad Hindi
विशेष लाभदायी स्मृतिशक्तिवर्धक प्रयोग
गर्मी के दिनों में पके पेठे की सब्जी खाने से स्मरणशक्ति में कमी नहीं आती है।
1 min |
May 2023

Rishi Prasad Hindi
रोगप्रतिकारक शक्ति का खजाना : स्वास्थ्यप्रद तरबूज के छिलके
यश, सुख, सफलता, लोक-परलोक की उपलब्धियाँ - ये सब आत्मबल से होती हैं ।
2 min |
May 2023

Rishi Prasad Hindi
बड़े-बड़े अपराधों से निवृत्त कर पावन करनेवाला व्रत
एकादशी का व्रत भगवान के नजदीक ले जानेवाला है। युधिष्ठिर ने भगवान श्रीकृष्ण से पूछा : \"प्रभु ! आषाढ़ (अमावस्यांत मास अनुसार ज्येष्ठ) मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी का नाम क्या है? उसके विषय में जानना चाहता हूँ\"
2 min |
May 2023

Rishi Prasad Hindi
आप भी ऐसे नर - रत्न बन सकते हो
बाल गंगाधर तिलक ५वीं कक्षा में पढ़ते थे तब की बात है। एक बार कक्षा में किसी बच्चे ने मूँगफली खायी और छिलके वहीं फेंक दिये। अंग्रेज शासन था, हिन्दुस्तानियों को डाँट-फटकार के, दबा के रखते थे। मास्टर आया और रुआब मारते हुए बोला : \"किसने मूँगफली खायी?\"
4 min |
May 2023

Rishi Prasad Hindi
तुम संसार में किसलिए आये हो ?
एक होता है कर्म का बल । जैसे मैं किसी वस्तु को ऊपर फेंकूँ तो मेरे फेंकने का जोर जितना होगा उतना ऊपर वह जायेगी फिर जोर का प्रभाव खत्म होते ही नीचे गिरेगी । गेंद को, पत्थर को ऊपर फेंकने में आपमें जितना कर्म का बल है उतना वे ऊपर जायेंगे फिर बल पूरा हुआ तो गिरेंगे । ऐसे ही कर्म के बल से जो चीज मिलती है वह कर्म का बल निर्बल होने पर छूट जाती है।
2 min |
May 2023

Rishi Prasad Hindi
गुरुभाई को सताना बना प्रतिबंधक प्रारब्ध
अष्टावक्र मुनि ने राजा जनक को उपदेश दिया और उनको आत्मसाक्षात्कार हुआ यह तो सुना-पढ़ा होगा लेकिन राजा जनक और अष्टावक्र मुनि के पूर्वजन्म का वृत्तांत भी बड़ा रोचक और बोधप्रद है।
2 min |