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धैर्य व त्याग के प्रतिरूप भगवान महावीर

Sadhana Path

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April 2022

भगवान महावीर ने अपने धैर्य व त्याग से भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व के समक्ष एक उदाहरण पेश किया है, आइए उनके बारे में विस्तार से जानें इस लेव के माध्यम से।

-  देवप्रिया सिंह

धैर्य व त्याग के प्रतिरूप भगवान महावीर

जैन धर्म के चौबीसवें तीर्थकर महावीर स्वामी का जन्म 599 ईसापूर्व के लगभग वैशाली के निकट कुण्डलपुर के समीप हुआ था, , इनके पिता का नाम सिद्धार्थ और इनकी माता का नाम त्रिशला था तथा ये लिच्छेवी राजवंश से संबंधित थे। इनके बचपन का नाम वर्द्धमान था कहते हैं। कि वर्द्धमान बचपन से बहुत शान्तिप्रिय थे इन्होंने 30 वर्ष की अवस्था तक गृहस्थ जीवन व्यतीत किया। म

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विवेकशील ज्ञान को विकसित करें

दुख ईश्वर का काम नहीं है, बल्कि शैतान की माया की शक्ति अर्थात् भ्रम का कार्य है।

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मन और रचनात्मकता का प्रतीक-चंद्र ग्रह

चन्द्र यानी सोम, चन्द्रमा जो की नव ग्रहों में से एक है, चंद्र एक बहुत सुंदर व युवा ग्रह है।

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September 2025

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कौन कहता है नहीं मिलता है बेटी के हाथों मोक्ष

जब मैंने तय किया कि मैं बिहार जाऊंगी, तो बहुत से लोगों का एक ही प्रश्न था, 'तुम्हें और कोई जगह नहीं मिली ?' राजधानी जैसी ट्रेन में भी किसी ने मुझे यह नहीं भूलने दिया कि मैं बिहार जा रही हूं और उससे बड़ी बात अकेली जा रही हूं। जाने से पहले मिलने वाली ढेर सारी नसीहतें और सफर के दौरान गुंडागर्दी के तमाम किस्से सुनते हुए जब मैंने छोटे से शहर 'गया' की जमीन पर कदम रखा, तो मन ही मन प्रार्थना दोहरा दी कि मैं सही-सलामत लौट आऊं। बिहार राज्य का छोटा सा शहर 'गया' पिंडदान और तर्पण के लिए पूरे विश्व में जाना जाता है। लेकिन कम ही लोग जानते हैं कि यहां उन मृतात्माओं को भी शांति और मोक्ष प्राप्त होता है, जिनके पुत्र नहीं हैं। आम धारणा है कि पुत्र यदि यह कर्म करें, तो ही माता-पिता को मोक्ष प्राप्त होगा। इस मान्यता के चलते कई परिवारों में यह कर्म ताऊ या चाचा के बेटों से कराया जाता है। जब हम विष्णुपद (पिंडदान यहां किए जाते हैं) पहुंचे, तो कई पिंडदानी (स्थानीय लोग पिंडदान करने वालों को यही कहते हैं) मौजूद थे। कर्म करा रहे शास्त्री जी ने बताया कि श्राद्ध सिर्फ कर्म ही नहीं श्रद्धा का प्रतीक भी है, इसलिए स्त्री हो या पुरुष जिसके मन में बड़ों के लिए श्रद्धा हो यह कर्म कर सकता है। गया में पितृपक्ष के दौरान ऐसा जनसैलाब उमड़ता है कि लगता है कहीं कुंभ का मेला ही लगा हुआ है। खुद के

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September 2025

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हर हाल में मस्त रहिए

जिदा रहने के लिए भोजन जरूरी है।

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September 2025

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आंखों के रोग तथा उपचार

आंखें सृष्टि की सुंदरता को देखने का एकमात्र साधन है जो मनुष्य का सबसे नाजुक अंग हैं। इसके प्रति लापरवाही न बरतें। दिये गये उपायों को आजमाएं और अपनी आंखों को स्वस्थ व सुंदर बनाएं।

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September 2025

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रामलीला का इतिहास

यद्यपि रामलीला का प्रदर्शन 1200 ई. से होना आरम्भ हो गया था, संस्कृत राजसी और संभ्रांत भाषा होने के कारण यह राज प्रासादों और धनाढ्य लोगों के यहां ही प्रदर्शित होती थी।

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September 2025

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श्राद्ध की महिमा और महत्त्व

श्राद्ध की महिमा के बारे में पुराणों में भी उल्लेख पढ़ने को मिलता है। पितृ ऋण से मुक्ति के लिए श्राद्ध करना अति महत्त्वपूर्ण बताया गया है। लेख से विस्तार पूर्वक जानें श्राद्ध की महिमा, उसका अर्थ व उससे होने वाले लाभों के बारे में।

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September 2025

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वास्तु अनुसार करें भगवान गणेश की मूर्ति स्थापना ?

घर में गणेश जी की मूर्ति स्थापित करते समय हमें दिन, दिशा, स्थान आदि बातों का ध्यान रखना चाहिए। क्या है सही नियम ? आइए विस्तारपूर्वक जानें इस लेख से।

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शक्ति उपासना का एक स्वरूप यह भी

हिन्दू संस्कृति में परब्रह्म को शिव-शक्ति का संयुक्त रूप माना गया है।

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रामनगर की रामलीला

आज रामलीला के मंचन में काफी बदलाव हुआ है। रामलीलाएं आज जहां आधुनिक हुई हैं, वहीं पर वाराणसी में रामनगर की रामलीला आज भी अपने पुराने रूप में कायम हैं। आइए जानें राम नगर की रामलीला की कहानी।

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