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सर्दियों का मजा लेना हो तो अपनाएं 'पंचमंत्र'
Sadhana Path
|December 2021
सर्दी में रिवली-रिवली धूप और अपने आस-पास हर चीज प्यारी लगती है। लेकिन जरा सी सावधानी हटी और आप बिस्तर में रजाई के अंदर भर्ती कर दिये जाएंगे और गजक, मूंगफली से ज्यादा डॉक्टर की दी हुई गोलियों पर अपना दिन बिताएंगे। हमारे पंचमंत्र से जानें पांच सरल उपाय जिनके जरिये आप कर सकते हैं सर्दी से दोस्ती।

दीपावली की छुट्टियां खत्म हो चुकी हैं और नए महीने के साथ-साथ अब आगाज हो चुका है नए मौसम का। सर्दियां अब बिना दस्तक दिए धीरे-धीरे आपकी खिड़कियों और दरवाजों से आपके घर में दाखिल होने लगी हैं। बाजार में मूंगफली की रेहड़ियां और गली में शॉल बेचने वाले अब दिन में दो-तीन बार तो आपको दिख ही जाते होंगे। धूप अब चुभती या तपाती नहीं है और सुबह-शाम बाल्कनी मेæ
Denne historien er fra December 2021-utgaven av Sadhana Path.
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कौन कहता है नहीं मिलता है बेटी के हाथों मोक्ष
जब मैंने तय किया कि मैं बिहार जाऊंगी, तो बहुत से लोगों का एक ही प्रश्न था, 'तुम्हें और कोई जगह नहीं मिली ?' राजधानी जैसी ट्रेन में भी किसी ने मुझे यह नहीं भूलने दिया कि मैं बिहार जा रही हूं और उससे बड़ी बात अकेली जा रही हूं। जाने से पहले मिलने वाली ढेर सारी नसीहतें और सफर के दौरान गुंडागर्दी के तमाम किस्से सुनते हुए जब मैंने छोटे से शहर 'गया' की जमीन पर कदम रखा, तो मन ही मन प्रार्थना दोहरा दी कि मैं सही-सलामत लौट आऊं। बिहार राज्य का छोटा सा शहर 'गया' पिंडदान और तर्पण के लिए पूरे विश्व में जाना जाता है। लेकिन कम ही लोग जानते हैं कि यहां उन मृतात्माओं को भी शांति और मोक्ष प्राप्त होता है, जिनके पुत्र नहीं हैं। आम धारणा है कि पुत्र यदि यह कर्म करें, तो ही माता-पिता को मोक्ष प्राप्त होगा। इस मान्यता के चलते कई परिवारों में यह कर्म ताऊ या चाचा के बेटों से कराया जाता है। जब हम विष्णुपद (पिंडदान यहां किए जाते हैं) पहुंचे, तो कई पिंडदानी (स्थानीय लोग पिंडदान करने वालों को यही कहते हैं) मौजूद थे। कर्म करा रहे शास्त्री जी ने बताया कि श्राद्ध सिर्फ कर्म ही नहीं श्रद्धा का प्रतीक भी है, इसलिए स्त्री हो या पुरुष जिसके मन में बड़ों के लिए श्रद्धा हो यह कर्म कर सकता है। गया में पितृपक्ष के दौरान ऐसा जनसैलाब उमड़ता है कि लगता है कहीं कुंभ का मेला ही लगा हुआ है। खुद के
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